कॉलेज में मेरी वो जुगाड

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मेरा नाम अविनाश है। मैं कोलकाता के एक छोटे से शहर का रहने वाला हूं। मैं हिंदी माध्यम से पढ़ा हुआ लड़का हूं। मुझे अंग्रेजी में बहुत समस्याएं होती थी। इस वजह से मेरे पिता ने मेरा दाखिला कोलकाता के नामी कॉलेज मैं करवा दिया था। मेरे पिताजी चाहते थे मैं अपने जीवन में कुछ अच्छा करूं। शायद उन्होंने यही सोचकर मेरा दाखिला करवाया था। लेकिन मैं एक नंबर का नशेड़ी था। और ऊपर से मुझे गंदी सेक्स की लत थी। उन्होंने मुझे कई बार बाथरूम में मुठ मारते पकड़ा था। मैं कई बार अपने भाभियों को नंगे देखते हुए पकड़ा गया था। इस बात से वह बहुत आहत थे। क्योंकि मेरे दोनों भाई पोस्ट पर थे। बड़े भैया मेरे डॉक्टर थे और उनसे छोटे वाले सरकारी संस्थान पर बड़े पद पर कार्यरत थे। घर में मैं ही निकम्मा था। मेरी दोनों भाभीया भी एक नंबर की माल थी। मेरा उनको देखकर ही कई बार वीर्य निकल जाता था। हमारे मोहल्ले में भी मेरी दोनों भाभियों के कई आशिक थे। जो उन्हें अपनी छतों से देखा करते थे। क्योंकि उनके स्तंभ बड़े-बड़े थे। जिनको देखने के लिए सारे मोहल्ले के सारे ठरकी लौंडे छतों पर उनको देखा करते थे। दोष उन मोहल्ले वालों का भी नहीं था। भाभियों के स्तंभों के उभार इतने थे कि कोई भी पिघल सकता था। मैंने भी कई बार उन पर अपने हाथों का स्पर्श किया था। इस वजह से मेरे पिताजी मुझसे बहुत नाराज थे। उन्होंने मुझे कई बार रंगे हाथों पकड़ लिया था। एक बार तो मैंने अपनी भाभी के चूत में उंगली डाल दी थी। हंसती भी सारे मोहल्ले वालों को देखकर थी। मोहल्ले वाले भी दुविधा में थे साला किसको देगी।

अब इन सब भांग भोसड़ा से दूर मैं कोलकाता शहर में आ चुका था। देखते ही देखते पता भी नहीं चला कब कॉलेज के दिन बीते चले गए। लेकिन मुझ में कोई सुधार नहीं था। फर्स्ट ईयर में भी हमने सिर्फ दारू पी और लड़कियों को चोदा फिर क्या था सेकंड ईयर भी बीत गया। शायद थर्ड इयर का अंतिम सप्ताह चल रहा था ! एक शाम क्लास ख़त्म होने के बाद दूसरी मंजिल से कोई गीत गुनगुनाते नीचे उतर रहा था तभी किसी ने कहा – फलाने हॉल में ‘डीबेट’ होने वाला है । मन एकदम से ललचा गया । एक मित्र को कहा – यार , डीबेट में हिस्सा लेने का मन । उसने तड़ाक से जबाब दिया – अंग्रेज़ी में होगा , सोच लो । तब के दिनों या शायद आज भी उनदिनों के दोस्त मुझे ‘भाभीचोद’’ ही कहते हैं । नोटबुक को पीछे जींस में खोंसा और हॉल में प्रवेश किया ! कुछ दोस्तों ने उत्साह में जबाब दिया – ‘भाभीचोद’ आ गया ‘ ।डर था – निखील अग्रवाल से – जूनियर था – गजब का अंग्रेज़ी बोलता था – एकदम मुंबई के कॉन्वेंट की लड़की लोग जैसा पटर पटर। तेज भी था। पर मेरे बैच वाले साथ में थे – अब किस बात की देर – सीधे डायस पर माईक हाथ में लिया मैंने और पता नहीं क्या-क्या बोलने लगा। हॉल ठसाठस भरा हुआ ।सबसे पीछे मेरे बैच के ‘चौदह सरदार’ लम्बे चौड़े सीटी मारने लगे। मैंने उन्हें ‘थम्स अप’ इशारा किया और शुरू हो गया । क्या बोला और क्या नहीं बोला , कुछ नहीं पता लेकिन बोलते गया। सरदार पीछे से सीटी और तेज़ आवाज़। दस मिनट बाद शांत हुआ। मुझे वहां पर चूतो का कुछ झुंड दिखाई दिया। सारी की सारी एक से बढ़कर एक लग रही थी। मेरी नजर वहां पर एक चूत पर गढ गई। जैसे ही डिबेट खत्म हुई। हम सारे दोस्तों से निकल पड़े। क्योंकि हम सब पीछे थे इसलिए हमें आसानी हुई वहां से निकलने में फिर हम सारे दोस्त निखिल का इंतजार करने लगे।

निखील को प्रथम और सरदारों के हल्ला गुल्ला की वजह से मुझे सेकंड चुना गया। सब दोस्त यार साथ में ढाबा गए – चाय सिगरेट। उस झुण्ड में वैसे भी बैचमेट थे जो ताली बजाने के बजाए हाल से बाहर निकल गए थे। हा हा हा हा।

महेंद्र ने मेरी बहुत मदद की जहाँ जहाँ पर कॉलेज के प्रोग्राम होते। मुझे खोज के साथ ले जाता। रास्ता भर समझाता – भाभीचोद ,घबराना नहीं , नेचुरल रहना , तुम जैसा कोई नहीं। उसके शब्द मेरे अन्दर गजब का कांफिडेंस पैदा करते। एक बार फाईनल ईयर में, पास के एक बहुत नामी कॉलेज में जाना हुआ – खुद नहीं पता कितने प्राईज़ जीते। गाड़फट गयी थी। अचानक से इतना फेमस हो गया – उसका अन्तिम दिन का अन्तिम प्रोग्राम मेरे नाम हो गया। लडके पागल हो गए थे। लेदर का जैकेट लहरा हवा मे लेहरा रहे थे। पता नहीं उनके गांड में कैसी मस्ती छाई हुई थी।

वो भी क्या दिन थे। कभी सूर्योदय नहीं देखा था। आराम से जागना। तब तक सारे रूममेट नदारत – वैसे दोस्तों की अनुपस्थिती में लड़कियों को रूम पर लाना और किसी को ना बताना कि मैंने उसकी ही गर्लफ्रेंड को चोदो, एक दो बार तो दोस्तों की बहन को भी चोदा। घनी मूछें ब्लू कलर डेनिम ढेर सारे पौकेट वाले शर्ट एक छोटा नोटबुक – पीछे खोंस के नुकीला तीन इंच हील वाला जूता। टक – टक करते हुए पांच मिनट देर से क्लासरूम में घुसना। ब्लैकबोर्ड को देखते हुए – सेकेण्डलास्ट बेंच पर जा कर बैठ जाना। कलम नदारत। क्लास की चूतो गाड़़ – रंडीयो से – पेन प्लीज़ … और एक साथ पांच जुगाड़ लोग का अपना बैग से एक्स्ट्रा पेन निकालना और टॉपर की पेन को ले लेना और बाकी की तरेरती नज़रों को मुस्कुरा कर देखना। फिर नोटबुक के पीछे – लड़कियों के चूचो,चूत,गाड़ की फोटो बनाना। पीछे की सीट पर लड़कियों को देखते हुए मुठ मारना। अगर पुरुष शिक्षक है तो – इगो क्लेश। महिला शिक्षक खुद मेरी क्षमता से ज्यादा मार्क्स। क्योंकि उन्हें मेरी क्षमता का भलीभांति पता था। क्योंकि मैं उनको कई बार कॉलेज के हॉल में चोद चुका था। एकदम गाय की तरह सीधा मुह बना के उनके सामने नज़रें झुका लेता था ! करुना भाव में न जाने कितने बार उनलोगों का मुझपर उपकार किया।

इन्टरनल / सेशनल परीक्षा के ठीक पहले – क्लास के फ्रंट बेंच वालों के रूम का चक्कर। यार , सिलेबस बता दो। यार नोट्स दे दो। हमारी क्लास में पूनम नाम की लड़की थी। जो कि मुझ पर बहुत फिदा थी पर मैंने कभी उसे भाव नहीं दिया। क्योंकि वह थोड़ी सांवली सी थी। परंतु मुझे पता नहीं था वह भी मुझे पसंद करती है। और वह फ्रेंड बेंच पर बैठते थी। पूनम मुझसे बोलने लगी अविनाश मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूं। मैंने कहा ठीक है। मैंने पूनम से कहा क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूं नोट लेने के लिए उसने एकदम से मना कर दिया और बोलने लगी मेरे घर मत आना मेरे पापा पुलिस में है और बहुत ही शक्की किस्म के आदमी हैं। पूनम बोलने लगी तुम ही बताओ कहां ठीक रहेगा। मैंने भी अपना दिमाग चलाया और बोलने लगा हॉस्टल में मेरे रूम में आ जाना। लगता है उसकी भी चूत से रिसाव हो रहा था। और मैं अपने सारे दोस्तों को बहाना बनाकर बाहर भेज दिया। इतने में पूनम भी मेरे कमरे में आ गई। पूनम ने वाइट कलर की शर्ट फ्रॉक पहन रखी थी। मैंने आज तक कभी भी उसे उस नजरों से देखा नहीं था। जैसे मेरी खराब होती जा रही थी। मैंने पूनम को बोला बैठो।

वह मेरे बगल में आकर बैठ गई। मैं बहुत पतला सा शॉर्ट पहना हुआ था जिसमें मेरे लंड का उभार साफ दिखाई दे रहा था। पूनम ने अपने हाथ में रखे नोट मेरी टेबल पर रख दीए। मैंने पूनम को कहा आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो। पूनम बोलने लगी मैं तो हमेशा ही सुंदर थी तुमने कभी देखा ही नहीं मुझे हमें समझ चुका था। चोदने का समय आ गया है। उसके बाद मैंने पूनम की स्कर्ट पर उसकी जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तो वह चुपचाप रही और कुछ बोली नहीं फिर देखते ही देखते वह भी मदहोश होती चली गई। मादक आवाज निकलाने लगी बोलने लगी मेरा गीला हो गया है। अब और मत तड़पाओ मैंने भी उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया। आप हो कुछ ज्यादा ही नशे में होने लगी थी। मैंने भी उसको अपना लंड पकड़ा दिया। और वह अपने हाथों से हिलाने लगी। मैंने भी उसको जमीन पर पटक दिया जमीन पर ही उसके निप्पलों से दूध को पीने लगा। फिर तो जैसे वह पागल हो गई। मैंने उसकी चूत मैं अपने लंड का समागम करवा दिया। और कुछ भी झटकों में अपना पानी वही छोड़ दिया। उसके बाद से पूनम मेरी पक्की जुगाड़ बन चुकी है। जब मेरे पास कोई नहीं होता तो मैं उसको बुला लेता हूं ।