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दीदी की सहेली का चिकना बदन
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मेरा नाम अनिल है मैं जयपुर का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 27 वर्ष है। मैं अपने पिताजी के साथ ही उनके कारोबार में हाथ बढ़ाता हूं और मेरे पिताजी का काफी पुराना काम है, मैंने उनके साथ अभी एक वर्ष पहले ही काम करना शुरू किया है। वह मुझे हमेशा ही समझाते हैं कि बेटा तुम्हें ही अब आगे इस काम को संभालना है इसीलिए अब तुम काम में पूरी मेहनत किया करो और जितने भी लोगों के साथ मेरे संपर्क हैं उन सब से तुम मिलना शुरू कर दो यह तुम्हारे लिए आगे चलकर बहुत फायदेमंद होगा, मैंने उन्हें कहा जी पिता जी आप बिल्कुल भी चिंता ना कीजिए मैं आपके कारोबार को अच्छे से संभाल लूंगा। उन्हें मुझ पर बहुत ही भरोसा था लेकिन मेरा उनके साथ काम करने का मन नहीं होता था क्योंकि कई बार वह मुझे डांट भी देते थे, मुझे लगता था कि ऐसे तो मैं कभी भी काम नहीं सीख पाऊंगा परंतु मुझे यह भी पता था कि इस काम से मेरे पिताजी ने एक अच्छा मुकाम हासिल किया है और उनकी समाज में एक अच्छी सोच है इसलिए मैं उनके साथ जुड़ा हुआ था और उनके साथ ही मैं काम कर रहा था।

मैं बचपन से ना ही पढ़ने में अच्छा था और ना ही मुझे किसी के साथ भी ज्यादा बात करना अच्छा लगता था, मेरे माता-पिता मेरी बहन को बहुत प्यार करते हैं और वह लोग उसे बहुत ही अच्छा मानते हैं। मेरी बहन बचपन से ही पढ़ने में अच्छी थी इसीलिए वह स्कूल में टीचर हैं, मेरी बहन का नाम कावेरी है और वह मुझसे दो वर्ष ही बड़ी है। मेरी बहन के लिए काफी रिस्ते आने लगे हैं,  मेरी मम्मी और मेरे पापा मेरी बहन को हमेशा ही कहते हैं कि तुम शादी क्यों नहीं करती लेकिन मेरी दीदी कहती है कि अभी मुझे कुछ वक्त और चाहिए उसके बाद मैं शादी कर लूंगी। जब से उसकी नौकरी लगी है उसके बाद से तो उसकी इज्जत और भी बढ़ गई है और सब लोग उसकी बहुत ही रिस्पेक्ट करते हैं। मुझे भी कई बार लगता है कि मुझे भी बचपन से अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए था तभी सब लोग मुझ पर भी ध्यान देते लेकिन मेरी तो कोई भी इज्जत नहीं करता था और इसी वजह से मैं भी अपने काम में ही ध्यान देने लगा, मैं अपने पिताजी के साथ काम में अपना 100 प्रतिशत देने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझ में कहीं ना कहीं कमी थी।

एक दिन मेरी बहन की छुट्टी थी, उस दिन हम लोग भी सब घर पर ही थे, मेरे पापा कहने लगे कावेरी बेटा तुम अनिल को कुछ समझा दिया करो, उसकी तो समझ में कुछ बात ही नहीं आती है, मेरी बहन कहने लगी कि अनिल एक अच्छा लड़का है और वह धीरे धीरे काम सीख जाएगा,  आपको उसे थोड़ा वक्त और देना चाहिए। मुझे उस दिन लगा कि मेरी बहन मेरे बारे में कितना सोचती है और मेरा कितना ध्यान रखती है, मैंने उस दिन अपनी बहन से कहा कि आप मेरे बारे में इतना अच्छा सोचती हैं और मुझे लगता था कि आपकी वजह से मेरी कई बार इंसल्ट हो जाती है, मेरी बहन कहने लगी मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा मैं सिर्फ पढ़ाई में ही ध्यान देती थी इसलिए मैंने कभी तुम्हारे साथ बात नहीं की। हम लोगों की ज्यादा बातें भी नहीं हो पाई क्योंकि हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल ही अलग हैं, वह पढ़ने में अच्छी थी तो मेरे अंदर ऐसा कुछ भी नहीं है जो की मैं कह सकूं कि मैं यह काम अच्छे से कर पाऊँ, मैं काफी आलसी भी हूं। एक दिन मैं दुकान में बैठा हुआ था उस दिन मेरे पापा ने कहा कि मैं कहीं जा रहा हूं, तुम दुकान का काम संभाल लेना यदि तुम्हें कोई भी परेशानी हो तो तुम मुझे तुरंत फोन कर देना, मैंने उन्हें कहा ठीक है पापा मैं आपको फोन कर दूंगा। मेरे पापा वहां से चले गए उन्हें कुछ काम था, मेरे पिताजी के जाने के कुछ देर बाद कावेरी का फोन आया और वह कहने लगी कि मुझे एक जरूरी काम था क्या तुम मेरी मदद के लिए आ सकते हो, मैंने कावेरी से कहा हां कहो क्या काम था, वह कहने लगी मुझे तुम स्कूल लेने के लिए आ जाना, मैंने कहा ठीक है पापा भी कहीं गए हुए हैं जैसी ही वह आते हैं तो मैं तुम्हें फोन करता हूं। थोड़ी देर बाद पापा आ गए तो मैंने उन्हें कहा कि कावेरी दीदी ने मुझे अपने स्कूल में बुलाया है, उन्हें कुछ काम है, मेरे पापा कहने लगे ठीक है तुम चले जाओ।

मैं जब उस दिन दीदी के पास गया तो मैं उसके स्कूल में पहली बार ही गया था, मैंने अपनी दीदी के साथ एक सुंदर सी लड़की को देखा और मेरी नजरें उस से हट ही नहीं रही थी, मेरी दीदी ने कहा चलो तुम मुझे जल्दी घर ले चलो। मैं अपनी दीदी को अपने साथ घर ले आया और जब मैंने अपनी दीदी से उस लड़की का नाम पूछा तो दीदी कहने लगी उसका नाम ललिता है और वह बहुत अच्छी लड़की है, मैंने अपनी दीदी से कहा कि आप उससे मेरी बात करवा दीजिए, वह मुझे कहने लगी वह इस प्रकार की लड़की नहीं है। मैंने भी एक दिन अपनी दीदी के मोबाइल से ललिता का नंबर चोरी कर लिया और उसे मैसेजेस भेजने लगा, शुरू में तो उसका कोई रिप्लाई नहीं आया लेकिन बाद में उसका रिप्लाई आने लगा तो हम दोनों के बीच बातें होने लगी, मैंने उसे यह बात बता दी थी कि मैं कावेरी का भाई हूं। हम दोनों के बीच बातें होने लगी थी और मैंने ललिता को सेट भी कर लिया था लेकिन यह बात मेरी बहन को नहीं पता थी, हम दोनों के बीच फोन पर काफी बातें होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे हालांकि मेरी मुलाकात ललिता के साथ नहीं हुई थी।

एक दिन मैं दुकान में बैठा हुआ था, उस दिन मैंने उसे फोन कर दिया और कहा तुम मेरी दुकान पर आ जाओ, उस दिन पापा किसी रिलेटिव की शादी में गए हुए थे। मै ही दुकान का सारा काम संभाल रहा था। ललिता जब दुकान पर आई तो वह मुझे कहने लगी अच्छा तो यह तुम्हारी शॉप है। मैंने उसे कहा यह मेरी शॉप है, मैंने दुकान बंद कर दी मैं उसे अंदर के कमरे में ले गया, जब हम दोनों वहां बैठे हुए थे तो मैंने उसे अपनी बाहों में लेते हुए उसे किस कर लिया। उसका गदराया हुआ बदन जब मुझसे टकरा रहा था तो वह कहने लगी अच्छा तो तुमने मुझे इसी लिए बुलाया है। मैंने उसे कहा मैंने तुम्हें इसलिए बुलाया है, मैंने ललिता से कहा तुम मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ते हुए हिलाना शुरू कर दो। ललिता ने भी तेजी से मेरे लंड को हिलाय, कुछ देर तक उसने मेरे लंड को हिलाया लेकिन जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो मैं बहुत खुश हो गया, वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी उसने काफी देर तक मेरे लंड का रसपान किया। मैंने उससे पूछा क्या तुमने आज से पहले कभी भी किसी के साथ सेक्स किया है, वह कहने लगी हां पहले मैंने दो लड़कों के साथ सेक्स किया था। मैंने जब उसे नंगा किया तो उसका बदन देखकर मैं ज्यादा देर तक अपने आपको नहीं रोक पाया, मैंने काफी देर तक उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाया और मैंने उसके निप्पलो को अपने मुंह में लिया। मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा, मैं उसे रोकने लगा मैंने काफी देर तक उसके  निप्पल चूसे, जब वह मूड में हो गई तो मैंने उसे कहा, मैंने भी उसकी चूत को चाटा। जैसे ही मैंने अपने मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाला तो वह चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसे ही धक्के देते रहो। मैंने भी उसे बड़ी तेजी से झटके देने शुरू कर दिए, जिस प्रकार से मैंने उसे झटके दिए मुझे बहुत मजा आने लगा। वह मेरा पूरा साथ देने लगी, वह मुझे कहने लगी आप मुझे ऐसे ही चोदते रहो मुझे बहुत मजा आ रहा है। उसने अपने दोनों पैरों को उठाते हुए चौडा कर लिया और उसने अपने पैरों को इतना चौडा किया मैंने भी उसे उतने ही तेज गति से धक्के देना शुरू कर दिया। मैं जब उसे धक्के दे रहा था तो वह मेरा पूरा साथ देने लगी और कहने लगी तुम और भी तेजी से मुझे धक्के देते रहो, उसकी चूत इतनी ज्यादा चिकनी और टाइट थी कि मैं ज्यादा समय तक उसकी गर्मी को झेल नहीं पाया और जैसे ही मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर गिरा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैंने अपने लंड को उसकी योनि से बाहर निकाल लिया।

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