हाय नी मेरा देवर

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हेलो रीडर्स. मैं अंजलि फ्रॉम जमशेदपूरे. मैं पहली बार इस साइट पर कुच्छ लिख रही हूँ. जो मैं बतने जा रही हूँ वो मेरे जीवन की घाटी हुई एक घतना है.


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मई 30 साल की एक सामानय फिगर की औरात हूँ, मेरे 2 बच्चे हैं. मेरी चुचियाँ बहुत बड़ी तो नही लेकिन हाँ इतनी मस्त तो ज़रूर है की मेरे देवर उन्हे मसल कर खुश हो जाते हैं और हमेशा उन्हे मसालने की कोसिस मे रहते है. मेरे देवर की उमर 33 साल है और वो गाव मे रहता है. वो जब भी आता है तो बस मेरे साथ च्चेरखनी कराता रहता है. मेरे देवर के साथ मेरी चुदाई की घतना उस वक़्त हुई जब मैं एक शादी अटेंड करने गाव गयी हुई थी.

शादी के दो दीनो के बाद ही मेरे पाती वापस लौट गये और मैं वहीं कुच्छ दीनो के लिए रुक गयी अचानक एक दिन मेरे सास ससुर को एक रिस्त्ेदार के यहाँ जाना परा. साम को उन्होने कॉल कर कह दिया की वी आज नही आएँगे. उस दिन हम सभी (मेरा मतलब है मैं , मेरे बच्चे, मेरे देवर और उनकी पत्नी) एक ही कमरे मे सोए. पलंग पर मेरी देवरानी उनके बच्चे और मेरी बेटी सोई. एक खाट पर मैं और मेरा बेटा और दूसरी खाट पर देवर जी. हम सभी सो रहे थे की अचानक मुझे मेरे पैरों पर कुच्छ हरकत सी महसूस हुई मैने आँखें खोला तो पूरा अंधेरा था.

देवर जी ने सारी लाइट्स बाँध कर दी थी. कुच्छ भी नही दिख रहा था. बस मेरे पैरों पर हरकत हो रही थी. मैं समझ गयी की ज़रूर देवर जी होंगे. वो धीरे धीरे मेरी सारी को उपर की तरफ उठा रहा था. मैं उनकी हाथों को च्छूराने के लिए ताक़त लगा रही थी. पर वो छ्होरना ही नही चाह रहा था. मैं चीख भी नही पा रही थी क्योंकि देवरानी की उतह जाने का दर था. अगर वो उतह जाती तो देवर जी के साथ मैं भी बदनाम हो जाती. मैं बस किसी तरह अपने पैरो को च्छुरा लेना चाहती थी.

लेकिन वो पूरी ताक़त से मेरी सारी को उपर की तरफ सरकए जा रहा था. उनका हाथ धीरे धीरे मेरी जांघों तक पहुँच गया और वो मेरी जांघों को हल्के हल्के दबाने लगा. मुझे भी अब मज़ा तो आ रहा था पर दर भी लग रहा था. उसके एक हाथ मेरे जांघों को सहला रहा था और दूसरे हाथ को उसने मेरे पेट पर रख कर सहलाने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ मेरी चुचियों की तरफ बढ़ने लगा. मैने उसका हाथ पाकारा तो भी उसका हाथ मेरी चुचियों तक पहुँच ही गया.

अब धीरे धीरे वो मेरी चुचियों को सहलाने लगा. मैं डर से कांप रही थी. की तभी देवरानी ने करवट बदली तो मेरे देवर जी हार्बारा कर वहाँ से उठकर अपने खत पर चला गया. मैने तब चैन की सांस ली. मेरी धरकने तेज हो गयी थी. मैने तुरंत अपने बेटे को सामने की तरफ सुला दिया और मैं दीवार की तरफ जाकर सो गयी. लेकिन कुच्छ देर बाद मेरा देवर फिर से आया और उसने मेरे बेटे को उतहकर अपने ख्हात पर सुला दिया और खुद मेरे खत पर आकर लेट गया.

मैने डराते हुए फुसफुसकर उनके कन मे बोली प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे काफ़ी दर लग रहा है. पर उन्होने मेरी बातों पर ध्यान नही दिया और मेरी चुचियों को ब्लाउस के अप्पर से ही दबाने लगा. फिर उसने मेरे ब्लाउस के हुक्स खोल दिए. मैं चीख भी नही पा रही थी और ना ही खुल कर मज़े ले पा रही थी. मेरे ब्लाउस के हुक्स खुलते ही मेरी दोनो नंगी चुचियों को उसने बड़े प्यार से मसाला शुरु किया. फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे पैरों तक गयाऔर मेरी सारी को अप्पर खींचने लगा. मैं उसे रोक नही पा रही थी. उसने मेरी सारी को मेरे पेट तक उतहा दिया और मैने उसके हंतो का एहसास अपने बुवर पर किया. मैं चड्डी नही पहनती हूँ, इसीलिए उसे मेरी नंगी बुवर हाथ लग गयी. वो मेरी बुवर को सहलाने लगा. मेरी बुवर तो पहले ही पानी पानी हो गयी थी. उसके हाथ लगते ही फूल कर रोटी बन गयी थी. उसने मेरी बुवर को सहलाते सहलाते अचानक अपनी उंगली मेरी बुवर मे डाल दी मेरे मूह से अब सिसकियाँ निकालने लगी थी.

लेकिन मैं उन्हे दबाने की पूरी कोसिस कर रही थी. पर मेरी सिसकियाँ रुक नही पा रही थी. उसने अपना एक हाथ मेरी चुचियों को मसालने मे लगाया हुआ था और दूसरी को मेरे बुवर पर रखकर मेरी बुवर को खोद रहा था. अचानक उसने अपना मूह मेरे चुचियों पर लगा दिया और मेरी चुचियों को चूसने लगा. मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था और उस मज़े मे एक दर भी था. देवर जी अंधेरे मे ही मेरी चुचियों को चूस रहा था और मेरे बुवर से खेल रहा था.

अचानक मैने फील किया उसने अपना पेंट उतार दिया है उसका लंड का एहसास मुझे अपने बुवर के पास हो रहा था. उसने अपने दोनो हाथों को मेरी पैरो के पास ले जाकर मेरी पैरों को सहलाते हुए फैला दिया और अपना लंड मेरे बुवर मे मुहाने पर सटा दिया. मैं डर रही थी की अब मैं अपनी चीख को कैसे रोकून. पर देवर जी पूर पक्के खिलरी थे उन्होने धीरे धीरे अपना लुंदड़ मेरी बुवर मे पेलने लगा. मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था. धीरे धीरे देवर जी ने लगातार छोड़ना जारी रखा मैं काफ़ी खुश हो रही थी. मैने उसे अपने बाहों मे जाकर लिया था.

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वो धीरे धीरे करीब 30 मिनिट तक मुझे लगातार छोड़ते रहे. और इन 30 मिनूने मे मैं 2 बार झार चुकी थी. अचानक उसने मुझे काफ़ी मजबूती से पाकर लिया और उसका सरीर झटके मरने लगा और उसने अपना सला माल मेरे बुवर मे ही डाल दिया और मेरे उपर निढाल हो कर सो गये. कुच्छ देर बाद मैने उसे उठाया और कहा की अपनी बिस्तर पर जाओ. वो चुपचाप उठकर अपने बिस्तर पर गया और मेरे बेटे को मेरे पास सुलकर खुद अपने बिस्तर पर जकर लेट गया.

मुझे उसकी इस चुदाई से काफ़ी मज़ा मिला था. पर अंधेरा होने के कारण और देवरानी के भी रहने के कारण जो मुझे मिलना चाहिए था वो नही मिल पाया. मैं उससे दुबारा छुड़वाना चाहती थी पर मौका नही था. दूसरे दिन मेरे सास ससुर आ गये. फिर तो मौके का कोई सवाल ही नही उठहता था. दूसरे दिन मैने देवर जी से पुचछा की तुमने ऐसा क्यों किया. तो उसने कहा की मैं उसे बहुत अच्च्ची लगती हूँ और वो मुझसे प्यार कराता है. मैने भी उससे कहा की तुमने जो मुझे सुख दिया उसके बाद से तो मैं भी तुम्हे प्यार करने लगी हूँ.

फिर कुच्छ दीनो बाद मैं वापस जमशेदपूरे आ गयी लेकिन आब मैं रोज अपने देवर से मोबाइल मे बातें करने लगी. और एक दिन देवर जी खुद जमशेदपूरे आ गये. दिन मे बच्चे साथ होते थे तो मैं उनसे दूर ही रहती थी क्योंकि वो मेरे पिच्चे ही पड़ा रहता था और रात मे मेरे पाती. लेकिन मेरे पाती और बच्चे रहने के बावजूद उसने मुझे फिर से चोदा मैने भी उसे प्यार से छोड़ने दिया लेकिन कैसे ये अगली बार बताउँगा.

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और अब तो वो जब भी जमशेदपूरे आता है तो वो मेरी जमकर चुदाई कराता है और मैं भी उससे बड़े प्यार से चुद़वति हूँ. सच मे काफ़ी मज़ा आता है