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भाभी से प्रेम प्रसंग के मजे
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HOT Free XXX Hindi Kahani

 जीवन में सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था जीवन की गति बड़ी तेजी से चल रही थी मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब मेरा स्कूल पूरा हो गया और मैं कॉलेज में चला गया, इस बीच बहुत कुछ जीवन में घटित हुआ जिससे कि मैं हमेशा बहुत ज्यादा शर्मिंदा रहता। मुझे नहीं पता था कि अब सब कुछ बदल जाएगा और धीरे-धीरे सब लोग अब अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगेंगे, मैं भी बड़ा हो चुका था और अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगा था भैया भी अब बहुत समझदार हो गए और वह अब काम करने लगे थे, सब कुछ पूरी तरीके से सब बदल चुका था अब घर में पहले जैसी रौनक तो नहीं थी लेकिन पैसे की कोई कमी नहीं थी और आर्थिक स्थिति भी बहुत ज्यादा मजबूत हो गई थी। भैया के लिए भी रिश्ते आने लगे थे और रिश्ते भी अच्छे घरों से आ रहे थे लेकिन भैया को थोड़ा समय चाहिए था जिससे कि वह सोच सकें परंतु एक दिन पिताजी ने कह दिया कि अब तो तुम्हें शादी करनी ही पड़ेगी मैं तुम्हें ज्यादा वक्त नहीं दे सकता क्योंकि मुझे लगने लगा है कि तुम अब शादी कर लो इसलिए उन्होंने भैया के लिए रिश्ते देखने शुरू कर दिए थे और जब भैया के लिए एक रिश्ता फाइनल हुआ तो उस रिश्ते से मेरी जिंदगी भी बदल गई और वह रिश्ता सुप्रिया भाभी का था, सुप्रिया भाभी बहुत अच्छी और सुंदर हैं जितनी वह सुंदर है उतनी ही वह समझदार भी हैं।

मेरे सामने एक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई थी जब मुझे मेरी ही भाभी से प्रेम हो गया,  यह प्रेम सिर्फ एक तरफा ही नहीं था बल्कि मेरी भाभी भी मुझसे प्रेम करने लगी थी। मेरे और मेरे भाभी के विचार हमेशा एक दूसरे से मिलते थे इसलिए हम दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया था मेरी भाभी का नाम सुप्रिया है। मेरे भैया अपना रेस्टोरेंट चलाते हैं इसलिए वह सुप्रिया भाभी को ज्यादा समय नहीं दे पाते थे, मैं कॉलेज से आने के बाद ज्यादातर समय उनके साथ ही बिताया करता, मेरा उनके साथ समय बिताना शायद उन्हें भी अच्छा लगने लगा था क्योंकि उन्हें भी किसी चीज की जरूरत थी।

मेरे भैया पहले तो उनके साथ समय बिताया करते थे लेकिन कुछ समय से वह जैसे अपनी ही दुनिया में खो गए और भैया जब भी घर आते तो उन्हें किसी से भी कोई मतलब नहीं रहता था वह सिर्फ घर में खाना खाते थे, वह तो मम्मी पापा से भी बात नही किया करते थे, उनके व्यवहार में पूरी तरीके से बदलाव आ चुका था शायद इसी कारणवश सुप्रिया भाभी को भी किसी की जरूरत थी और हम लोग जब साथ में समय गुजारने लगे तो इसी वजह से हम दोनों के बीच प्रेम पनपने लगा। मैं सुप्रिया भाभी के साथ कई बार मूवी देखने भी जाया करता, वह जब भी जो काम कहती तो मैं उन्हें कभी मना नहीं करता लेकिन मुझे इस बात का डर था कि कहीं यह बात भैया को पता चल गई तो भैया मेरे बारे में क्या सोचेंगे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और मेरे पास ऐसा कोई भी नहीं था जिससे कि मैं इस बारे में बात कर पाता इसलिए मैंने इस बात को अपने दिल में ही दबा कर रखा, सुप्रिया भाभी ने भी कभी किसी से इस बारे में बात नहीं की पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार हमारे रिश्ते की नींव कहां पर टिकी है मुझे कई बार लगता कि मैं गलत हूं और अपने भैया के साथ ही मैं धोखा कर रहा हूं लेकिन कई बार मैं सोचता की मेरे भैया भी तो अपनी जगह गलत है जो भाभी को समय नहीं देते हैं।

मैंने एक दिन भाभी से इस बारे में बात की तो भाभी कहने लगी सुजीत मुझे तुम्हारे साथ समय बिताना अच्छा लगता है और जब तुम बात करते हो तो मुझे ऐसा लगता है कि जैसे मेरे जीवन में कोई भी तकलीफ नहीं है मैंने तुम्हारे भैया से कितनी बार बात की कि मुझे तुमसे सिर्फ समय चाहिए लेकिन वह तो जैसे मुझे समय देना ही नहीं चाहते। मैंने भाभी से कहा लेकिन कभी भैया को हम दोनों के रिलेशन के बारे में पता चलेगा तो वह क्या सोचेंगे, सुप्रिया भाभी कहने लगे मैं भी इसी कशमकश में हूं और मुझे भी कई बार समझ नहीं आता, मैंने भाभी से पूछा कि क्या हमें इस बारे में कमल भैया से बात करनी ? सुप्रिया भाभी कहने लगी वह शायद इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे इसलिए उन्हें बताना सही नहीं रहेगा लेकिन मैंने सोचा कि मुझे भैया से बात करनी चाहिए और मैंने कमल भैया से इस बारे में बात की, वह बहुत गुस्सा हो गये और उन्होंने गुस्से में मुझे तमाचा मार दिया और कहने लगे कि तुम मेरे भाई होते हुए भी मेरे साथ ऐसा कर रहे हो, तुमने यह बिलकुल गलत किया, मुझे तुमसे कभी यह उम्मीद नहीं थी, मैंने भैया से कहा भैया आप समझने की कोशिश कीजिए इस बात पर ना तो मेरा कोई बस था और ना ही सुप्रिया भाभी का कोई बस था मुझे तो उनके साथ समय बिताना अच्छा लगता है और उन्हें भी मेरे साथ समय बिताना अच्छा लगता है। भैया को उस वक्त मेंरी यह बात समझ नहीं आई उसके बाद उन्होंने मुझसे कभी बात नहीं की मुझे लगा कि मुझे उनसे इस बात के लिए माफी मांगनी चाहिए, मैंने उनसे माफी मांगी और कहा कि भैया मुझसे गलती हो गई,  वह कहने लगे देखो सुजीत मुझे पता है कि तुम अभी जवानी की दहलीज में हो लेकिन यह बिल्कुल उचित नहीं है, मैंने उस समय भैया से सिर्फ एक ही सवाल पूछा और उन्हें कहा क्या आप वाकई में सुप्रिया भाभी से प्रेम करते हैं तो वह कहने लगे कि तुम मुझसे इस बारे में बात मत करो तुम सिर्फ बात को घुमाये जा रहे हो।

मैंने उनसे इस बारे में पूछा तो उनके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि उन्हें भी नहीं पता था कि आखिर वह चाहते क्या हैं क्योंकि शायद उन्हें भी सुप्रिया भाभी से प्यार नहीं था उन्होंने भी इस बारे में बहुत सोचा और एक दिन उन्होंने ही मुझे कहा कि मुझे नहीं समझ आ रहा कि मेरे दिल में सुप्रिया के लिए प्रेम क्यों नहीं है, मैंने उनसे पूछा कि भैया आप उनसे प्रेम करते ही नहीं है इसलिए आप उन्हें समय नहीं दे पाते। उन्हें भी मेरी बात से लग गया था कि मैं बिल्कुल सही कह रहा हूं लेकिन यह संभव नहीं था कि मेरी और सुप्रिया भाभी की शादी हो पाती  यह तो जैसे बिल्कुल असंभव था क्योंकि कोई भी इस बात को नहीं मानता और ना ही इस रिश्ते को कभी स्वीकारता, मैंने भी सोचा नहीं था कि कभी भैया मुझसे खुद यह बात कहेंगे लेकिन जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मुझे तो जैसे अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ। मैंने उन्हें कहा कि भैया यह संभव नहीं हो पाएगा, वह कहने लगे कि मुझे पता है लेकिन इस बात में मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं, उन्होंने मुझसे कहा कि तुम सुप्रिया को लेकर कहीं दूर चले जाओ लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मैं कभी उन्हें लेकर दूर जाऊँ नहीं तो इससे भैया की भी बदनामी होती, मैंने भैया से कहा कि मुझे आप कुछ समय दीजिए मैं कुछ ना कुछ सोचता हूं लेकिन मेरे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह हो क्या रहा है यह सब तो जैसे रिश्तो की खिचड़ी बनने जैसा हो गया था यदि यह बात हम तीनों के अलावा किसी और को पता चलती तो बहुत बड़ा बखेड़ा खड़ा हो जाता लेकिन हमने यह बात किसी को भी पता नहीं चलने दी और मैं सोचता रहा कि मुझे क्या करना चाहिए लेकिन मुझे कोई भी रास्ता नहीं मिल रहा था।

मेरे दिमाग में एक दिन ना जाने कहां से सुप्रिया भाभी को लेकर गंदे ख्याल आ गए हम दोनों के बीच सिर्फ प्यार ही था लेकिन उस दिन उनकी खुली हुई जुल्फे और उनके टाइट बदन को देखकर ना जाने मेरे दिमाग में उन्हें चोदने का ख्याल आ गया। मैंने उन्हें उस दिन उनके कमरे में लेटा दिया जब मैंने सुप्रिया भाभी के बदन को देखा तो मुझसे एक पल भी नहीं रहा गया मैंने उनके बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटना शुरू किया। जब मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाई तो उनकी चूत गरम पानी बाहर की तरफ छोड़ रही थी मैंने जैसे ही अपने लंड को उनकी चूत पर सटाया तो उन्होंने कहा अब तुम अंदर ही लंड को डाल दो। मैंने अपने लंड को अंदर डाल दिया और जैसे ही मेरा लंड अंदर घुसा तो मुझे गर्मी का एहसास होने लगा उस गर्मी से मेरे पसीने पसीने होने लगे। जब मैं अपनी गति पकड़ने लगा तो सुप्रिया भाभी के मुंह से भी मादक आवाज निकलने लगी वह अपने मुंह से बड़ी तेज आवाज में सिसकिया ले रही थी जिससे कि मेरी उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ने लगी। वह कहने लगी तुम और तेजी से मुझे धक्के मारो मैंने उन्हें और तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिए।

जितनी तेजी से मै धक्के मारता उतना वह मेरा साथ देती मुझे नहीं पता था उनके अंदर इतने सेक्स की भूख छुपी हुई है। वह कहने लगी तुम्हारे भैया ने तो मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है लेकिन तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे लेने मे मुझे बड़ा मजा आया मैंने अपने वीर्य को उनकी योनि में गिरा दिया। उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया और कहने लगी तुम्हारे साथ तो आज सही में मजा आ गया। मैंने उन्हें कहा है मैं आपके साथ कैसे रह सकता हूं इसके लिए हमें कोई रास्ता निकालना ही पड़ेगा हम दोनों ने मिलकर मेरे भैया के लिए एक लड़की देख ली मेरे भैया भी उसके जिस्म को देखकर उस पर पूरी तरीके से फिदा हो गए। अब मेरे और सुप्रिया भाभी के बीच में खुलकर सब होने लगा हम दोनों को कोई भी नहीं रोक सकता था। सुप्रिया कहने के लिए मेरी भाभी थी लेकिन असल में तो वह मेरी पत्नी थी मेरा मन जब भी करता तो मैं उनके मजे ले लिया करता जब भी वह मुझे अपने पास बुलाती तो मैं उनके पास चला जाया करता। उनके साथ मुझे समय बिताना तो अच्छा लगता ही था लेकिन उनसे कभी भी मेरा मन नहीं भरा और ना ही ऐसा लगा कि मैं उनसे दूर चला जांऊ। मुझे तो ऐसा लगता जैसे मैं उनके साथ ही बैठा रहूं उन्हें हमेशा देखता रहूं और उनकी चूत मारता रहूं।

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