सेक्स का जमकर मजा ले रहा हूं

HOT Free XXX Hindi Kahani

मेरा नाम आकाश है मैं लखनऊ का रहने वाला हूं। मैं एक दुकानदार हूं मेरी कॉलोनी के अंदर ही एक छोटी सी शॉप है और उससे ही मैं अपना जीवन बसर करता हूं लेकिन मेरे पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती इसलिए उनके लिए मुझे हमेशा दवाई लेकर आनी पड़ जाती है। उनकी दवाइयां मैं हमेशा अपने घर के पास ही एक मेडिकल स्टोर से लेकर आता हूं। एक दिन मैं दवाई लेने के लिए मेडिकल स्टोर में चला गया। वह लोग मुझे पहचानते थे तो उन्होंने मुझे देखते ही कहा हां भाई साहब कहिए। मैंने उन्हें दवाई का पर्चा दिया उन्होंने वह पर्चा लेकर उस पर्चे पर लिखी हुई दवाइयां देखी  फिर उन्होंने कहा कि आधी दवाइयां आपको आज मिल जाएंगी और आधी दवाइयां आपको दो दिन बाद उपलब्ध हो पायेगी। मैंने उनसे कहा लेकिन आप जरूर यह दवाई मंगवा दीजिए क्योंकि दवाई खत्म होने वाली है और शायद दो-चार दिन की ही दवाई बची हैं। वह कहने लगे आप दो-चार दिन बाद ही आ जाइए आपको यह दवाई मिल जाएगी।

मैं अपने घर आ गया और घर पर मैंने वह दवाई अपनी मम्मी को दे दी। मैंने अपनी मम्मी को सारा कुछ समझा दिया था और कहा आप यह दवाई पापा को खिला दीजिएगा मैं उसके बाद अपनी दुकान में चला गया मैं जब अपनी दुकान में बैठा हुआ था तो उस वक्त मेरे पास शर्मा जी आ गए। शर्मा जी हमारे कॉलोनी में ही रहते हैं वह रिटायर हो चुके हैं पहले वह बैंक की नौकरी करते थे। जब भी उनका मन होता है तो वह अक्सर मेरे पास आ जाते हैं मैंने उन्हें कहा सर आप बैठिए मैंने उन्हें कुर्सी देते हुए अपनी दुकान के अंदर ही बैठा लिया। वह मेरे साथ बात कर रहे थे और मुझे कहने लगे तुम्हारे घर में सब लोग कैसे हैं? मैंने उन्हें बताया बस साहब क्या बताएं पिताजी की दवाइयों में सारा खर्चा निकल जाता है और जो कुछ भी कमाई होती है वह सब उनकी दवाइयों में ही लग जाती है।

वह कहने लगे देखो आकाश बेटा यह सब तो लगा हुआ है यदि तुम उनके लिए नहीं करोगे तो कोई बाहर वाला थोड़ी आकर करेगा। मैंने उन्हें कहा आप यह तो बिल्कुल सही बात कह रहे हैं परंतु उनकी दवाइयों का खर्चा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और मेरी कमाई भी सीमित है मुझसे फिर भी जितना बन पड़ता है मैं उससे अधिक ही करता हूं। शर्मा जी दिल के बड़े अच्छे हैं वह मुझे कहने लगे आकाश यदि तुम्हें पैसे की आवश्यकता हो तो तुम मुझसे कह देना। मैंने कहा जी शर्मा जी यदि मुझे पैसों की आवश्यकता होगी तो मैं आपको जरूर कह दूंगा। मैंने उनसे पूछा आप सुनाइए आपके घर में सब लोग कैसे हैं? वह अपनी आप बीती सुनाने लगे और कहने लगे घर में तो स्थिति बहुत ही बुरी है मेरे लड़के की पत्नी तो मुझसे ऐसे बात करती है जैसे वह मुझ पर एहसान कर रही हो। मैंने शर्मा जी की जैसे उस दिन दुखती पर हाथ रख दिया। उन्होंने तो अपने बेटे की पत्नी के बारे में सब कुछ बता दिया और कहने लगे मैंने तो बहुत गलती की जो उसका रिश्ता अपने लड़के से करवा दिया। मुझे नहीं पता था कि वह इतनी ज्यादा आलसी है और काम करने से अपना जी चुराती है यदि उससे कुछ भी कह दो तो वह कहती है कि आप खुद ही कर लीजिए। जब मैंने यह बात सुनी तो मैंने उनसे कहा ऐसी स्थिति में तो मैं भी शादी नहीं करना चाहता और यदि मुझे भी ऐसी ही लड़की मिलेगी तो मैं तो उससे कभी भी शादी नहीं करूंगा। शर्मा जी कहने लगे बेटा आजकल का समाज बदल गया है और सब लोग अपने सुख सुविधा के बारे में सोचते है। मैंने उन्हें कहा ऐसी बात नहीं है आप तो बड़े ही अच्छे और सज्जन व्यक्ति हैं यदि आपकी बहू आपके साथ ऐसा व्यवहार कर रही हैं तो यह बिल्कुल ही उचित नहीं है और आगे चल कल शायद उनके लिए भी अच्छा नहीं होगा। शर्मा जी उस दिन काफी देर तक मेरे साथ बैठे रहे और हम दोनों उस दिन काफी देर तक बाते करते रहे। जब वह चले गए तो उसके कुछ समय बाद मैं भी घर आ गया क्योंकि मेरा भी मन नहीं लग रहा था। मैं दो दिन बाद जब दवाई लेने गया तो वहां पर एक नई लड़की थी। मैंने उससे कहा कि मैंने यह दवाई मंगवाई थी क्या यह दवाई आ गई? वह कहने लगी रुकिए मैं आपको देखकर बता देती हूं।

उसने मुझे देखकर बताया तो उन्होंने वह दवाई मंगवा दी थी। मैंने उसे पैसे दिए और वापस अपने घर आकर वह दवाई अपनी मम्मी के पास दे दी। मेरा अक्सर दवाई के सिलसिले में मेडिकल स्टोर में जाना होता था इसलिए मेरा रूपल के साथ भी परिचय हो गया। रुपल एक पढ़ी-लिखी लड़की है और वह सिर्फ अपना खर्चा चलाने के लिए वहां नौकरी कर रही है। एक दिन मैंने उससे कहा तुम तो बहुत अच्छी पढ़ी-लिखी हो। तुम किसी अच्छी जगह नौकरी क्यों नहीं देख लेती? वह मुझे कहने लगी मेरा घर यहीं पास में है इसलिए मैं ज्यादा दूर नहीं जा सकती और मेरे पिताजी मुझे कहीं बाहर भी नहीं जाने देते इसी वजह से सोचा की खाली बैठने से तो यहां नौकरी कर लेती हूं। मैंने कहा चलो यह तो अच्छी बात है कि तुम अपने परिवार के बारे में सोचती हो। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे ही मेरी बातचीत रूपल से अच्छी होने लगी। रुपल को भी मेरे पिताजी के बारे में पता चल चुका था। वह मुझे कहने लगी आप तो बड़े ही हिम्मतवाले हैं जो अपने पिताजी का इतना खर्चा उठा रहे हैं। मैंने उसे कहा यह तो मेरा फर्ज है मैं इन चीजों से मुंह थोड़ी मोड़ सकता हूं वह मेरी बातों से बड़ी इंप्रेस हो जाती है। एक दिन शायद उसकी चूत में खुजली हो रही थी उसने मुझे कहा क्या आज आप मुझे घर छोड़ सकते हैं। मैंने उसे कहा तुम्हारा घर तो यही पास में है लेकिन उस दिन वह मुझे अपने घर लेकर जाना चाहती थी क्योंकि उसकी चूत उस दिन मेरे लंड के लिए फड़फड़ा रही थी।

मैं उसे उसके घर छोड़ने चला गया उसके घर पर कोई नहीं था हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो वह अपने स्तनों पर बार बार हाथ लगाकर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखती। उसकी नजरों से मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे यह मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती हो। मैंने भी अपने लंड को बाहर निकाल दिया जब उसने मेरे लंड को देखा तो वह मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी। मैंने उसे कहा रूपल मैं तो तुम्हें बड़ी शरीफ लड़की समझता था लेकिन तुम तो बड़ी ही ठरकी हो। वह मुझे कहने लगी मेरा भी तो दिल है और कभी मेरा मन भी करता है मैं किसी के साथ संभोग करूं लेकिन मेरे पापा की वजह से आज तक मैंने कभी भी किसी लड़के से बात नहीं की और आपको देखकर मुझे लगा कि मुझे अपनी इच्छा आपसे पूरी करवा लेनी चाहिए। यह कहते हुए उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया। वह मेरे लंड को सकिंग करने लगी जब वह मेरे लंड को चूस रही थी तो मेरे अंदर से भी जोश पैदा होने लगा। उसने मेरे लंड को अपने मुंह से निकालते हुए कहा आपका लंड बड़ा ही मजेदार है इसे मुझे अपनी चूत में लेने में बहुत आनंद आएगा। मैंने उससे पूछा क्या तुमने आज तक कभी किसी से अपनी चूत मरवाई है? वह कहने लगी हां मेरे चाचा ने मुझे चोदा है लेकिन अब वह यहां नहीं रहते इसलिए मेरी खुजली कोई नहीं मिटा पाता। मैंने जब उसे नंगा किया तो उसके बदन को देखकर में पूरे जोश में आ गया। मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसकी योनि बड़ी टाइट थी। जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर बाहर होता तो उसे भी मजा आ जाता वह भी मेरा पूरा साथ दे रही लेकिन उसके चूत मारकर मुझे बड़ा मजा आया। उसके बाद तो जैसे वह मेरा परमानेंट जुगाड़ बन गई हो जब भी उसका मन होता तो वह मुझे फोन कर दिया करती या फिर मैं उसके पास ही चला जाता। हम दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं एक दिन उसने मुझे बताया कि मेरे परिवार वालों ने मेरा रिश्ता कहीं करवा दिया है। मैंने उसे कहा क्या तुम उसके बाद भी मेरे साथ सेक्स संबंध बनाओगी। वह मुझे कहने लगी अब तो मुझे तुम्हारे लंड की आदत पड़ चुकी है और तुम्हारा लंड के बिना तो मैं एक पल भी नहीं रह सकती। वह मेरे साथ जमकर सेक्स करती है। एक बार मैं उसे दुकान में चोद रहा था उस दिन शर्मा जी भी आ गए और उन्होंने मुझे उसके साथ संभोग करते हुए देख लिया था।