भाभी की सहेली ने चुपके से अपनी चूत चुदवाई

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नमस्कार मित्रों! मेरा नाम किशोर है। मैं मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से हूँ। मेरी उम्र 27 वर्ष है। मै संतुलित शरीर और करीब छः फुट का नौजवान हूँ। मैं एक साफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर हूँ। मित्रों मैं स्वभाव से शांत और कम बोलने वाला हूँ इस कारण दूसरों से मतलब भी कम ही रखता हूँ। मैं अपने परिवार में दो भाईयों में छोटा हूं। बड़े भईया की शादी दो साल पहले हुयी थी। भाभी भी जबलपुर से ही हैं, और हमारे घर से करीब 20 किमी दूर उनकी ससुराल है। अब बात को ज्यादा घुमाये बिना मैं मुद्दे पर आता हूँ, और आपको मेरी पिछले साल घटी एक सच्ची सेक्सी कहानी सुनाना चाहता हूँ। यह कहानी मेरी भाभी की एक बहुत खास सहेली के साथ चुदाई की है जिसमें हम दोनों ने पूरी रात खूब मजे किये।

तो मित्रों, बात यह है कि भाभी शादी से पहले काॅलेज में पढ़ाई कर रही थी और वहाँ उनकी कई सहेलियां भी थी। पर उन सभी में उनकी एक पक्की सहेली थी जिसका नाम रीना था। वह गोरे रंग की और भूरी आखों वाली थी। उसके शरीर की कसावट बिल्कुल बेबी डाॅल जैसी थी और ऐसा लगता था कि उसके हर अंग में करंट सा दौड़ता था और उसे देखने वाले को इसका अहसास आसानी से हो जाता था। और देखने वाला उसका दिवाना हो जाता था। भाभी ज्यादातर उसके साथ ही रहती थी। और जब हम भाभी को देखने उनके घर गये थे। तब रीना भी वहाँ थी और उसी समय मैंने उसे पहली बार देखा और उसके रूप को निहारता रह गया। और इस तरह वह भाभी की शादी तक वह उनके साथ रही। दूल्हे का भाई होने के कारण भाभी की सहेलियां मेरी खिचाई कर रही थी।

वह भी उनमें शामिल थी, और इस बीच कई बार हमारी नजरें आपस में टकराई पर अपने शर्मीले स्वभाव के कारण मैं उससे बात तक नहीं कर पाया। और इस तरह शादी सम्पन्न होने के बाद वह अपने घर चली गयी। और मेरे अरमान अधूरे ही रह गये। और धीरे धीरे उसकी याद धुंधली होती गयी। और मैं भी अपने नये जाॅब में बिजी हो गया।

पर मित्रों करीब एक साल बाद मेरी जिंदगी ने एक हसीन मोड़ लिया। एक दिन जब मैं शाम को जाब से छूट कर घर आया तो मैंने हाल में सोफे पर भाभी के साथ किसी को बैठे देखा। गौर से देखने पर पता चला कि वह भाभी की सहेली रीना थी। उसे देखकर मैं कुछ देर रूका, फिर हमने एक दूसरे को हाॅय हैलो किया। उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया। पर उसे देखते ही मेरी यादें ताजा हो गयी। इसके बाद उसका हमारे घर आना बढ़ने लगा। लेकिन इस बार मैंने बिना किसी हिचक के उससे बातचीत शुरू कर दी क्योंकि मैं फिर से यह मौका नहीं छोड़ना चाहता था और शायद वह भी यही चाहती थी, इसलिए उसने भी बातचीत के सिलसिले को जारी रखा। और कुछ ही दिनों में हम दोनों काफी नजदीक आ गये। और एक दिन बातों बातों में उसने बताया कि वह भी मुझे पहले दिन से पसंद करती है। यह सुनकर तो मानो जैसे मेरा जैकपाॅट ही लग गया हो। और मेरी उसके करीब जाने की इच्छा और बढ़ गयी।

लेकिन इस मामले में भी वह मुझसे एक कदम आग हीे निकली। एक शाम जब मैं ऑफिस से घर आया तो रीना भाभी के कमरे में थी और मेरे कमरे में आते ही वह उठ खड़ी हुई और मुझसे बिना बात किये कमरे से बाहर चली गयी। पर जाते जाते उसने मेरी जेब में चुपके से एक कागज की पर्ची डाल दी। सबकुछ इतना जल्दी हुआ कि मैं समझ ही नहीं पाया और उदास होकर अपने कमरे में आ गया। फिर अचानक मेरा ध्यान शर्ट की जेब पर गया जिसमें एक पर्ची थी। मैंने उसे खोलकर पढ़ा तो उस पर लिखा था कि ‘आज घर पर कोई नहीं है तुम रात को घर आ जाना’। उसे पढ़कर मैं खुशी से उछल पड़ा। और बिना कुछ सोचे डिनर कर के रीना के घर के लिये निकल गया। और घर पर किसी दोस्त के घर पर रूकने का बहाना बना दिया। और थोड़ी देर बाद ही मैं रीना के घर के दरवाजे पर था। मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करके घंटी बजा दी।

दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि रीना मेरे सामने खड़ी थी और हल्की गुलाबी सी नाइटी पहने हुये थी और दबे होठों से मुस्कुरा रही थी, फिर उसने मुझे अंदर कर लिया। वह उस नाइटी में बहुत ही सेक्सी लग रही थी और मानो उसने यह मेरे लिये ही पहनी थी। उसकी आँखों में एक अनोखी चमक थी पर फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उससे पूछा कि तुमने मुझे क्यों बुलाया। तो वह हँसते हुये बोली कि इतना नहीं जानते हो बुद्धू कहीं के। और यह कहते ही मुझसे आकर जोर से लिपट गयी। उसकी चूचियां मेरे सीने से इस कदर जुड़ी थी कि बीच से हवा का गुजरना भी मुश्किल था। और उसके जिस्म की महक मुझे पागल बना रही थी और मेरे सोए अरमानों को जगा रही थी। फिर धीरे से उसने मेरी शर्ट और बनियान उतार दी। अब मुझसे भी सब्र न हुआ और मैंने उसे बेड पर पटक दिया और उसके होठों को चूमने लगा।

और बिना इंतजार किये दोनों हाथों से उसकी नाइटी उतार दी। और सिर्फ ब्रा और पैंटी से ढका उसका गोरा बदन मेरी आँखों के सामने था। और मैंने भी अपनी पैंट उतार दी। फिर मैंने उसकी ब्रा को ऊपर की ओर खिसका कर उसकी चूचियां खोल दी और बारी बारी से उनका रस चूसने लगा। और एक हाथ से उसकी नीली पैंटी के अंदर छिपी चूत को धीरे से सहलाने लगा। मेरा हाथ रीना की चूत पर पड़ते ही उसके बदन में आग सी फेल गयी और वह फड़कने लगी। मैंने धीरे से उसकी चूचियों के निप्पलों को मसलना शुरू किया तो उसकी आवाजें निकलने लगी। और फिर बिजली की फुर्ती से उसने मेरे लौड़े को अंडरवियर से निकाल कर उसे जोर से दबाने लगी। और उसके कोमल हाथों को छूते ही मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा और सख्त हो गया। और अपने आवेश में आ गया।

जल्द ही मैंने उसकी पैंटी उतार दी और उसकी मक्खन सी मुलायम चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा जो पानी छोड़ने के कारण गीली हो चुकी थी। और उसकी सिसकियां बढ़ने लगी। अब वह बेकाबू हो चुकी थी। बस अब मुझे चाद दो, और इंतजार नहीं होता, अपने मोटे लंड को मेरी चूत में पूरा घुसा दो, यही कहे जा रही थी। और फिर मैंने बिना इंतजार किये बिना अपने लंड को उसके चूत के पानी से गीला करके उसकी चूत में हल्के से डाल कर धीरे धीरे आगे पीछे करके उसकी चूत में रगड़ने लगा। और अब हम दोनों ने ही चुदाई का मजा लेना शुरू कर दिया। और फिर मैंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी और लंड को तेजी से रगड़ने लगा।

मैंने पहले उसको जाघों पर रखकर चोदा। इसके बाद हाई स्पीड में कुतिया बनाकर चुदाई की। और बीच बीच में उसके होठों को चूमता तो कभी उसकी चूचियां चूसता। इस बीच उसकी आह आई मर गई की आवाजें और भी तेजी से कमरे में गूँजने लगी। और फिर मैंने भी एक एक करके पूरी रात में उसकी पांच बार चुदाई की। और मैंने झड़ने के बाद सारा पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया। इस तरह हमने सुबह तक चुदाई की और पूरी रात खूब मस्ती की। फिर मैं भोर से पहले ही उसके घर से चला आया।

मित्रों इस तरह मैंने अपनी भाभी की सहेली की चुदाई उसी के घर पर जा कर की। आशा करता हूँ कि आपको यह कहानी पसंद आयी होगी। इसलिए इसे खूब लाइक और शेयर करें। पढ़ने के लिये धन्यवाद।