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चूत को नहला दिया
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 पापा ना जाने क्या क्या सपने देखते रहते थे मैं हमेशा ही सोचता कि क्या कभी पापा के सपने पूरे भी हो पाएंगे पापा के दिल में भी आखिरकार कोई चाहत थी जो अधूरी रह गई थी। मैं पापा के सबसे ज्यादा नजदीक था इसलिए उनसे पूछ लिया करता था और वह मुझे जवाब भी दे दिया करते थे। मैंने पापा से कहा कि पापा जब मैं नौकरी लग जाऊंगा तो आप बताइए आप मुझसे क्या चाहते हैं पापा कहने लगे बेटा मैंने तो कभी ऐसा कुछ नहीं सोचा जब तुम नौकरी लग जाओगे तो मुझे बहुत खुशी होगी। मैंने पापा से कहा पापा आपने जीवन भर घर के लिए इतना कुछ किया है अब आगे हमारा भी तो आपके लिए कुछ फर्ज बनता है पापा कहने लगे बेटा वह सब तो ठीक है लेकिन अभी तो मैं नौकरी कर ही रहा हूं। मेरे पापा स्कूल में क्लर्क है वह बहुत ईमानदार हैं और वह बहुत सीधे-साधे भी हैं जो भी हमारे घर पर आता है वह उनकी तारीफ जरूर करता है।

पापा के रिटायरमेंट के लिए अभी समय बचा हुआ था और मैं हमेशा पापा से कहता कि आप अभी से अपनी रिटायरमेंट के बाद की प्लानिंग कर लीजिए। पापा मुझे कहते बेटा मैंने सारी प्लानिंग कर ली है मेरे कुछ अधूरे सपने है जिन्हें मैं पूरा करना चाहता हूं। पापा के दिल में ना जाने कितने अधूरे सपने थे जो कि उन्होंने हमारे सपनों को पूरा करने के लिए निछावर कर दिये हमारी पढ़ाई के लिए उन्होंने बैंक से लोन लिया था। मेरे आखिरी वर्ष की पढ़ाई खत्म होते ही मैं भी जॉब लगने वाला था हमारे कॉलेज में कॉलेज प्लेसमेंट आया हुआ था सब लोग बहुत ही ज्यादा नर्वस थे मुझे भी थोड़ा घबराहट सी हो रही थी लेकिन मुझे तो किसी भी हालत में नौकरी पानी ही थी। मैं अपने लिए नौकरी नहीं करना चाहता था बल्कि अपने पिताजी के सपनों को पूरा करने के लिए मैं नौकरी करना चाहता था। जब मुझे सेमिनार हॉल में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया तो मैं कमरे में चल गया वहां काफी तेज आवाज हो रही थी मेरे जूतों की आवाज से इंटरव्यू लेने आए हुए लोग मेरी तरफ देखने लगे। मैं तो चाहता था कि मेरा सिलेक्शन हो जाए और उन्होंने मुझसे जितने भी सवाल किये मैंने उन सबका उत्तर दिया मुझे पूरा भरोसा हो चुका था कि मेरा सिलेक्शन तो हो ही जाएगा।

मैं जब सेमिनार हॉल से बाहर निकला तो बाहर खड़े मेंरे दोस्त मुझसे पूछने लगे तुम्हारा इंटरव्यू कैसा रहा क्योंकि सबसे पहले मेरा नंबर ही था इसलिए सब लोग मुझसे पूछ रहे थे। मैं उस दिन घर चला गया कुछ दिनों बाद मुझे फोन आया और मेरा सिलेक्शन हो चुका था मुझे एक अच्छी कंपनी में अच्छी तनख्वाह पर नौकरी मिल गई थी। पापा बहुत ही खुश थे वह आस पड़ोस में जाकर सबको मिठाइयां खिला रहे थे और जितने भी सगे संबंधी थे वह सब मुझे बधाई देने के लिए आए थे मुझे भी बहुत खुशी थी क्योंकि मेरी वजह से पापा के चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी उसे देखकर मैं बहुत खुश हो रहा था। एक दिन पापा मुझे कहने लगे बेटा अब तो तुम चले जाओगे मैंने पापा से कहा तो क्या हुआ पापा मुझे इतनी अच्छी नौकरी मिली है तो मुझे जाना तो पड़ेगा ही ना। पापा कहने लगे हां बेटा तुम सही कह रहे हो लेकिन हमें तुम्हारी बहुत याद आएगी। मेरी नौकरी चेन्नई में लग चुकी थी और मैं चेन्नई चला गया मैं जब चेन्नई गया तो शुरूआत में मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था काफी भिन्नता होने के बावजूद भी वहां पर मेरे कुछ दोस्त मुझे मिल ही गए और मेरे काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। सबसे पहले मेरी दोस्ती कार्तिक से हुई जब कार्तिक मेरा दोस्त बन गया उसके बाद हम लोग एक दूसरे से अपनी बातें शेयर किया करते थे। एक दिन हम लोग बैठे हुए थे कार्तिक मुझसे कहने लगा तुमने कभी अपने फैमिली के बारे में मुझे नहीं बताया कार्तिक मेरे साथ चेन्नई में रहता था उसका घर बेंगलुरु के पास एक छोटी सी जगह है वहां पर है। मैंने कार्तिक से कहा कभी समय ही नहीं मिला तुमने भी तो कभी मुझे अपने घर के बारे में कुछ नहीं बताया। कार्तिक मुझे कहने लगा मेरे घर में तो मेरे मम्मी पापा और मेरी दो छोटी बहनें हैं एक बहन तो कॉलेज कर रही है।

मैंने कार्तिक से कहा तुम्हारे पापा क्या करते हैं कार्तिक कहने लगा पापा अपना रेस्टोरेंट चलाते हैं। कार्तिक के साथ मेरी अच्छी दोस्ती थी इसलिए मैं उसके साथ खुलकर बात कर सकता था और कार्तिक ने मुझसे मेरे बारे में पूछा तो मैंने उसे सब कुछ बता दिया। हम दोनों की दोस्ती बहुत गहरी हो चुकी थी और इसी बीच एक दिन कार्तिक मुझसे कहने लगा तुम मेरे साथ मेरे घर चलोगे मैंने उसे कहा यार तुम्हें तो मालूम ही है कि ऑफिस से छुट्टी मिल नहीं पाती है। वह कहने लगा चलो कोई बात नहीं तुम ऑफिस में एप्लीकेशन तो दो क्या पता छुट्टी मंजूर हो जाए। मैंने ऑफिस में एप्लीकेशन दे दी मेरी छुट्टी मेरे बॉस ने स्वीकार कर ली और मुझे छुट्टी मिल गई थी मैंने सोचा चलो इसी बहाने कुछ एडवेंचर करने का मौका भी मिल जाएगा। मैं कार्तिक के साथ उसके घर चला गया जब मैं कार्तिक के साथ उसके घर गया तो वहां पर मुझे काफी अच्छा लगा। कार्तिक के परिवार वाले भी सब लोग बहुत ही अच्छे हैं वह लोग मेरे साथ काफी मस्ती किया करते और उसके पापा जो बहुत ही हंसमुख हैं मैं उनके साथ उनके रेस्टोरेंट में भी गया था। जब उन्होंने मुझे अपने हाथ से बनाया हुआ डोसा खिलाया तो मैंने अंकल की तारीफ करते हुए कहा अंकल आप तो बड़ा ही शानदार डोसा बनाते हैं अंकल भी मुस्कुरा गए और कहने लगे तभी तो मेरे पास कस्टमर आते हैं।

अंकल काफी पढ़े लिखे थे लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने रेस्टोरेंट खोला वह पहले किसी बड़ी कंपनी में जॉब किया करते थे लेकिन वहां से उन्होंने जॉब छोड़ दी थी और उसके बाद वह खुद का ही रेस्टोरेंट चला रहे थे। मुझे भी अंकल के साथ बात कर के अच्छा लगा कार्तिक के चाचा की लड़की की शादी में हम लोगों ने खूब एंजॉय किया और मुझे कुछ नया देखने का मौका मिला। मैंने कार्तिक से कहा अब शादी तो हो चुकी है और छुट्टियां भी खत्म होने वाली है तो क्यों ना तुम मुझे कहीं घुमाने ले चलो, कार्तिक कहने लगा चलो फिर हम लोग आज घूमने के लिए चलते हैं। मैं कभी बेंगलुरु घूमने नहीं गया था तो हम लोग उस दिन बेंगलुरु घूमने के लिए निकल गए बेंगलुरु कार्तिक के घर से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर था इसलिए हम लोग सुबह ही घर से निकल चुके थे। जब हम लोग बेंगलुरु पहुंचे तो वहां पर मुझे काफी अच्छा लग रहा था मैंने बेंगलुरु के बारे में काफी कुछ सुना था और यह मेरा पहला ही मौका था जब मैं बेंगलुरु में गया। जब मैं बैंगलुरु गया तो मैंने कार्तिक से कहा यहां पर तो बहुत ही अच्छा है कार्तिक कहने लगा पहले मैं भी यहीं जॉब किया करता था लेकिन चेन्नई में ज्यादा अच्छी सैलरी मिल रही थी इसलिए मुझे चेन्नई जाना पड़ा। हम लोगों ने उस दिन मूवी देखी और शाम को घर लौट आए। कार्तिक के घर पर मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और उसके परिवार में सब लोग मुझे पूरा प्यार और सम्मान दे रहे थे। उसकी बहन विजया की आंखों में मेरे लिए प्यार था मुझे वह बहुत अच्छा लगा क्योंकि जब उसे मौका मिला तो वह मेरे पास आई और मुझसे कहने लगी आपको यहां कैसा लग रहा है? मैंने उसे कहा मुझे तो यहां बहुत अच्छा लग रहा है विजया भी मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी। कार्तिक मुझे कहने लगा तुम लोग बात करो मैं सोने के लिए जा रहा हूं हम दोनों बैठ कर बात करने लगे। कार्तिक सोने के लिए जा चुका था लेकिन वह मेरे साथ ही थी मुझे विजया से बात करना अच्छा लग रहा था और बातों बातों में ही ना जाने कब उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया मुझे पता ही नहीं चला।

विजया मुझे कहने लगी मुझे आप बहुत अच्छे लगे मेरे अंदर भी विजया को देखकर ना जाने क्यों हवस की आग पैदा होने लगी और मैं भी उस वक्त अपने आपको ना रोक सका। हम दोनों ही रूम में बैठे हुए थे तो मैंने भी विजया को अपने नीचे लिटा दिया और विजया के नर्म होठों को चूमने लगा। वह बिल्कुल ही सामान्य है लेकिन जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो मैंने देखा विजया के स्तन बड़े ही लाजवाब और सुडौल थे। मैंने उसकी ब्रा को खोलते हुए उसके स्तनों को अपने मुंह में लिया उसके निप्पल को मैं चूसती तो मुझे भी बड़ा मजा आता और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। जैसे ही मैंने विजया से कहा कि क्या तुम भी मेरे लंड को अपने मुंह में लोगी तो वह भी मना ना कर सकी और उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया। वह शायद पहली बार ही किसी के लंड को अपने मुंह में ले रही थी इसलिए उसे थोड़ा अजीब सा लग रहा था लेकिन उसके बावजूद भी उसने मेरा पूरा साथ दिया जब मैंने उसकी पैंटी को उतारकर उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो उसकी योनि से गीलापन बाहर की तरफ को निकल आया था। वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई थी उसने मेरे लंड को पकड़ लिया वह मेरे लंड को अपनी योनि से मिलाने लगी। मैं भी समझ चुका था कि मुझे उसकी अंदर की आग को बुझाना पड़ेगा।

मैंने भी उसकी योनि पर अपने कड़क और मोटे लंड को लगाया तो मुझे भी अच्छा लगने लगा मैंने अंदर धक्का देते ही विजया को कहा तुम्हें दर्द तो नहीं हुआ। उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकली और उसी के साथ मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा। मेरे धक्को में अब तेजी आ चुकी थी और विजया के मुंह से बड़ी तेज चीख निकलती जा रही थी वह मादक आवाज मे सिसकिया लेने लगी थी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है। मैंने विजया से पूछा तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है तो वह कहने लगी मुझे ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे अंदर कुछ करंट सा दौड़ रहा है। वह जब सिसकिया ले रही थी तो उसकी सिसकियो में मुझे अपने लिए तड़प दिख रही थी वह मेरे बदन को नोचने लगी। वह जिस प्रकार से मेरे बदन को नोचती उससे मेरे अंडकोषो से मेरा वीर्य बाहर की तरफ निकल रहा था उसी के साथ उसने मुझे अपने दोनों पैरों के बीच में जकड़ लिया। जब उसने मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ा तो मैंने भी अपने वीर्य की पिचकारी से उसकी योनि को नहला दिया।

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