डगमगाते कदमो की गलती

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मैं अपने कमरे में अपना सामान पैक कर रही थी तभी मेरी मम्मी कमरे में आई और वह कहने लगी सुगंधा बेटा कमरे की हालत तुमने क्या कर रखी है सामान देखो कितना बिखरा पड़ा है। मैंने मम्मी से कहा मम्मी मैं पैकिंग कर रही हूं मम्मी कहने लगी तुम कहां के लिए पैकिंग कर रही हो मैंने मम्मी से कहा मम्मी मैं कुछ दिनों के लिए ऑफिस की तरफ से मुंबई ट्रेनिंग लेने के लिए जा रही हूं। मेरी मम्मी कहने लगी कि बेटा तुमने मुझे बताया नहीं और अचानक से तुम अपना सामान पैक कर रही हो कम से कम तुम्हें घर पर बताना तो चाहिए। मैं मम्मी से कहने लगी मम्मी बस 5 महीने की तो बात है 5 महीने बाद मैं वापस लौट आऊंगी। मम्मी कहने लगी क्या बात कर रही हो तुम 5 महीने के लिए मुंबई जा रही हो और तुमने मुझे बताया भी नही जब तुम्हारे पापा को पता चलेगा तो वह क्या कहेंगे। मैंने मम्मी से कहा मम्मी पापा को आप समझा देना आपको तो पता ही है कि पापा ना जाने कितने सवाल करते हैं और अब मैं बड़ी हो चुकी हूं मैं अपनी जिम्मेदारियों को तो संभाल सकती हूं।

मम्मी की आंखें नम हो गई और वह कहने लगी बेटा तुम अभी भी मेरे लिए वही सुगंधा हो जिसे मैंने 9 महीने अपनी कोख में रखा है तुम मेरे लिए कभी बड़ी नहीं हो सकती। मैं अपनी मां से कहने लगी मां आप मुझे बोर मत कीजिए मैं अपने काम के सिलसिले में जा रही हूं तो इसमें भला क्या  परेशानी है। मां कहने लगी ठीक है बेटा तुम जाओ लेकिन तुम्हें मुझे एक बार बताना तो चाहिए था यदि मैं तुम्हारे कमरे में नहीं आती तो तुम मुझे बताती भी नहीं। मैंने मां से कहा मम्मी ऐसा नहीं है मैं आपको क्यों नहीं बताती मम्मी कहने लगी अच्छा यह सब छोड़ो तुम यह बताओ तुमने अपना सामान तो अच्छे से पैक कर लिया है। मैंने मम्मी से कहा नहीं मम्मी मुझसे सामान पैक नहीं हो पा रहा है मैं सोच रही हूं कि आप मेरी मदद कर देती तो मैं अपना सामान अच्छे से पैक कर पाती। मेरी मम्मी कहने लगी लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं और मम्मी ने मेरी मदद की तो मेरा सामान आसानी से पैक हो गया। मेरा सामान अब पैक हो चुका था और मैं मम्मी से कहने लगी मम्मी मैं अब पांच महीने बाद लौटूंगी तो आपको मेरी याद तो नहीं आएगी मम्मी कहने लगी ना।

मम्मी कहने लगी बेटा तुम्हारी याद तो आएगी ही तुम्हारे बिना घर जो सूना सूना लगेगा और तुम्हारे सिवा हमारा इस दुनिया में है यह कौन इसीलिए तो हमें तुम्हारी चिंता हमेशा सताती रहती है। मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं जल्दी से आ जाऊंगी पता भी नहीं चलेगा कि कब पांच महीने बीत गए। हम दोनों आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी पापा भी आ गए पापा ने कहा सुगंधा बेटा तुम सामान पैक कर रही हो क्या कहीं जा रही हो। पापा को लग रहा था कि मैं शायद कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए कहीं जा रही हूं क्योंकि मुझे घूमने का बड़ा शौक है इस कारण से उन्हें यही लग रहा था लेकिन उन्हें नहीं पता था कि मैं अपने ऑफिस के काम से पांच महीने के लिए मुंबई जाने वाली हूं। मेरी मम्मी ने पापा से कहा मैं आपको अभी समझाती हूं कि सुगंधा कहां जा रही है पहले हम लोग डिनर कर लेते हैं। मां रसोई में चली गई और पापा भी अपने कमरे में चले गए पापा अपने कमरे में चले गए और वह अपने रूम में बैठकर न्यूज़ सुन रहे थे मम्मी ने भी रसोई में शायद खाना बना लिया था और मैं भी अपना पूरा सामान पैक कर चुकी थी। हम लोगों ने उस रात खाना खाया तो पापा के मन में यही सवाल था कि आखिर मैं कहां जा रही हूं लेकिन मम्मी ने सारी बात को संभाल लिया नहीं तो पापा चिंतित हो जाते। अगले दिन पापा सुबह अपने ऑफिस के लिए जा चुके थे पापा के ऑफिस जाते ही मम्मी मुझसे कहने लगी बेटा तुम्हारी तो शाम की ट्रेन है ना। मैंने मम्मी से कहा हां मम्मी मेरी शाम की ट्रेन है मम्मी कहने लगी मैं तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने के लिए आ जाऊंगी मैंने मम्मी से कहा नहीं मम्मी मैं चली जाऊंगी आप निश्चिंत रहिए। मैं अपना सामान लेकर शाम के वक्त ऑटो से रेलवे स्टेशन की तरफ चली गई मै शाम के वक्त ऑटो से रेलवे स्टेशन पहुंची तो मैं ट्रेन का इंतजार करने लगी ट्रेन कुछ ही देर में आने वाली थी।

जैसे ही ट्रेन आई तो मैं ट्रेन में चढ़ गई और अपना सामान रख कर अपनी सीट पर बैठ गई। ट्रेन में बैठने के बाद सबसे पहले मैंने अपनी मम्मी को फोन किया और उन्हें बताया कि मैं ट्रेन में बैठ चुकी हूँ नही तो वह चिंता करने लगती। मम्मी को फोन करने के बाद मैं अपने फोन पर मूवी देखने लगी और अपना टाइम पास करने लगी। ट्रेन अभी तक चली नहीं थी जैसे ही ट्रेन चलने वाली थी तो एक जवान लड़का मेरे बगल में आकर बैठा। उसकी उम्र मेरी जितनी ही थी लेकिन वह दिखने में बड़ा ही हैंडसम लग रहा था उसकी सीट भी मेरे बगल में ही थी। यह मेरे लिए तो बहुत ही अच्छा होने वाला था क्योंकि मेरे बगल में जो बूढ़ी आंटी बैठी हुई थी वह काफी देर से खास रही थी और मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन अब वह लड़का मेरे बगल में बैठ चुका था। वह मुझसे बातें करने लगा मैंने भी उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम मुझे बताया उसका नाम गौतम है। मैंने गौतम से पूछा तुम्हें कहां जाना है तो वह तुम कहने लगा मैं मुंबई जाऊंगा। मैंने गौतम से कहा चलो लगता है मेरा सफर भी अच्छा कटने वाला है। गौतम कहने लगा भला तुम्हारा सफर कैसा अच्छा कटेगा। मैंने गौतम को बताया तो वह मेरी बातों से हंसने लगा और कहने लगा आजकल की लड़कियां भी बड़ी कमाल है। मैंने गौतम को छेड़ते हुए कहा क्या आजकल की सब लड़कियां एक समान है तो वह कहने लगा नहीं मेरा यह कहने का मतलब नहीं था लेकिन मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं कि आजकल की लड़कियां वाकई में बड़ी स्मार्ट है। हम दोनों आपस में बात करते तो सब लोग हमारी तरफ देख रहे थे मुझे तो ऐसा भी प्रतीत नहीं हुआ कि गौतम से मैं अभी ट्रेन में ही मिले हूं मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मेरा पुराना दोस्त है। हम दोनों एक दूसरे से बातें करने में इतने खो गए कि मैं अपने घर से लाया हुआ टिफिन भूल चुकी थी। मम्मी ने मुझे टिफिन पैक कर के दिया था मैंने जब वह टिफिन खोला तो उसमें मम्मी ने मेरे लिए खाना दिया हुआ था और मैंने गौतम के साथ उस टिफिन को शेयर किया। हम दोनों ही एक-दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देख रहे थे कुछ ही देर के लिए सही लेकिन गौतम के लिए मेरा दिल धड़कने लगा था। गौतम ने जब अपने हाथ से मुझे खिलाना शुरू किया तो मेरे दिल की धड़कन बहुत तेज हो चुकी थी और मुझे लगने लगा कि जैसे गौतम मेरा जीवन साथी है। कुछ पल के लिए ही सही लेकिन मैं अपने कदमों से डगमगाने लगी थी और यह मेरे लिए ठीक नहीं होने वाला था आखिरकार उस रात गौतम और मुझे नींद ही नहीं आई। दो जवान दिल एक होने वाले थे हम दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखते तो मुझे भी गौतम का साथ पाकर बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों की आदतें भी लगभग एक जैसी ही थी रात के वक्त जब हम दोनों के अंदर कुछ ज्यादा ही गर्मी बढ़ने लगी तो मैं भी अपने आपको ना रोक सकी। गौतम मेरी तरफ इशारे करने लगा मुझे भी लगा कि आज अपने जीवन में पहली बार सेक्स कर ही लेती हूं और उस रात मैंने पहली बार अपने जीवन में सेक्स संबंध बनाएं। गौतम मुझे कहने लगा चलो बाथरूम में चलते हैं और हम दोनों बाथरूम में चले गए जब हम दोनों बाथरूम में गए तो वहां पर गौतम ने मेरे होठों को चूसना शुरू किया तो मुझे भी बड़ा अच्छा लग रहा था और जिस प्रकार से गौतम मेरे होठों को किस कर रहा था उससे मैं बिल्कुल भी रह ना सकी।

मैंने गौतम के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया पहली बार ही मैंने किसी के लंड को अपने हाथ में लिया तो मुझे अजीब सा महसूस हो रहा था लेकिन मैने गौतम के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। मेरे अंदर से गर्मी बाहर की तरफ निकल आई थी और जैसे ही मैंने गौतम से कहा तुम मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दो। गौतम ने अपने लंड को मेरी योनि के अंदर डाल दिया और मेरे मुंह से बड़ी तेज चीख निकलने लगी उसी के साथ मेरी योनि से खून बाहर की तरफ निकलने लगा। गौतम को भी जैसे मजा आने लगा था और वह मेरी चूत मारने में इतना खो गया कि उसे कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि मुझे कितना दर्द हो रहा है। मैंने गौतम से कहा मुझे बड़ा दर्द हो रहा है तो गौतम मुझे कहने लगा मुझे बड़ा मजा आ रहा है और इसके साथ गौतम का लंड मेरी योनि के अंदर बाहर होता तो मुझे ऐसा लगता जैसे कि मेरी योनि से गर्मी बाहर की तरफ निकलने लगी है और मेरी योनि के अंदर ना जाने कोई मोटी सी चीज चली गई है लेकिन गौतम के लंड से मेरी योनि में चिकनाई बढ़ने लगी।

गौतम ने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही उसने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। जब उसके लंड को मैं अपने मुंह में लेकर चूस रही थी तो मुझे बड़ा आनंद आ रहा था और कुछ ही क्षणों बाद उसके लंड से इतनी तेज वीर्य की बूंदे गिरी की वह मेरे गले के अंदर तक चली गई थी। गौतम ने मुझे कहा कसम से सुगंधा आज मजा आ गया। मैंने उसे कहा लेकिन मेरी योनि में दर्द हो गया है वह कहने लगा तुम मुझसे सच कहना क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा। मैंने गौतम से कहा हां बाबा मुझे अच्छा लगा लेकिन तकलीफ भी बहुत ज्यादा हुई और ऐसा महसूस हुआ कि जैसे मैं कहीं बेहोश ना हो जाऊं। गौतम कहने लगा कोई बात नही कुछ नही होगा मैंने पहली बार ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और यह मेरा पहला ही मौका है। हम दोनों अपनी सीट में जाकर सो चुके थे और जब मुंबई आया तो गौतम ने ही मेरे बहुत मदद की और उसके बदले मैने गौतम को अपना बदन सौंप दिया था।