पड़ोस की शादीशुदा महिला की चूत को हरा-भरा कर दिया

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मेरा नाम अर्पित है। मैं मेरठ का रहने वाला हूं। मैं कंपनी में जॉब करता हूं, मैं जिस कंपनी में जॉब करता हूं उसी ने मुझे रहने के लिए घर भी दिया हुआ है। मैं अपने माता पिता के साथ ही वहां पर रहता हूं। हमारा गांव मेरठ के पास ही है इसीलिए कभी कबार मेरे माता-पिता घर चले जाते हैं और जब वह गांव जाते हैं तो मैं अकेला रहता था, मुझे खाना बनाने में बहुत ही तकलीफ होती है क्योंकि बचपन से ही मैं अपने माता पिता के साथ ही रहा इस वजह से मुझे खाना बनाने में बहुत ही दिक्कत होती है और मेरे घर में और कोई भी नहीं है इसलिए मुझे बाहर से खाना खा कर आना पड़ता है। मेरे पास भी थोड़े बहुत पैसे जमा हो चुके थे तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना अपना ही घर ले लूं। मैंने इस बारे में अपने पापा से भी बात की तो वह कहने लगे ठीक है यदि तुम नया घर लेना चाहते हो तो ले लो, वैसे भी तुम्हें आगे शादी करनी है इसलिए तुम्हें घर तो लेना ही पड़ेगा। उसी के चलते मैंने अब घर ले लिया। जब मैंने घर लिया तो, जो मेरी सेविंग थी मैंने उससे ही घर लिया था और कुछ बैंक से फाइनेंस करवा लिया।

मैं जहां रहता था मेरे सामने वाले घर में ही एक शादीशुदा महिला रहती थी, वह मुझे बहुत ही अच्छी लगती थी। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो ना जाने मुझे उन्हें देखकर कुछ होने लगा और ऐसा लगा मैं उन्हें देखता ही रहूं। उनका एक छोटा लड़का भी था उसकी उम्र 5 वर्ष के करीब होगी। मैं सिर्फ उन्हें देखता ही रहता था लेकिन मैंने उनसे कभी भी बात नहीं की। वह जब सुबह अपने बच्चों को स्कूल ले कर जाती तो मैं उन्हें हमेशा ही देखा करता था उस वक्त मैं अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहा होता था। मेरी मां उनके घर पर चली जाती थी क्योंकि उनकी सास और मेरी मां की उम्र लगभग बराबर ही थी इसलिए उन दोनों के बीच में काफी बातें होती थी। मैंने एक दिन अपनी मां से पूछ लिया कि उन महिला का नाम क्या है जो हमारे पड़ोस में रहते हैं, तो वह कहने लगी कि उनका नाम सुगंधा है और उनके पति विदेश में ही नौकरी करते हैं। मैं सोचने लगा कि मैं किस प्रकार से सुगंधा से बात करूं लेकिन मेरे पास ऐसा कोई भी जरिया नहीं था जिससे मैं उनसे बात कर सकता क्योंकि मेरा उनसे दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं था, मैं सिर्फ अपने ही काम में लगा हुआ रहता था और मैं ज्यादा किसी को जानता भी नहीं था परंतु उसके बावजूद भी मेरे दिल में उनके लिए कुछ न कुछ तो चल ही रहा था।

मैं सोचता की किस प्रकार से सुगंधा से बात करूं। एक दिन मुझे सुबह कहीं काम से जाना पड़ा तो उस दिन उनका बच्चा खेलते खेलते रोड पर चला गया और आगे से गाड़ी आ रही थी जो कि बहुत ही तेज गति में थी, मैंने उनके बच्चे का हाथ खींचते हुए रोड के इस तरफ कर लिया। वह मुझे कहने लगे कि आपका बहुत बहुत शुक्रिया यदि आप समय पर नहीं आते तो कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। आपने बड़ी दुर्घटना होने से बचा लिया, उसके लिए मैं आपका शुक्रिया करती हूं। अब मेरी सुगंधा से बात होने लगी थी और वह भी मुझसे बात करने लगी थी। मैं जब भी अपने ऑफिस जाता तो वह मुझे दिख जाती थी और मुझे देख कर मुस्कुरा देती थी, मुझे सुगंधा को देख कर बहुत ही अच्छा लगता था और उसे देख कर बहुत ही खुशी होती थी लेकिन मुझे डर था कि वह एक शादीशुदा महिला है यदि यह बात हमारे घर में पता चली तो मेरे मां और पापा मुझे बहुत ही डाटेंगे, इसलिए मैंने उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया। एक दिन सुगंधा पार्क में बैठी हुई थी और मैं भी उस दिन ऑफिस से जल्दी आ गया था। मैंने जब उसे पार्क में देखा तो मैं भी उसके बगल में जाकर बैठ गया। फिर मैंने उसे पूछा कि आप यहां पर हमेशा आती हैं। वह कहने लगी कि हां मैं शाम के समय में हमेशा ही पार्क में आ जाती हूं, इससे मेरा मन भी लगा रहता है और मेरा समय भी कट जाता है क्योंकि घर में मैं बहुत ही बोर हो रही होती हूं, घर में सुबह जितने भी काम होते हैं वह सब करने के बाद मैं फ्री रहती हूं। मैंने उन्हें कहा कि आप कोई जॉब क्यों नहीं कर लेती। वह कहने लगी कि शादी से पहले तो मैं जॉब करती थी परंतु जब से मेरी शादी हुई है उसके बाद मैंने जॉब छोड़ दी। मैंने कहा कि आपको जॉब करनी चाहिए।

वह कहने लगी कि मैं अभी इस बारे में सोच रही थी परंतु मेरी सास शायद मुझे उसके लिए मना कर दे क्योंकि उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती है इसलिए मुझे घर का सारा काम करना पड़ता है और मैं भी नहीं चाहती कि मैं काम में बिजी हो जाऊं और उन्हें मैं समय भी ना दे पाऊँ क्योंकि मेरे पति भी बाहर रहते हैं इसलिए मुझे ही उनकी देखभाल करनी पड़ती है। मैंने उन्हें कहा की फिर भी आप कोई पार्ट टाइम नौकरी तो कर ही सकती हैं। वह कहने लगी ठीक है मैं देखती हूं यदि तुम्हारी नजर में कोई ऐसी पार्ट टाइम नौकरी हो तो तुम मुझे बता देना। मेरी उनसे काफी देर तक बात हुई और अब हम दोनों की अक्सर बात हो जाया करते थी क्योंकि मैंने उनका फोन नंबर ले लिया था। अगले दिन मैंने उन्हें फोन करके कहा कि आप मेरे साथ घूमने चल सकती हो। वह कहने लगी कि ठीक है मैं आपके साथ घूमने चलती हूं। मैं उन्हें अपने साथ घुमाने के लिए ले आया। वह मेरे साथ बहुत ही खुश थी और अपने आप को बहुत कंफर्टेबल महसूस कर रही थी, उनके साथ में उनका बच्चा भी था। मैंने उनसे पूछा कि आपके पति आपको फोन करते हैं। वह कहने लगी कि हां वह मुझे हमेशा ही फोन कर देते हैं लेकिन कहीं ना कहीं मुझे उनकी कमी खलती रहती है और कई बार ऐसा लगता है कि काश वह मेरे पास होते तो कितना अच्छा होता परन्तु उन्हें अपना काम भी देखना है, हमारे घर के खर्चे भी सब वही उठाते हैं और हमारे पास कोई भी रास्ता नहीं है। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझने लगे थे और मेरा सुगंधा के साथ बहुत ही करीबी रिलेशन हो चुका था, उसे कभी भी कुछ समस्या होती तो वह मुझे बता दिया करती थी। मैंने सुगंधा के लिए एक जगह पर पार्ट टाइम नौकरी की बात भी कर ली थी, वह वहीं पर जाया करती थी और जब वहां से वह फ्री होती तो मुझे फोन कर दिया करती थी यदि मुझे कभी समय होता तो हम दोनों घूमने के लिए चले जाया करते थे।

मुझे उसके साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगाता था। वह मेरे साथ समय बिता कर बहुत ही खुश होती थी और कहती थी कि तुम्हारे साथ मुझे समय बिताना अच्छा लगने लगा है।  मुझे भी सुगंधा के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगने लगा था। वह भी अपनी जॉब से बहुत खुश थी क्योंकि वह भी ऐसी ही जॉब ढूंढ रही थी जहां वह अपने घर पर भी समय दे पाए। वह अब अपने घर पर भी पूरा समय दे पा रही थी और अपनी नौकरी भी कर रही थी। मैं जब भी ऑफिस से आता तो उसे फोन पर बात कर लिया करता था और वह भी मुझसे फोन पर बात करती थी। जिस दिन भी उसकी छुट्टी होती तो उस दिन हम लोग कहीं घूमने के लिए जाते थे, या फिर हम लोग कहिं डिनर पर चले जाते हैं। एक दिन मैंने उसे अपने दिल की बात कह दी लेकिन उसे थोड़ा बुरा लगा और वह कहने लगी कि मैं शादीशुदा हूं और मैं तुम से कैसे संबंध रख सकती हूं। हम लोग एक अच्छे दोस्त हैं हम लोगों को वहीं तक रहना चाहिए। मैंने उसे कहा कि मुझे भी पता है तुम शादीशुदा हो लेकिन मेरे दिल में जो बात थी मैंने वह तुमसे कह दिया बाकी तुम्हें सोचना है तुम्हें क्या करना है। उसने कहा कि मैं अपने पति को किसी भी हालत में नहीं छोड़ सकती क्योंकि वह बहुत ही अच्छे हैं। उसके बाद भी हम दोनों बात करते रहे और सुगंधा भी मुझसे बात करती थी।

एक दिन सुगंधा मेरे घर पर आ गई और उसे मेरे माता-पिता गांव गए हुए थे। वह कहने लगी कि तुम अकेले कैसे रहते हो। मैंने उसे कहा मुझे तो आदत सी हो चुकी है अकेले रहने की वह मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया जैसे ही मैंने उसके हाथ पकड़ा तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसे बहुत अच्छे से किस करने लगा। सुमन को बहुत ही अच्छा लग रहा था वह मेरा पूरा साथ देने लगी। जब मैंने उसे अपने बिस्तर पर लेटाया तो मैंने उसके सारे कपड़े खोल दिया। जब मैंने उसके सारे कपड़े खोले तो उसके स्तन बहुत ही टाइट थे। मैंने उसके स्तनों को जैसे ही अपने मुंह में लिया तो वह मचलने लगी और मैंने उसके चूचो को चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसके शरीर को बहुत अच्छे से चूसा।

मैंने उसकी योनि में जैसे ही अपनी जीभ को लगाया तो उसकी उत्तेजना पूरी बढ़ चुकी थी। मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी योनि के अंदर डाला तो वह मचलने लगी और अपने मुंह से आवाज निकालने लगी। मैं उसे बड़ी तेजी से झटके दे रहा था और वह मेरा पूरा साथ देने लगी वह अपने मुंह से बड़ी मादक आवाज निकालती जाती और अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर रही थी। मेरा भी लंड उसकी चूत के अंदर तक जा रहा था जिससे कि उसे बड़ा मजा आता और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। अब मैंने उसे घोडी बना दिया और घोड़ी बनाते ही मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया। मेरा लंड उसकी चूत के पूरे अंदर तक जा रहा था और उसकी चूतडे मुझसे टकरा रही थी जब उसकी चूतडे मुझसे टकराती तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता और वह भी अब अपने चूतडो को मुझसे मिलाने लगी। वह कहने लगी तुमने मेरे पति की कमी को पूरा कर दिया है इतने दिनों से मेरी चूत किसी ने मारी नहीं थी। जब उसने यह कहा तो मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा और बड़ी तेजी से चोद रहा था। उसका पूरा शरीर गरम हो गया था और मेरे लंड से भी गर्मी निकलने लगी मेरा माल उसकी योनि के अंदर ही गिर गया।