मेरा नाम रंजीत है मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 45 वर्ष है। मैं कंस्ट्रक्शन का काम करवाता हूं और मेरी कंपनी भी है। मैंने इस काम के लिए काफी मेहनत की और काफी समय बाद मुझे इसमें सफलता मिली। मेरी शादी को भी 20 वर्ष हो चुके हैं। अब मेरे बच्चे भी कॉलेज जाने लगे हैं और मैं अपने काम के चलते अपने जीवन को कभी अच्छे से जी नहीं पाया। मैं सिर्फ अपने काम के लिए ही अपने आप से दूर जा रहा था। अब इस उम्र में आकर मुझे लगने लगा कि मुझे अपने लिए तो थोड़ा समय निकालना ही चाहिए और कहीं घूमने जाना चाहिए।
मैं अपने ऑफिस में ही बैठा हुआ था। मैंने अपने छोटे भाई अजीत को फोन कर दिया। अजीत का भी कपड़ों का कारोबार है और उसका काम भी अच्छा चलता है। मैंने जब अजीत को फोन किया तो अजीत मुझे कहने लगा हां भैया कहिए आज आपने फोन कैसे कर दिया। मैंने अजीत से कहा बस सोचा आज तुम्हें याद कर लिया जाए। तुम तो अब याद ही नहीं करते तो मैंने ही तुम्हें फोन कर के परेशान कर दिया। वह कहने लगा भैया ऐसी कोई बात नहीं है आप तो जानते हैं कि काम से बिलकुल फुर्सत ही नहीं मिलती यदि खुद काम ना देखो तो परेशानी हो जाती है। मैंने कहा हां तुम यह तो बिल्कुल सही कह रहे हो। अजीत मुझसे कहने लगा मुझे आपने कैसे फोन किया। क्या कुछ काम था? मैंने उससे कहा मैं सोच रहा हूं कि कहीं घूमने चलते हैं। वह कहने लगा ठीक है मैं आज ही घर जाकर अपनी पत्नी से इस बारे में बात कर लेता हूं। मैंने उसे कहा तुम्हें अपनी पत्नी से बात किसलिए करनी है। मैं सोच रहा हूं कि हम लोग कहीं घूमने चलते हैं। वह कहने लगा कि अरे भैया बिना बच्चों के कहां घूमने जाएंगे? मैंने कहा फिर भी तुम कोशिश करो और थोड़ा समय निकाल लो। वह कहने लगा ठीक है मैं आपको कल बताता हूं। आज थोड़ा काम ज्यादा है। उसने फोन रख दिया फिर मैं भी अपने काम के सिलसिले में अपने पुराने दोस्त के पास चला गया। मैं जब अपने दोस्त से मिला तो उसके साथ ही मेरा पूरा दिन चला गया और जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने अपना हाथ मुँह धोते हुए खाना खाया और अपने कमरे में जाकर लेट गया। अगले ही सुबह अजीत का फोन आया वह कहने लगा। भैया घूमने का तो ठीक है लेकिन हमारे साथ और कौन-कौन जाएगा? मैंने अजीत से कहा मेरे कुछ पुराने दोस्त हैं। वह हमारे साथ लोग चलेंगे।
अजीत मुझसे पूछने लगा भैया लेकिन हम लोग घूमने कहां जाने वाले हैं? मैंने उसे कहा मेरे एक दोस्त ने मनाली में एक प्रॉपर्टी ली है और वह मुझे कह रहा था कि हम लोग वहीं घूमने चलते हैं। वह हमने लगा ठीक है तो फिर हमें कब निकलना है? मैंने अजीत से कहा भाई जब तुम्हें लगता है तब तुम मुझे बता देना। हम लोग उसके दो-तीन दिन बाद ही निकल जाएंगे। यह कहते हुए अजीत ने फोन रखा और मैं भी फ्रेश होकर अपने ऑफिस निकल गया। मैं जब अपने ऑफिस पहुंचा तो मेरे एक पुराने मित्र जगदीश का फोन आ गया। जगदीश से मैंने कहा भाई तुम्हें मैं फोन करने ही वाला था तब तक तुम्हारा फोन आ गया। लगता है तुम्हारी उम्र सौ वर्ष ऊपर है। वह कहने लगा तुम ऐसे मजाक मत किया करो। तुम्हें मालूम है दारू पी कर तो मेरी हालत खराब हो चुकी है और मैं अब बीमार भी रहने लगा हूं और तुम मुझे कह रहे हो कि मैं सौ वर्ष जिऊंगा। ऐसी झूठी बातें मुझे मत कहा करो। मैं थोड़े वर्ष भी जिऊंगा तो अपनी जिंदगी को एंजॉय करके जीना चाहता हूं। मैंने उसे कहा इसीलिए तो मैं तुम्हें फोन करने वाला था। वह कहने लगा बताओ क्या काम है? मैंने उसे कहा क्या तुम रमेश को जानते हो? वह कहने लगा क्या तुम उसी रमेश की बात कर रहे हो जो तुम्हारे पड़ोस में रहता है। मैंने जगदीश से कहा हां वहीं रमेश। उसने मनाली में प्रॉपर्टी ली है और वह काफी समय से मुझे अपने पास बुला रहा है। मैंने सोचा कि तुम्हें भी अपने साथ लेकर चलूँ। जगदीश कहने लगा तो फिर देरी किस चीज की है हम लोग जल्दी से वहां चलते हैं। मैंने जगदीश को कहा मेरे छोटे भाई अजीत का अभी थोड़ा काम है। वह जैसे ही अपना काम निपटा लेता है तो हम लोग मनाली के लिए निकल पड़ते हैं। जगदीश कहने लगा तो तुम मुझे जल्दी बताना मैं अपना सामान पैक कर लूंगा। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हें जल्दी ही बोलूंगा। तीन-चार दिनों बाद मेरे भाई अजीत का फोन आ गया और वह कहने लगा भैया मैं अब फ्री हो चुका हूं।
मैंने भी तुरंत जगदीश को फोन कर दिया और हम लोग मनाली के लिए निकल पड़े। रमेश भी हमारे साथ ही था। जैसे ही हम लोग मनाली पहुंचे तो रमेश कहने लगा यह प्रॉपर्टी बिल्कुल जंगल के बीचोबीच है वहां पर बहुत ही शांति है। मैंने रमेश से कहा अरे यार तुमने तो बड़ी जबरदस्त प्रॉपर्टी ली है। रमेश कहने लगा मुझे तो यह बहुत सस्ते दामों में मिल गई। जिस व्यक्ति ने मुझे यह प्रोपर्टी बेची उसे पैसों की सख्त जरूरत थी इसीलिए मैंने उससे यह प्रोपर्टी खरीद ली। वहां पर रमेश ने सारा कुछ बंदोबस्त किया हुआ था। वहां उसने दो तीन नौकर भी रखे हुए थे जो कि वहां पर साफ-सफाई का काम कर रहे थे। हम लोग जैसे अंदर पहुंचे तो अंदर पहुंचते ही जगदीश ने अपने बैग से बोतल निकाल ली और कहने लगा की एक एक शराब के पैग तो बनते हैं। हमने भी कहा कि चलो घूमने आए हैं तो सब लोग पी ही लेते हैं। हम लोगों ने एक एक शराब के पैक मारे और उसके बाद हम लोग अपनी जिंदगी के बारे में बात करने लगे। मैंने कहा यार काफी दिनों से मैं सोच रहा था कि कहीं अकेले ही घूमने का प्लान बनाया जाए इसीलिए तो अजीत और तुम्हें मैंने घूमने के लिए कहा। जगदीश कहने लगा यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने इस बहाने कम से कम हमें याद तो किया।
जगदीश कहने लगा शराब तो हो चुकी है लेकिन शबाब भी मिल जाए तो मजा आ जाए। रमेश कहने लगा यहां पर सारी कुछ व्यवस्था है आप बस हुकुम कीजिए। उसने कहा तो फिर देरी किस चीज की है जल्दी से मंगवा दो। रमेश ने भी एक फोन घुमाया और उसके 1 घंटे बाद एक मदमस्त हसीना आ गई। जब उस लड़की के बदन को हम सब ने देखा तो हमारी आंखें फटी की फटी रह गई। रमेश कहने लगा मुझे भी नहीं पता था कि कल्लू इतनी सुंदर माल भेज देगा। हम चारों के बीच में बैठी हुई थी। हम चारों के हाथ उस पर जब टच होते तो मजा आ जाता। वह कहने लगी क्या आप सिर्फ बात ही करते रहोगे या फिर कुछ और भी करोगे। जब उसने यह बात कही तो मैं उसे कमरे के अंदर लेकर गया जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसका फिगर देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है वह कहने लगी मेरा नाम प्रिया है। मैंने जैसे ही अपने हाथ को उसके स्तनों पर लगाया तो उसके स्तनों से लालिमा बाहर की तरफ निकलने लगी। उसके गाल तो जैसे मीठे सेब थे मैंने उसके होंठो को बहुत देर तक किस किया मुझे बड़ा आनंद आने लगा में काफी देर तक उसके साथ ऐसा ही करता रहा। जब मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा और उसे भी बहुत मजा आ रहा था। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेते हुए सकिंग करना शुरू कर दिया। वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से सकिंग करती रही उसने मेरे लंड को 2 मिनट चूसा लेकिन उन 2 मिनट में मुझे बहुत मजा आ गया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगाया तो वह कहने लगी आप पूरे जोश से मेरे साथ सेक्स कीजिए। मैंने भी उसकी चिकनी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में गया तो वह खुश हो गई। मैं उसके दोनों पैरों को पकड़ते हुए उस पर जैसे टूट पड़ा मैंने इतनी तेज गति से उसे चोदना शुरू किया कि उसका बदन हिलने लगता। मैं उसके स्तनों को भी अपने हाथ से दबाने लगा वह अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी और हम दोनों की सांसें चढ़ने लगी थी। मुझे बहुत आनंद आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आ रहा था मैं उसके हुस्न का जाम 3 मिनट तक पी पाया। जैसे ही मेरा वीर्य पतन उसकी चूत के अंदर हुआ तो मुझे बहुत मजा आया तब तक जगदीश बाहर दरवाजा खटखटाने लगा और कहने लगा भाईसाहब हमें भी आने दो। मेरे बाद जगदीश रूम मे गया। जगदीश ने तो उसे बड़े अच्छे से चोदा जगदीश एक घंटे तक कमरे से बाहर नहीं निकला। उसके बाद मेरे भाई और रमेश ने भी उसके हुस्न का जाम पिया हम लोगों ने उसे अपने पास 4 दिनों तक रखा और 4 दिनों में उसकी चूत का जो हमने आनंद लिया मुझे ऐसा लगा जैसे कि मेरा जीवन सफल हो गया हो।