advertisement
advertisement
कड़कती बिजली तपती तड़पती चूत- 2 (Jija Sali Ka Pyar)
advertisement

advertisement
advertisement
HOT Free XXX Hindi Kahani

जीजा साली का प्यार कहानी में पढ़ें कि जब मेरी बीवी की डिलीवरी हुई तो मेरी साली मदद के लिए आ गयी थी. मेरी साली ने कैसे मेरी देखभाल की?

इस कहानी का पहला भाग : कड़कती बिजली तपती तड़पती चूत- 1

इधर मेरी तबियत अब और ख़राब होती जा रही थी.
वहीं की नर्स से मैंने अपनी तबियत के बारे में बताया तो उसने कुछ दवाइयां लाकर मुझे दे दीं और मुझे घर जाकर आराम करने के लिए बोला.

मैंने वो दवाई वहीं ले ली.
मेरी सास ने भी मुझसे कहा- आपकी तबियत ठीक नहीं लगती, आप निष्ठा को लेकर घर चले जाओ. बाकी सब वो खुद संभाल लेंगीं.
इस तरह सुबह के साढ़े पांच बजे हम अस्पताल से निकले. बारिश तब भी थमी नहीं थी, निष्ठा बाइक पर मेरे पीछे बैठी भीग रही थी. भोर का उजाला होने लगा था सड़कों पर जहां तहां पानी भरा हुआ था.

मैं कांपते हुए जैसे तैसे बाइक संभाल कर ड्राइव करता हुआ घर पहुँच गया. घर पहुँच कर मैंने कपड़े चेंज किये, निष्ठा ने भी दूसरे कपड़े पहिन लिए थे. मैं तो तुरंत कम्बल ओढ़ कर लेट गया, निष्ठा कुछ ही देर बाद चाय बना कर ले आयी.

“जीजू चाय!” वो बोली.
“अच्छा, हां … ला दे!” मैंने जैसे तैसे कहा और उठ कर बैठने की कोशिश करने लगा.

बदन में दर्द के साथ तेज बुखार हो चुका था. बड़ी मुश्किल से बैठ पाया और कांपते हाथों से चाय का कप पकड़ लिया.
निष्ठा मुझे चिंतित निगाहों से देख रही थी. फिर उसने उँगलियों के पृष्ठ भाग से मेरा माथा छुआ.

“जीजू, आपको तो तेज बुखार है. मैं क्या करूं बताओ, मैं तो यहां किसी को जानती भी नहीं?” वो घबराहट भरे स्वर में बोली.
“अरे निष्ठा, तुम परेशान मत हो, उस नर्स ने दवा दी थी न, मैं अभी कुछ देर में ठीक हो जाऊंगा. जा तू भी आराम कर ले अब. सारी रात तो हो गयी जागते जागते!” मैंने उससे प्यार से समझाते हुए कहा.

“ठीक है जीजू, आप सो जाओ अब!” वो बोली और सिर झुका कर बैठी रही.
फिर मुझे पता नहीं कि मुझे कब नींद आ गयी.

जब आँख खुली तो रात हो चुकी थी घर की लाइट्स जलीं हुईं थीं. समय देखा तो सवा आठ बज रहे थे, मतलब मैं करीब चौदह घंटे सोया था. मेरा बुखार तो उतर चुका था पर पूरे बदन में दर्द और कमजोरी तब भी लग रही थी.

Hot Japanese Girls Sex Videos
advertisement
ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

मुझे माथे पर कुछ ठंडक सी महसूस हुई तो देखा कि मस्तक पर कपड़े की गीली पट्टी रखी है. इसका मतलब निष्ठा मेरा बुखार उतारने के लिए मेरे पास बैठी मेरे माथे पर गीली पट्टियाँ रख रही थी.
‘हे भगवान् ये भी तो रातभर की जागी हुई थी फिर भी मेरी सेवा करती रही.’ मैंने सोचा.

तभी निष्ठा आ गई.

“जीजू, अब कैसी तबियत है आपकी?” वो मुझे ध्यान से देखती हुई बोली.
“अब ठीक हूं निष्ठा, तुमने बेकार ही इतनी तकलीफ उठाई.” मैंने कहा.
“कैसी तकलीफ जीजू?”
“ये पट्टी!” मैंने कहा.
“अरे जीजू, आपको तेज बुखार था और आप अनजाने में कुछ बड़बड़ा भी रहे थे. मुझे डर लगने लगा था और कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. मुझे यही उपाय पता था सो किया मैंने!” वो बोली

“थैंक्स निष्ठा, पर बुखार तो दवाई से भी उतर जाता न!” मैंने कहा.
“जीजू, मैं बार बार आपको छू कर देख रही थी आपका टेम्परेचर डाउन ही नहीं हो रहा था, तो मैं क्या करती फिर?” निष्ठा ने अपना पक्ष रखा.
“ओह, चलो कोई बात नहीं. तुमने अच्छा ही तो किया, मेरा बुखार जल्दी उतर गया.” मैंने उसे तसल्ली दी.

“अच्छा जीजू बोलो खाना लाऊं? मैंने आलू के परांठें बनाये हैं साथ में टमाटर धनियां हरी मिर्च की चटपटी चटनी भी है, बोलो चलेगी?” साली जी कुछ इठला कर बोलीं.

“वाओ, क्या बात है. आलू के परांठे और टमाटर की चटनी तो मेरे मोस्ट फेवरेट हैं, बट रहने दे निष्ठा, अभी नहीं. अभी मेरी तबियत पूरी ठीक नहीं हुई. अभी ये सब सूट नहीं करेगा मुझे.” मैंने मायूस होकर कहा.
“हां जीजू, सॉरी. याद आया बुखार में अन्न को अवॉयड करना चाहिए, पर आप क्या ऐसे भूखे ही रहोगे, कहो तो कुछ और बना दूं?” उसने चिंतित स्वर में पूछा.

“निष्ठा, मुझे भूख तो वैसे भी नहीं है. बस तू एक गर्मागर्म कॉफ़ी पिला दे बस; और वो मेज पर दवाई की एक खुराक और है वो भी दे दे साथ में!” मैंने कहा.

“और सुन तुम्हारी मम्मी का कोई फोन आया क्या, शर्मिष्ठा कैसी है सब ठीक तो है न?” मैंने व्यग्रता से पूछा.
“अरे जीजू मम्मी का फोन आया था. सब कुशल मंगल है. आप कोई टेंशन मत लो अब. बस अपनी तबियत जल्दी ठीक करो अब!” वो बोली. थोड़ी ही देर में निष्ठा कॉफ़ी बना कर ले आई और मेरी दवाई भी मुझे दे दी.

इस तरह मैं दवा खा के और कॉफ़ी पी के लेट गया. उफ्फ क्या मुसीबत थी मुझे बीमार पड़ना था तो वो भी इस ख़ुशी के मौके पर. मैं बाप बन गया था एक बेटे का पर मैं कोई एन्जॉयमेंट करने की स्थिति में नहीं था. अभी तक मैंने शर्मिष्ठा को या अपने बेटे को भी नहीं देखा था; इन्हीं सब चिंताओं में डूबा हुआ मुझे कब पुनः नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

अगले दिन मैं सुबह जल्दी ही उठ गया. तबियत भी ठीक ठाक ही लग रही थी पर बदन में दर्द बहुत था.

advertisement
देसी हिंदी सेक्स वीडियो

मैं फ्रेश होकर जल्दी ही नहा लिया ताकि कुछ अच्छा फील हो. नहा कर लौटा तो देखा निष्ठा भी जाग चुकी थी और मेरे बेड की बेडशीट चेंज कर रही थी. नयी चादर बिछा कर उसने तकियों के कवर भी चेंज कर डाले.
‘कितनी स्मार्ट है ये घर के काम काज में!’ मैंने सोचा.

“गुड मोर्निंग जीजू. अब कैसी तबियत है आपकी?” उसने पूछा.
“वेरी गुड मोर्निंग साली जी, अब काफी ठीक हूं. पर सारा बदन दर्द कर रहा है और टूट सा रहा है.” मैंने कहा.
“हां जीजू, वो बुखार उतरने के बाद ऐसा होता है. मैं अभी दोपहर में सरसों का तेल गर्म करके लगा दूंगी आपको उससे ठीक हो जायेगा ये सब.” वो बोली.

“अरे रहने दे ये सब. तेल वेल लगाने की कोई जरूरत नहीं है. मैं अपने आप ठीक हो जाऊंगा शाम तक!” मैंने कहा.
“ऐसे कैसे रहने दूं, आप जल्दी से ठीक हो जाओ बस. फिर हम लोग शाम को अस्पताल चलेंगे, मुझे दीदी और अपने भानजे को देखना है आज!” वो बोली.

“अच्छा जीजू आप बैठो, मैं चाय बना कर लाती हूं.” वो बोली और किचिन की ओर चली गयी.

तभी हमारी काम वाली मेड आ गयी. आते ही उसने अपनी मेमसाब की डिलीवरी के बारे सवाल कर डाले. मैंने उसे शार्ट में सब बता दिया फिर वो अपने काम में लग गयी.

उसी दिन लंच के एक डेढ़ घंटे बाद निष्ठा तेल गर्म करके ले आई.
“जीजू, तेल गर्म करके लाई हूं, आप लगवा लो इससे आपको आराम मिल जाएगा.” साली जी बोलीं.
“अरे निष्ठा, रहने दे. इस सब की जरूरत नहीं है. अब मैं पहले से ठीक हूं.” मैंने टालते हुए कहा.
“अरे जीजू आप फॉर्मेलिटी मत करो अब. आपको अस्पताल चलना है अभी मेरे साथ. वहां न जाने कौन सा काम पड़ जाये!” वो बोली.

“ओफ्फो तू नहीं मानेगी न, चल आजा लगा दे.” मैंने कहा.
“जीजू पहले कुर्ता तो निकाल दो अपना नहीं तो तेल लग जाएगा इसमें.” वो बोली.

मुझे निष्ठा के सामने कुर्ता उतारने में थोड़ी झिझक सी महसूस हो रही थी पर क्या करता. मैं कुर्ता उतार का बेड पर लेट गया. नीचे मैंने बनियान पहनी हुई थी और कमर के नीचे लुंगी लपेट रखी थी.
निष्ठा मेरे पास बैठ कर मेरे हाथों में तेल लगाने लगी. गुनगुना तेल लगने से मुझे वाकई आराम महसूस होने लगा.

फिर उसने मुझे पेट के बल लेटने को कहा और मेरी बनियान ऊपर सरका कर पीठ और कन्धों की भी अच्छे से मालिश कर दी. मैं अब काफी राहत महसूस करने लगा था.

“चलो जीजू अब सीधे लेट जाओ.” वो बोली.
“जो आज्ञा साली जी!” मैंने कहा उसके कहे अनुसार लेट गया.

advertisement
Free Hot Sex Kahani

फिर निष्ठा अपने दोनों हाथों में तेल चुपड़ कर मेरी छाती पर लगा कर धीरे धीरे मालिश करने लगी.
इससे मुझे बहुत आराम मिलने लगा साथ ही उसके नर्म हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म में जादू भी जगाने लगा और मेरे भीतर का पुरुष जागने लगा. जब वो सीने पर तेल लगाती हुई मेरे ऊपर झुकती तो उसकी गर्म सांसें मुझे महसूस होने लगतीं.

उसका दुपट्टा बार बार व्यवधान उत्पन्न कर रहा था जिसे उसने निकाल कर मेरे सिर के पास रख दिया था. अब साली जी के उन्नत वक्षस्थल के दर्शन मुझे मिल रहे थे.
निष्ठा ने गले में सोने की चेन पहिन रखी थी जिसका लॉकेट उसकी क्लीवेज में कहीं गुम था. स्तनों की वो लुभावनी चोटियां मुझे लुभाने लगीं थीं. उसके कुर्ते में से अन्दर पहिनी हुई ब्रा की उपस्थिति भी स्पष्ट दिख रही थी. जिसका एक स्ट्रेप उसकी गर्दन के पास दिख रहा था.

जब वो तेल लगाते हुए मेरे ऊपर झुकती तो लगता कि उसके भारी स्तनों ने मेरे सीने को अब छुआ कि तब छुआ और कई बार उसकी चेन उन गहरी घाटियों से फिसल बाहर आ जाती जिसे निष्ठा जतन से अपने उरोजों के बीच घुसेड़ लेती; यह सब देख देख कर मेरे लंड में हलचल मचने लगी थी और उसमें तनाव आने लगा था.
निष्ठा के कुर्ते का गला हालांकि बहुत बड़ा नहीं था. पर जब उसके स्तनों पर उसकी बांहों का दबाव पड़ता तो स्तनों का उभार उसके कन्धों के नीचे साफ साफ नज़र आता. और उसकी गहरी क्लीवेज का आभास मिलता.

साली जी का भोला सा गोल चेहरा और संतरे की फांक जैसा रसीला और भरा भरा सा निचला होंठ. उफ्फ … मेरा मन भटकने लगा था और मेरी कनपटियां गर्म हो चलीं थीं.

औरत के तन का सुख भोगे मुझे छह महीने से ऊपर ही हो चुके थे. घर के उस एकांत में सिर्फ हम दो, मेरी जवान कुंवारी साली और मैं, कुछ भी संभव हो सकता है अगर चाहो तो …
मैंने निष्ठा की ओर देखा.
वो मेरे मन में चल रहे मानसिक द्वंद्व से बेखबर मेरी सेवा किये जा रही थी.

उसके घने काले काले बाल उसके कंधों पर, कुछ चेहरे पर अठखेलियां कर रहे थे. मेरा लंड खड़ा हो चला था और उसने मेरी शॉर्ट्स में सिर तो उठा ही लिया था.

सच कहूं तो उस समय मुझे अपने लंड पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि इसे कोई तमीज तो है ही नहीं; बस आसपास किसी चूत की उपस्थिति का आभास भर हुआ और ये महाशय तन गये खुश हो के!
अगर निष्ठा की नज़र उस उभार पर पड़ गयी तो वो क्या सोचेगी मेरे बारे में?
यह सोच कर मैंने अपना ध्यान कहीं और लगाने की बहुत कोशिश की कि मैं उत्तेजना फील न करूं. पर मैं अपने मन को कहीं और स्थिर नहीं कर सका. उधर लंड टनटनाता ही चला जा रहा था.

उन दिनों निष्ठा अपने ग्रेजुएशन के सेकंड इयर में थी तो उसकी उमर उस समय यही कोई बीस इक्कीस साल के करीब रही होगी. इतनी कड़क जवान सुन्दर कुंवारी साली. इसे चोदने में क्या मस्त मज़ा आएगा!
मैंने ऐसा सोचते हुए उसके मम्मों की तरफ चोर नज़रों से ताका और उसके साइज़ का अंदाज लगाया … शायद 32b या c … इसकी चूत चिकनी होगी या झांटों वाली होंगी … इसकी चूत का रंग कैसा होगा? इसकी चूत का रसपान करने में कितना मजा आएगा.

फिर मन में प्रश्न उठा कि इसकी चूत अभी भी सील बंद होगी या …?
इसकी चूत की भगनासा और मोती कैसा होगा … इसकी तो गांड भी मस्त होगी … इसके होंठ चूसते हुए इसकी चूत मारने में क्या मस्त मज़ा आएगा … भरपूर जवान हो गई है सो मेरा लंड तो झेल ही लेगी.

पर मुझे अपनी इन गंदी सोचों पर खुद ही शर्म आ गयी और मैं उन अश्लील विचारों को दिमाग से निकालने के लिए कुछ और सोचने का प्रयास करने लगा.

advertisement
कामुकता सेक्स स्टोरीज

“साले कमीने तू इतनी गंदी बातें सोच भी कैसे सकता है निष्ठा के लिए? ये बेचारी तेरी चिंता कर तेरी सेवा कर रही है, रात भर की जागी हुई ये दिन में जरा भी नहीं सोयी और तेरी सेवा करती रही, तेरे सिर पर ठण्डी पट्टी रखती रही ताकि तेरा बुखार उतर जाये और तू मादरचोद साले इसे चोदने की फिराक में है? इस अबला को अकेली समझ कर तू इसकी इज्जत लूटेगा बेशर्म … तेरी साली है तो क्या हुआ इसे चोद कर पूरी घरवाली बना कर ही दम लेगा क्या? तुझे कीड़े पड़ेंगे हरामजादे … कीड़े पड़ेंगे.
और अगर तेरी बीवी को पता चल गया न कि तूने क्या हरकत की है तो बेटा … देख लेना तेरी जिंदगी में जहर घुल जाएगा. बेटे के जन्म की खुशियां तो तू मना नहीं पा रहा है. और पाप अपमान की गठरी ढोने की सोच रहा है कमीने!”

इस तरह मेरी अंतरात्मा मुझे बार बार धिक्कारने लगी.
और मैं खुद को अपराधी सा महसूस करता हुआ चुप पड़ा रहा.

“क्या हुआ जीजू कहां खो गए?” निष्ठा ने कहते हुए मुझे हिलाया. मैंने उसकी ओर देखा तो वो मुझे गहरी नज़रों से देख रही थी
“कुछ नहीं निष्ठा बस ऐसे ही मन कहीं भटक रहा था.” मैंने कहा.
“जीजू जी मन को भटकाना ठीक नहीं. माता रानी ने आपको बेटा दिया है. उन्हीं का ध्यान और धन्यवाद करो सब ठीक हो जाएगा.” साली जी ने मुझे ज्ञान दिया.

जीजा साली का प्यार कहानी आपको अच्छी लग रही है ना?

जीजा साली का प्यार कहानी जारी रहेगी.

advertisement

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement