वादा

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स्वाती हॉस्पिटल के वेटिंग एरिया में बैठी अंकल का इंतेज़ार कर रही थी. उसके चेहरे से परेशानी के भाव सॉफ सॉफ पढ़े जा सकते थे. वो सोच रही थी की उसकी जिंदगी क्या बन गयी है. वो यहाँ क्या बनने आई थी और क्या बन कर रही गयी. क्या उसके नसीब में ख़ुसीयन नहीं हैं? क्या उसे हँसने का अधिकार नहीं है? क्या वो इसलिए ऐसी है क्यूंकी वो एक लड़की है? लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था. शायद वो जानना भी नहीं चाहती थी. पता नहीं क्यूँ लेकिन उसने हालातों से समझौता करना सीख लिया था.
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वो ये सब सोच ही रही थी की तभी अंकल अंदर आते हैं और बताते हैं “अभी अब ठीक है. हम तो घबरा ही गये थे. ये उसको तीसरा अटॅक आया था लेकिन तुम्हारी समझदारी और देखभाल से वो जल्दी ही ठीक हो गया.”

“कैसी बात कर रहे हैं अंकल. वो मेरे होने वाले पती हैं. मैं उनकी देखभाल नहीं करूँगी तो कौन करेगा.”
“बेटी तुमने मेरे सर से बहुत बड़ा बोझ उतार दिया है. मैं सोच रहा था जो इंसान अगले एक साल में इस दुनिया से विदा हो जाने वाला है, (कहते कहते अंकल की आँखों में आँसू आ जाते हैं) भला कौन ऐसी लड़की होगी जो, उसके लिए अपनी जिंदगी, अपनी ख़ुसीयन, अपना सब कुछ कुर्बान कर देगी. तुमने मुझ पर एक बहुत बड़ा एहसान किया है बेटी.”
“ये आप कैसी बात कर रहे हैं अंकल. एहसान तो आप लोगों ने मुझ पर किया है. एक अनाथ बेसहारा लड़की को आपने अपने सीने से लगाया, उसे पैरों पर खड़ा होने में सहायता की, सर छुपाने के लिए अश्रा दिया और जीवन की हर वो खुशी दी जो शायद एक बाप भी अपनी बेटी को नहीं दे पता.”
इतने में अंकल का फोन बजता है और वो फोन पर बात करने लगते हैं.

अंकल के चेहरे से खुशी छुपाए नहीं चुप रही थी. उन्होने एक नज़र स्वाती को देखा और उनकी आँखें भर आई. रुँधे गले से उन्होने कहा “बेटी भगवान ने हमारी सुन ली. अभी के लिए एक डोनर मिल गया है. अब हमारा अभी हमेशा हमारे साथ होगा.”
“क्या अंकल ये सच है.” स्वाती ने चहकते हुए पूछा.

“हाँ बेटी डॉक्टर साहब का फोन आया था. उन्होने परसों 14 फेब का टाइम दिया है ऑपरेशन के लिए. लेकिन पता नहीं क्यूँ तुम्हे साथ लाने के लिए खास ज़ोर दिया है. शायद अभी ने कहा हो”

14 फेब का नाम सुनते ही स्वाती जैसे सदमे में आ गयी. आख़िर उसने 14 फेब को ही तो आने के लिए बोला था. कहा था की वॅलिंटाइन दे मेरे साथ ही मनाएगा. क्या वो आएगा. मैने तो उसे मना कर दिया था. लेकिन उसका कोई भरोसा नहीं. पागल है एक दम. कहीं वो सचमुच आ गया तो. कुछ खुशियाँ आ रही हैं मेरे जीवन में वो भी मुझसे छीन जाएँगी. क्या करूँ क्या ना करूँ. आख़िर वो मेरी जिंदगी में ही क्यूँ आया.
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आज वॅलिंटाइन दे है. पूरा शहर प्यार के रंग में डूबा हुया है. लेकिन इन सबसे अलग स्वाती अपनी ऑफीस में फिलों में नज़र गड़ाए बैठी है. ये ऑफीस उसके अंकल का है. वैसे तो वो उसके सगे अंकल नहीं है लेकिन स्वाती ने उनकी कंपनी से ही जॉब की शुरुआत की थी और धीरे धीरे वो उनकी फॅमिली मेंबर जैसी बन गयी है.
स्वाती को कभी फ़ुर्सत ही नहीं मिली इस प्यार व्यार के चक्कर में पड़ने की. बस सुबह टाइम से ऑफीस जाना और टाइम से घर वापिस आ जाना. कभी कभी घूमने का मूड किया तो अभी साथ था ही. दोनो घूम फिर कर आ जाते. लेकिन कभी अभी ने अपने प्यार का इज़हार नहीं किया उससे. उसका प्यार एक तरफ़ा था और शायद वो बोलने से डराता था की कहीं स्वाती नाराज़ ना हो जाए और उसे चोद कर ना चली जाए. इस समय वो कम से कम उसके साथ तो है.
स्वाती एक फाइल पढ़ ही रही थी की पेवं ने दरवाजे को हल्के से खटखटाया और कहा “मेडम कोई मिस्टर. मुकेश आपसे मिलने आए हैं.”
स्वाती ने एक नज़र घड़ी की तरफ दौड़ाई और मन ही मन में सोचती है उसको तो मैने सुबह 10 बजे का टाइम दिया था और अब 12 बज रहे हैं. जो इंसान वक़्त का पाबंद नहीं है क्या उसके साथ डील करना सही होगा. लेकिन डील बड़ी है उसे हाथ से भी नहीं जाने दे सकती.
“उसे अंदर भेज दो.” स्वाती ने सामने खुली पड़ी फाइल को बंद करते हुए कहा और उस शॅक्स का इंतेजार करने लगी.
कोई 10 मिनिट बाते होंगे की कोई शॅक्स दरवाजे को खटखटा है. अंदर से स्वाती की आवाज़ आती है “कम इन”
स्वाती ने जैसे ही दरवाजे से अंदर आते हुए शॅक्स को देखा तो उसकी नज़रें एक पल के लिए वहीं ठहर गयी लेकिन तुरंत ही उसने अपना चेहरा नीचे झुका कर एक फाइल खोल ली.
एक हल्की सी मुस्कान लिए वो अंदर आता है और स्वाती के सामने जाकर बैठ जाता है. स्वाती कुछ कहने वाली होती है की मुकेश उसे बीच में टोक देता है और कहता है “मुझे पता है आप कहेंगी की मैं डील के टाइम ही दो घंटे लेट आ रहा हूँ तो डील के बाद काम को कैसे हॅंडल करूँगा. क्यूँ यही सोच रही थी ना ?” और इसी के साथ हल्की सी मुस्कान मुकेश के चेहरे पर खिल जाती है.
स्वाती उसकी बात सुनकर चौंक जाती है और सोचती है की मेरे मन की बात उसे कैसे पता. वो कुछ बोलने ही वाली होती है की मुकेश फिर बोल उठता है “अब आप ये सोच रही होंगी की मुझे कैसा पता चला की आप क्या सोच रही हैं और मैं लेट क्यूँ आया” और इसी के साथ मुकेश की हँसी चुत जाती है.
“ना..नहीं मैं ये नहीं सोच रही थी” स्वाती ने हकलाते हुए कहा
“जस्ट रिलॅक्स स्वाती जी. मैं इसलिए देर से आया क्यूंकी मैं आज वॅलिंटाइन दे सेलेब्रेट कर रहा था अपनी गर्लफ्रेंड के साथ”
अब स्वाती क्या बोलती. उसे चुप देखकर मुकेश ही बोल उठा “क्यूँ आप नहीं गयी कहीं किसी बाय्फ्रेंड के साथ वॅलिंटाइन सेलेब्रेट करने”
“मेरा कोई बाय्फ्रेंड नहीं है”
“क्यूँ झूठ बोल रही हैं आप. आप के जैसी इतनी सुंदर लड़की हो और उसका कोई बाय्फ्रेंड ना हो मैं नहीं मन सकता”
“आप मेने या ना मेने मुझे कोई फ्रक नहीं पड़ता इनफॅक्ट मुझे प्यार शब्द से ही नफ़रात है”
“अरे मेडम आप तो नाराज़ हो गयी. मैं तो मज़ाक कर रहा था. क्या मैं जान सकता हूँ आपकी प्यार शब्द से नाराज़गी का कारण. अगर आप बठाना चाहे तो ही”
“ये प्यार, प्यार नहीं, वासना का खेल है जहाँ लड़के लड़कियों को फुसला कर उसका शोषण करते हैं और फिर उसे मा बनाकर बीच मझदार में समाज से, खुद से, दुनिया से लड़ने को चोद देते हैं”
पहली बार मुकेश ने स्वाती की आँखों में देखा. उसे वहाँ ढेर सारा दर्द, सूनापन नज़र आया. आँखें ऐसी हो रही थी की किसी के कंधे का सहारा मिले तो अभी रो दें. लब थरथरा रहे थे. जाने कितनी ही बात बोलना चाहते थे लेकिन कुछ बोल नहीं पाए. इसके बाद दोनो में इस तरह की कोई बात नहीं हुई और डील से रिलेटेड बात करके दोनो ने नेक्स्ट मीटिंग के लिए अगले महीने का टाइम रख लिया.
आज की रात दोनो की ही आँखों से नींद गायब थी. जहाँ स्वाती को आज एक अजीब सा एहसास हो रहा था जो उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया था और मुकेश सोच रहा था जाने इस सुन्दर चेहरे के पीछे कितने राज़ छुपे हैं. कितना दर्द है उसकी आँखों में. क्या कोई लड़की इतनी मजबूत होती है जो सब दुखों को झेल कर भी अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखे.
धीरे धीरे दिन निकालने. आख़िर वो दिन आ ही गया जब दोनो की दुबारा मुलाकात हुई. थोड़ी ही हेलो और डील की बातें करने के बाद अचानक मुकेश ने उसे कॉफी के लिए पुंछ लिया.
“क्या आप मेरे साथ कॉफी पीना पसंद करेंगी”
“क्यूँ नहीं. आप रुकिये मैं अभी दो मिनट में मँगवाती हूँ”

“अरे आप समझी नहीं. मैं यहाँ की बात नहीं कर रहा. थोड़ी दूर पर कॉफी केफे है. वहाँ चल कर पीते हैं. सुना है की वहाँ की कॉफी बहुत अच्छी है”
थोड़ा सोचने के बाद “ठीक है चलते हैं” और स्वाती ने अपना बेग उठाया और दोनो मुकेश की कार में चल दिए कॉफी केफे.
अंदर जाकर दोनो कॉफी केफे में बैठ गये और थोड़ी इधर उधर की बातें करते हुए मुकेश ने फिर वही सवाल दाग दिया स्वाती के ऊपर “आप प्यार से इतनी नफ़रात क्यूँ कराती हैं”
स्वाती एक पल के लिए चौंक गयी और उसने उत्ते हुए कहा “बहुत देर हो गयी है. अब हमे चलना चाहिए”
मुकेश ने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया और उससे दुबारा पूछा तो स्वाती का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा और उसने मुकेश का गाल लाल कर दिया. कॉफी केफे में उस समय अच्छी ख़ासी भीड़ थी और एक पल के लिए सब सन्न रही गये जब स्वाती ने मुकेश को थप्पड़ मारा. स्वाती गुस्से में वहाँ से निकली और ऑटो पकड़ कर अपने ऑफीस में पहुँच गयी. मुकेश भी कुछ देर वहीं खड़ा रहा और थोड़ी देर बाद उसने बिल चुक्या और अपने घर चला गया.
स्वाती अपने ऑफीस पहुँच गयी और सीधा अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गयी. उसका पूरा शरीर गुस्से से काँप रहा था. उसकी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की. क्या कोई ज़रूरी है की मैं उसकी हर बात का जवाब दम. वो होता कौन है मुझसे यह सब सवाल पूछने वाला?
जब थोड़ी देर में उसका गुस्सा ठंडा हुया तो उसने खुद से पूछा “क्या मैने जो किया वो सही था? सबके सामने उसे थप्पड़ मर दिया. कितनी बेइज़्ज़ती हुई होगी उसकी. आख़िर उसने किया ही क्या था. सिर्फ़ मेरी पिछली जिंदगी के बड़े मे ही तो जानना चाहता था. और साथ काम कर रहे हैं तो हाथ तो मिलते ही हैं. दर्जनों आदमियों से हाथ मिलना पड़ता है दिन में. मुझे उससे माफी माँगनी चाहिए अपने इस बिहेवियर के लिए”
स्वाती ने मुकेश को फोन लगाया. स्वाती के हेलो बोलने की ही देर थी की फोन काट गया. स्वाती ने दुबारा फोन मिलाया तो फोन स्विचेद ऑफ आ रहा था. स्वाती अपना सर पकड़ कर बैठ गयी. “ये मैने क्या किया. वो कितना नाराज़ हो गया है मुझसे. कहीं वो डील कॅन्सल ना कर दे, क्या वो उसे कभी माफ़ नहीं करेगा?”
और स्वाती ने ऑटो किया (उसकी गाड़ी रिपेर के लिए गॅरेज में पड़ी थी) और मुकेश के घर जा पहुँची. अंदर आकर उसने मुकेश के लिए पूछा तो नौकर ने उसे ड्रॉयिंग रूम में बैठा दिया और पानी वग़ैरह देने के बाद मुकेश को खबर दे दी की कोई लड़की उससे मिलने आई है.
मुकेश ड्रॉयिंग रूम में आता है तो उसे देखकर चौंक जाता है.
“स्वाती तुम यहाँ कैसे?”
“मुकेश सॉरी मैने तुम्हे …”
“अरे चोदा मैं तो उस बात को तभी भूल गया था लेकिन तुम इस समय यहाँ. सब ख़ैरियत तो है?”
“मैं बस तुमसे माफी माँगने आई थी”
“ओह कम ऑन, तुम बच्चों जैसी बात कर रही हो. दोस्तों में ये सब चलता है”
“तुम बहुत अच्छे हो”
“और बहुत हॅंडसम भी लेकिन एक बात तो है तुम्हारा हाथ बहुत तेज पड़ता है. क्या खाती हो”
“मुकेश अब मैं तुम्हे सचमुच पीटूँगी”
“मैं तो मज़ाक कर रहा था. सॉरी चलो डिन्नर करते हैं. फिर मैं तुम्हे तुम्हारे घर छोड .आऊगा.”
“खाना …” स्वाती कुछ पल के लिए सोचती है और फिर तैयार हो जाती है. डाइनिंग टेबल पर दोनो एक दूसरे से हँसी मज़ाक करते रहते हैं. इसी हँसी मज़ाक के साथ साथ खाना भी ख़त्म हो गया और स्वाती ने घर चलने को कहा क्यूंकी काफ़ी देर हो गयी थी.
मुकेश ने अपनी गाड़ी निकली और हाइवे पर दौड़ा दी. रास्ते में मुकेश ने फिर से उससे वोही बात छेद दी तो इस बार स्वाती ने उसे बता दिया की वो एक नाजायज़ औलाद है. उसके बाप ने अपने प्यार के जाल में उसकी भोली भली मा को फँसा दिया और मुझे उनकी गोद में डाल कर हमेशा के लिए चला गया. तबसे मुझे इस प्यार नाम से छिड़ हो गयी है. तबसे किसी भी आदमी पर भरोसा करने से डर लगता है.
इसके बाद दोनो में से कोई कुछ नहीं बोला. इतने में बारिश शुरू हो गयी. बारिश तेज होती देख कर मुकेश ने गाड़ी साइड में रोक दी ताकि थोड़ा थाम जाने पर वो जाए. लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. मुकेश थोड़ी देर इंतेजार कराता रहा और फिर जैसे ही उसने स्वाती को कुछ कहने के लिए बोलना चाहा तो देखा स्वाती दरवाजा खोलकर बाहर जा चुकी है. बारिश की बूँदों को अपने अंदर समाते हुए वो अपनी बहन फैलाए सड़क पर खड़ी है. उस समय कितनी मासूमियत, कितना भोलापन उसके चेहरे में समाया हुया था. मुकेश ने आवाज़ देकर उसे बुलाना चाहा लेकिन शायद वो तो कुछ सुन ही नहीं रही थी. थोड़ी देर इंतेजर करने के बाद मुकेश भी गाड़ी से बाहर आ गया ताकि स्वाती को अंदर ले जा सके और फुटपॅत के पास एक पेड़ के नीचे बारिश से बचने के लिए खड़ा हो गया.

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“स्वाती चलो ज़्यादा भीगोगी तो बीमार पड़ जयोगी”
“मुकेश तुम्हे पता है, बचपन से ही मुझे बारिश में नहाने का बड़ा शौक है. जब तक बारिश थाम नहीं जाती थी मैं उसका पूरा लुफ्त उठती थी. तुम भी आओ और बारिश में नहाने का मज़ा लो.”
“इसमे क्या मज़ा. कपड़े भीग जाएँगे, सर्दी लग जाएगी और बिस्तर पकड़ लॉगी”
“तुम सिर्फ़ एक पहलू देख रहे हो. ये भी तो सोचो जब ये बारिश की बूँदें हमारे चेहरे पर पड़ती हैं तो जीवन की सारी परेशानियाँ, सारी तकलीफें, सब दुख पीछे चुत जाते हैं. एक शांति सी मिल जाती है मन में. लगता है जैसे वक़्त थाम गया है. ना कल की खबर ना कोई चिंता बस आज में ही जियो”
“तुम तो फिलॉसफर की तरह बातें कर रही हो”
“जिंदगी हमे सब सीखा देती है. खैर चोदा चलो बारिश कम हो गयी है चलते हैं”
“कम हो गयी है बंद तो नहीं हुई है ना. चलो बारिश वॉक करके आते हैं”
“मुकेश! तुम सच में चलोगे. मैं बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ. जब से यहाँ आई हूँ इन छोटी छोटी खुशियों के लिए तरस गयी हूँ”
“अब से दुनिया जहाँ की सारी खुशियाँ तुम्हारे कदम चूमेंगी ये मेरे तुमसे वादा है”
स्वाती एक तक उसे देखने लगती है. दोनो की ही नज़रें मिलती है लेकिन लब कुछ बोल नहीं पाते. क्या बोले किसी की कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. सिर्फ़ एक दिल बोल रहा था और दूसरा दिल सुन रहा था. आँखों की मूक भासा भी सिर्फ़ आँखें ही समझ सकती हैं. स्वाती जैसे नींद से जागी और उसने अपनी नज़रें नीचे कर ली. दोनो साथ में चलने लगे और बातें करने लगे. इतने में मुकेश ने स्वाती का हाथ पकड़ लिया और इस बार स्वाती ने ना तो उसे थप्पड़ मारा और ना ही हाथ छुड़ाने की कोशिश की.
बस एक खामोशी सी छा गयी थी. शायद दोनो की बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन बोल नहीं पा रहे थे. जो मुकेश किसी भी लड़की के साथ ईज़िली बातें कर लेता था आज पता नहीं वो कैसे खामोश था. वो क्यूँ नहीं कुछ बोल रहा था. हाथ पकड़े दोनो साथ चलते रहे और बस चलते रहे.
जब वो थोड़ी दूर निकल आए तो स्वाती को जैसे होश आया और उसे कहा “मुकेश अब हमे चलना चाहिए. बारिश भी बंद हो गयी है और हम दूर भी काफ़ी आ गये हैं”
“मैं तो चाहता हूँ की हम दोनो ऐसे ही हाथ में हाथ डाले इस दुनिया से दूर चले जाएँ” मुकेश मन ही मन बड़बड़ाया
“कुछ कहा तुमने”
“कुछ नहीं चलो चलते हैं”
और फिर दोनो वापस चलकर गाड़ी में बैठ जाते हैं और मुकेश उसे उसके घर छोड़कर वापस अपने घर आ जाता है. दोनो अपने बिस्तर पर लेते करवाते बदल रहे हैं. आज एक ही दिन में जिंदगी कितनी बदल गयी. किसने सोचा था की ये एक दिन उनकी जिंदगी में क्या रंग बिखेरेगा. लग रहा था जैसे बागों में बाहर आ गयी हो, दिल खुशी से झूम रहा था. मुकेश का काई लड़कियों के साथ अफेयर था लेकिन ऐसा एहसास उसे कभी नहीं हुया. क्या उसे स्वाती से सच में मुहब्बत हो गयी है. क्या इसी को प्यार कहते हैं.
इसके बाद दोनो की मुलाक़ातें होती रही और दोनो ही एक दूसरे को समझने की कोशिश करते रहे. मुकेश स्वाती के प्यार में पूरी तरह से बदल चुका था. वन गर्ल ओन्ली वाला रूल उसने अपना लिया था. स्वाती की खुशी ही उसकी खुशी थी. और स्वाती को तो जैसे नयी जिंदगी मिल गयी थी.
धीरे धीरे एक साल बीत गया और स्वाती के बर्तडे वाले दिन मुकेश ने उसे सर्प्राइज़ देने की सोची. उसने एक पार्टी ऑर्गनाइज़ की और स्वाती को वहाँ बुला लिया. स्वाती ये सब देखकर बहुत खुश हुई और मुकेश के गले से लग गयी. मुकेश ने अपनी जेब से एक डिब्बी निकली और उसमे से अंगूठी निकल कर अपने घुतनों पर बैठ कर स्वाती का हाथ पकड़ लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा “स्वाती ई लव यू! विल यू मॅरी मे?”
स्वाती की आँखों में के आँसू चालक पड़े. उसने कहा “ई दो” और उसके कहते ही मुकेश ने उसे अंगूठी पहना दी. उसके बाद मुकेश खड़ा हुया और दोनो एक गहरे चुंबन में खो गये. शाम को मुकेश उसे उसके घर चोद आया. स्वाती आज बहुत खुश थी. उसकी जिंदगी में इतनी खुशियाँ आएँगी उसने कभी सोचा ही नहीं था.
उसने घर में कदम रखा तो अंकल उसका इंतेजार करते उसे मिले.
“अरे अंकल आप सोए नहीं”
“तुमसे एक ज़रूरी बात करनी थी लेकिन मुझे प्ल्स ग़लत मत समझना”
“हाँ हाँ अंकल कहिए क्या बात है. आप ऐसा क्यूँ कह रहे हैं”
“आज अभी हॉस्पिटल गया था जहाँ उसके सारे टेस्ट की रिपोर्ट मिलनी थी. उसमे लिखा है की अभी सिर्फ़ एक साल तक ही जिंदा रही सकता है.” और इसी के साथ अंकल की आँखों में आँसू आ गये.
स्वाती ये सुनकर शॉक्ड थी. अभी की तबीयत अक्सर खराब रहती थी लेकिन बात यहाँ तक पहुँच जाएगी ये तो उसने सोचा ही नहीं था.
“अब मैं कैसे कहूँ. मुझे ग़लत मत समझना बेटी”
“अंकल आप सॉफ सॉफ बताइए बात क्या है?” स्वाती का दिल जोरों से धड़क रहा था किसी अनहोनी के डर से
“क्या तुम अभी से शादी करोगी?”
स्वाती जो अभी कुछ पल पहले अपनी खुशियों का महल बनता देख रही थी अचानक हू अब उसे रेत की तरह दहते हुए दिखाई दिया.
“डॉक्टर्स के मुताबिक अभी एक साल तक ही जिंदा रही सकता है. हालाँकि डॉक्टर्स ने कहा है की हार्ट ट्रॅन्सप्लॅनटेशन का ऑपरेशन करने पर उसे बचाया जा सकता है लेकिन कोई अपना दिल क्यों देगा. अभी बचपन से ही तुमसे प्यार कराता है और उसकी आख़िरी ख्वाइश यही है की तुम उसकी जिंदगी में एक पत्नी की हैसियत से आओ. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ बेटी मना मत करना. वरना ये बूढ़ा जीते जी मर जाएगा”
स्वाती क्या कहती वो तो जैसे एक जिंदा लाश बन गयी थी. अंकल के एहसानों का बदला चुकाने का समय आ गया था. उसने फ़ैसला कर लिया और अंकल की बात मन ली. अंकल भी उसे ढेरों आशीर्वाद देते हुए वहाँ से निकल गये.
स्वाती पूरी रात रोती रही और अपने जीवन और भगवान को कोस्ती रही.
स्वाती ने सोच लिया की अब वो मुकेश से दूर हो जाएगी. और जब वो उससे मिलने नहीं गयी तो मुकेश सीधा उसके ऑफीस पहुँच गया. मुकेश ने उससे ना आने की वजह पूछी तो स्वाती ने सॉफ शब्दों में उसे बता दिया की अब उन दोनो में कोई रिश्ता नहीं है.
“ये तुम क्या कह रही हो स्वाती.”
“मैं सच कह रही हूँ मुकेश. मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती.”

और फिर मुकेश स्वाती को मानने की पूरी कोशिश कराता है लेकिन स्वाती अपनी बात पर आदि रहती है. मुकेश उसके इस बर्ताव से दुखी हो जाता है.

“मैं तुमसे वादा कराता हूँ की ये वॅलिंटाइन मैं तुम्हारे साथ ही मनौँगा”
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आज अभी का ऑपरेशन था. स्वाती और अंकल दोनो वहाँ समय से पहुँच गये थे. कोई दो घंटे में ऑपरेशन ख़त्म हुया और डॉक्टर्स ने ऑपरेशन सक्सेस्फुल होने की खूसखबरी सुनाई.
अंकल के डोनर के बड़े मे पूछने पर डॉक्तोए ने बताया “दो दिन पहले एक लड़का आया था और उसने कहा था की आज के दिन हमे अभी के लिए एक डोनर मिल जाएगा इसलिए मैने आप दोनो को आज का टाइम दिया था. आज सुबह ही वो लड़का आया था. मेरे डोनर के बड़े मे पूछे पर उसने जेब से पिस्टल निकल लिया. मैं कुछ कहता या कराता तब तक तो उसने गोली चला दी. लेकिन मरने से पहले दो चिट्टी उसने मुझे दी थी जो एक मेरे नाम पर थी और एक स्वाती के नाम. मेरी वाली चिट्टी में उसने लिखा था की वो खूड़खुशी अपनी मर्ज़ी से कर रहा है और पूरे होशो हवस में और मरने के बाद मेरा दिल अभी को दे दिया जाए. लेकिन मैने स्वाती की चिट्टी नहीं पढ़ी.

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डॉक्टर्स ने एक चिट्टी निकल कर स्वाती को पकड़ाय. चिट्टी पढ़ते ही उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया और वो वहीं बेहोश हो गयी.
नीचे पड़ी हुई चिट्टी में सिर्फ़ एक ही लाइन लिखी थी “मैने अपना वादा निभा दिया है स्वाती”