मेरा नाम राजीव है और मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 32 वर्ष है और हम लोगों के पास बहुत ही प्रॉपर्टी है जिसकी वजह से मैं अब प्रॉपर्टी का काम ही करता हूं। मैंने कई जगह पर अपने घर किराए पर दिए हुए हैं जिनसे कि मुझे बहुत किराया आता है और उनसे ही मेरा घर का खर्चा चल जाता है। मैं घर में इकलौता हूं इस वजह से ही सब मेरा ही है क्योंकि मेरे पिता जी ने बहुत सारी प्रॉपर्टी खरीद ली थी लेकिन उस वक्त जहां पर उन्होंने जमीन खरीदी थी वहां पर पूरा गांव का एरिया था लेकिन धीरे-धीरे जब वहां पर लोग आने लगे तो वहां का एरिया ही बदल गया। वहां पर एक बहुत बड़ी कॉलोनी है इस वजह से उस जगह से मुझे बहुत ही अच्छा किराया आ जाता है। मैं बहुत खुश हूं क्योंकि उन पैसों से मेरा घर चलता है। मेरी शादी को अभी अभी मात्र दो वर्ष हुए हैं।
मेरी पत्नी और मेरे बीच में बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं। मैं उसे शादी के कुछ समय बाद ही घुमाने के लिए विदेश ले गया था। वह बहुत ही खुश थी जब मैं उसे विदेश ले गया। मैं भी अपने जीवन में पहली बार ही विदेश गया था इसलिए मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि वहां की जिंदगी बहुत अच्छी है और विदेश में घूमना मुझे बहुत अच्छा लगता है, उसके बाद से तो मैं हर वर्ष घूमने के लिए चला जाता हूं। मेरे पिताजी अब बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं और वह घर पर ही रहते हैं। उनसे बिल्कुल भी चला नहीं जाता इसलिए वह बिस्तर पर ही रहते हैं और मेरी पत्नी उनका बहुत ख्याल रखती हैं। हम लोग घर में सिर्फ तीन ही सदस्य हैं, मेरी मां का देहांत काफी समय पहले ही हो चुका है। मेरे पास किराए से ही बहुत पैसा आ जाता है इसलिए मैं सोचने लगा कि क्यों ना मैं कहीं पर कुछ नया काम शुरू कर लू इसलिए मैंने कुछ नई प्रॉपर्टी खरीद ली और उस पर मैं कोई ऑफिस खोलना चाहता था लेकिन मुझे उस प्रॉपर्टी में बिल्कुल भी फायदा नहीं हुआ और मुझे उस प्रॉपर्टी में बहुत ही नुकसान झेलना पड़ा क्योंकि जिस जगह पर मैंने वह प्रॉपर्टी ली थी, उस जगह के ऊपर से फ्लाईओवर बन गया जिस वजह से उस एरिया में लोग नहीं आते और वहां की प्रॉपर्टी के रेट बहुत गिर गए इसलिए मैंने वहां पर अपना मन बदल लिया और मैंने सोचा कि अब यहां पर कोई भी काम खोलकर फायदा नहीं है।
मैं उसी बीच में सोचने लगा की मैं यह प्रोपर्टी बेच देता हूं, लेकिन मुझे कोई उसका खरीदार नहीं मिल रहा था जो उसका मुझे सही रेट दे पाता, यदि वह प्रॉपर्टी बिक जाती तो मैं उस पैसे को कहीं और लगा देता या किसी और दूसरी जगह प्रॉपर्टी खरीद लेता लेकिन वह मेरे गले की हड्डी बन चुकी थी और कहीं भी निकल नहीं रही थी। मैंने उसके लिए बैंक से कुछ पैसे भी लिए थे जिसकी किस्त हर महीने मैं भर रहा था। मैंने कई ब्रोकरों से भी बात की, कि यदि वह मेरी प्रॉपर्टी निकाल देते हैं तो मैं उन्हें उसका अच्छा पैसा दूंगा लेकिन मेरी प्रॉपर्टी कहीं भी निकल नहीं रही थी और मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। एक दिन मुझे एक ब्रोकर मिले और वह कहने लगे कि मैं आपकी प्रॉपर्टी को निकलवा दूंगा यदि आप मुझे उसके बदले अच्छे पैसे दे तो। मैंने उन्हें कहा कि यदि आप वह प्रॉपर्टी निकलवा देते हैं तो मैं उसके बदले आपको उसका अच्छा पैसा दे दूंगा। उन्होंने उस प्रॉपर्टी का सौदा करवा दिया और वह प्रापर्टी निकल गई। मैंने वह पैसे बैंक में दे दिया और अपना सारा लोन चुकता कर दिया। मैं अपने काम में ही बिजी था और कुछ नया करने की सोच रहा था लेकिन मुझे कहीं ऐसा कुछ नहीं मिल रहा था कि मैं कुछ नया कर सकू। मेरे घर का ऊपर का कमरा खाली था तो मेरे पास एक दिन एक लड़का आया और कहने लगा कि मैं कॉलेज में पढ़ाई करता हूं, मुझे किसी ने बताया कि आपके घर पर कमरा खाली है यदि वह खाली है तो क्या आप वह मुझे किराए पर दे सकते हैं। मैंने उसे कहा कि हां कमरा तो खाली है। मैंने जब उसे वह कमरा दिखाया तो वह कहने लगा कि ठीक है मैं कुछ दिन बाद यहां पर शिफ्ट कर लूंगा। मैंने उसे कहा कि तुम कब आओगे, वह कहने लगा कि मैं दो दिन बाद शिफ्ट कर लूंगा। अब उसने मेरे घर पर अपना सामान रखवा दिया। उस लड़के का नाम सूरज है और जब उसने हमारे घर पर सामान रखा तो मैंने भी उसकी बहुत मदद की, वह मुझे भैया कहकर बुलाता था।
वह कहता कि आप बहुत ही अच्छे हैं। मैं जब भी घर पर नहीं होता तो सूरज मेरे घर पर बहुत ही मदद कर दिया करता था क्योंकि उसे पता था कि मेरे पिताजी की तबीयत ठीक नहीं रहती इसलिए मेरी पत्नी उसे जब भी कुछ सामान के लिए कहती तो वह तुरंत ही वह सामान ले आता, जिस वजह से मेरी पत्नी सूरज की बहुत ही तारीफ करती थी और कहती थी कि वह बहुत ही अच्छा लड़का है। सूरज वाकई में बहुत अच्छा लड़का है क्योंकि वह जिस प्रकार से हमारे घर पर रहता था हमें कभी भी उससे कोई दिक्कत नहीं हुई। वह बहुत ही सीधा और सिंपल किस्म का लड़का है। एक दिन वह मेरे पास आया और कहने लगा कि यदि आपकी नजर में कहीं कोई पार्ट टाइम नौकरी हो तो आप मुझे बता दीजिए क्योंकि मेरे पास काफी समय बच जाता है जिस वजह से मैं सोच रहा हूं कि कोई पार्ट टाइम नौकरी कर लूं। मैंने उसे कहा कि मैं भी कुछ समय बाद कुछ नया काम खोलने की सोच रहा हूं यदि तुम वहां पर अपना समय दे पाओ तो मैं उस काम को अगले महीने से पहले ही शुरू करवा दूंगा। जब मैंने सूरज से यह बात कही तो वह मेरी बात सुनकर बहुत खुश हुआ और वह मेरे साथ ही काम पर लग गया। मैंने उसे वह जगह दिखाई जहां पर मुझे ऑफिस खोलना था, वो कहने लगा, यह हो तो घर से बहुत नजदीक है, यहां पर मेरे लिए भी सुविधा हो जाएगी क्योंकि मैं भी कॉलेज से आने के बाद सीधे ऑफिस आ जाया करूंगा और उसके बाद घर वापिस आपके साथ ही चले जाया करूंगा। मैंने अब वो ऑफिस खोल दिया था।
मैंने उसमें कुछ लड़के और लड़कियां भी काम पर रख दी थी। सूरज भी पार्ट टाइम नौकरी करने लगा और उसे काम करते हुए काफी समय हो चुका था। वह बहुत ही अच्छे से काम कर रहा था और हमारे घर पर भी उसका व्यवहार बहुत अच्छा था, वह हमारे घर पर हमारे फैमिली मेंबर की तरह ही रहता है। मैं और सूरज एक दिन ऑफिस में बैठे हुए थे तो वह कहने लगा कि मेरे फैमिली वाले कुछ दिनों के लिए यहां पर आने वाले हैं, मैंने उसे कहा कि यह तो बहुत ही अच्छी बात है। अब उसके घर वाले कुछ दिनों के लिए आ चुके थे। उसने अपने माता-पिता और अपनी छोटी बहन से हमे मिलवाया। उसके माता-पिता का व्यवहार बहुत ही अच्छा था और उसकी बहन का स्कूल पूरा हो चुका था इसलिए वह यहां पर कॉलेज की पढ़ाई करने के लिए सूरज के साथ ही रहने वाली थी। सूरज ने यह बात मुझसे कही तो मैंने उसे कहा कि यह तो तुम्हारा घर ही है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। उसकी बहन का नाम रचना है और वह बहुत ही अच्छी लड़की है, उसके माता-पिता भी कुछ दिनों तक हमारे घर पर ही थे और वह लोग हमसे मिलकर बहुत खुश हुए और मुझे भी उनसे मिलकर बहुत खुशी हुई। मैंने भी उन्हें कहा सूरज बहुत ही मेहनती और ईमानदार लड़का है। सूरज मुझे बहुत ज्यादा आदर और सम्मान देता था और वह मेरे ऑफिस का काम भी बखूबी संभाल रहा था। मुझे बिल्कुल भी चिंता नहीं थी क्योंकि सूरज अब सारा काम समभलने लगा था और रचना भी उसके साथ ही रहने लगी थी। एक दिन में जल्दी घर आ गया और सूरज उस दिन काम पर ही था। उस दिन मैं जब घर आया तो मुझे रचना दिख गई वह ऊपर सीढ़ियो में खड़ी थी और मैं नीचे से उसे देख रहा था उसने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था और उसकी योनि मुझे साफ दिखाई दे रही थी। वह मुझसे पूछने लगी कि सूरज अभी आया नहीं मैंने उसे कहा नहीं वह कुछ देर बाद आएगा लेकिन मैं उसकी योनि को ही देख रहा था।
मैं जब ऊपर उसके रूम में गया तो वह बैठ कर पढ़ाई कर रही थी मैं उसके बगल में ही बैठ गया। मैंने जैसे ही उसके चिकने और मुलायम पैर पर हाथ रखा था तो वह पूरे मूड में आ गई। मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए धीरे-धीरे उसकी योनि मैं जैसे ही अपना हाथ टच किया तो वह पूरे मूड में आ गई। वह मेरा पूरा साथ देने लगी उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ निकल रहा था और मैंने उसकी स्कर्ट के ऊपर उठाते हुए उसकी योनि को चाटना शुरू कर दिया। मैं उसकी योनि को बहुत ही अच्छे से चाट रहा था उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ निकल रहा था मुझसे बिल्कुल रहा नहीं गया और मैंने भी उसे उसके बिस्तर पर लेटाते हुए जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी। मेरा लंड उसकी योनि के पूरे अंदर तक जा चुका था उसकी चूत से खून बाहर की तरफ निकल पड़ा और मैंने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया। मैंने उसे बड़ी तेजी से धक्के मारे वह भी मेरा पूरा साथ दे रहे थे मैं उसे बड़ी तेजी से चोदे जा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था जब मैं उसे चोद रहा था वह अपने मुंह से आवाज निकालने लगी वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसके पैरों को कसकर पकड़ लिया और उसे बड़ी तीव्र गति से धक्के दिए जिससे कि मै उसकी योनि की गर्मी को ज्यादा देर तक नहीं कर पाया और जैसे ही मेरा माल गिरने वाला था तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए रचना के मुंह में डाल दिया उसके मुंह के अंदर मेरा सारा वीर्य चला गया और वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी। काफी देर तक उसने मेरे लंड को ऐसे ही चूसा उसके बाद से मैं रचना की कमसिन चूत को हमेशा ही मारता हूं।