दोस्तों मेरा नाम मोहसिन है और मैं पेशे से एक प्लम्बर हूँ. मेरे काम के जमने के बाद अब मेरे को आराम है. वरना दिल्ली की गलियों में न जाने कितने ही शूज के तलवे घिस चूका हूँ मैं. मैं 7 साल पहले यहाँ आया तो ना मेरे पास कार्ड था ना मोबाइल. डेली एक एक सोसायटी में जा के नल, नाली ठीक करता था. काम अच्छा करता हूँ इसलिए पहचान बनती गई. फिर एक ग्राहक ने ही अपना पुराना मोबाइल दे दिया. और उसने ही विजिटिंग कार्ड का आइडिया भी दिया.
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ये दो चीजें आने के बाद मेरी लाइफ इजी हो गई. क्यूंकि अब मेरे को उतना भागना नहीं होता था. सब सोसायटी और बिल्डिंग के निचे गेट पर जो वाचमेन होते है उनके पास मेरा कार्ड रहता है. जिस किसी के घर प्लम्बर का काम हो तो वो मेरे को फोन करता है. मजदूरी के पैसे में 10 टका मैं वाचमेन को दे देता हूँ इसलिए वो भी खुश. और काम अपना अच्छा है इसलिए बहुत सब लोग सामने से ही सिक्युरिटी को कहते है की मोहसिन को ही बुलाना. दोस्तों आज की ये कहानी प्लम्बिंग की नहीं लेकिन पेलने की है! सोरी कुछ लम्बा इंट्रो हो गया उसके लिए. लेकिन अपना तो मिजाज ही ऐसा है दिल खोल के बात करने का. और यही मिजाज के चलते मेरे को एक सीनियर सिटीजन लेडी का भोसड़ा चोदने को और उसके पैसे पर एश करने को मिली थी.
वो लेडी एक बिल्डिंग के सातवें माले पर रहती है. उसके पति का देहांत हो गया है. और उसका बेटा सिंगापोर में इंजीनियर है. वो खर्ची भेजता है हर महीने बेंक में. घर में एक कामवाली है जो दिन भर साथ होती है माँ जी के. और शाम को वो चली जाती है. जब मैं पहली बार इस लेडी के घर गया तो उसके बाथरूम के सिंक का काम किया था. और तभी वो मेरे को अकेली लगी थी. एक नार्मल बूढी के जैसे ही कपडे थे उसके. लेकिन इस उम्र में भी उसका शरीर ढीला नहीं हुआ था. उसके साथ बातों से पता चला की वो जवानी से बुढापे तक नर्स का काम करती थी. अब नर्स लोगों का बदन तो सेक्सी ही होता है दोस्तों.
मेरे को पहले दिन ही वो थोड़ी चुदासी लगी थी. बार बार बाथ.. में घुसी जा रही थी. एक दो बार तो उसकी गांड भी मेरे को टच हो गई क्यूंकि बाथरूम उतना बड़ा नहीं था. लेकिन तब दिमाग में सेक्स का करंट नहीं लगा. क्यूंकि मेरे अर्धजाग्रत मन में वो भावना एक सीनियर सिटीजन लेडी के लिए जाग जाए उतना भी ढीला नहीं था मैं. लेकिन काम ख़तम करने के बाद उसने जब मेरा कार्ड माँगा तो मेरे को लगा की मामला गरबड़ है कुछ. उसने कार्ड पे लिखे हुए नम्बर को कॉल किया और मिस कॉल दी मेरे को. और बोली, नम्बर सेव कर लो मेरा, मेरा नाम नुपुर है.
मैंने नुपुर आंटी कर के नम्बर सेव किया. मजदूरी से एक्स्ट्रा पैसे दिए मेरे को. और दरवाजे के पास आई तो बोली, फिर कुछ काम रहा तो कॉल करुँगी.
और जब उसने ये कहा तो मैंने उसे देखा. हम दोनों की नजरें मिली. तब मेरे दिल में पहली बार वो करंट लगा. उसकी आँखों में जवान लड़की के जैसी चमक थी. और उसकी आँखे अब मेरे लंड वाले हिस्से पर थी. एक सेकंड के लिए मैं पत्थर हो गया लेकिन फिर मैंने कहा, जी कुछ भी काम हो आप मेरे को कभी भी कॉल कर देना.
मैंने जब उसके कमरे से निकल के उसे देखा तो वो अभी भी वही खड़ी हंस रही थी. मेरे दिल में जैसे जोर जोर से घंटी सी बज रही थी. मैं निकल गया और निचे वाचमेन को उसका कमीशन दे के निकल पड़ा.
फिर काम के लोड में दो दिन में तो मैं वो सब भूल भी गया. लेकिन तीसरे दिन नुपुर आंटी का कॉल आया.
नुपुर: हल्लो, मोहसिन?
मैं: हां बोलिए आंटी.
नुपुर: अरे वो दुसरे बाथरूम का सिंक दिखाना था, आ सकते हो आप?
मैं: जी मैं आया आधे घंटे में.
नुपुर: ठीक है आ जाओ, आज कामवाली की भी छुट्टी है तो आप आके वो काम कर दो.
पता नहीं उसने कामवाली का क्यूँ बोला! मेरे को क्या लेना देना था, क्या वो मेरे को हिंट दे रही थी की वो घर पर एकदम अकेली है?
मैं एक जगह पर नए नल फिट कर रहा था. मैंने जितना जल्दी हो सकें वो काम निपटा दिया और फिर मैं निकल पड़ा आंटी के घर के लिए. जब वहाँ पहुंचा तो वो मेरी ही वेट में थी. उसने आज एक मेक्सी पहनी हुई थी और उसके बूब्स कुछ लचीले नजर आ रहे थे. शायद मेक्सी के अंदर उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी.
मेरे को बथरूम दिखाने के लिए वो ले के गई. वो बाथरूम शायद यूज नहीं होता था. वो छोटा था और हम दोनों के अंदर घुसने की वजह से बहुत कम जगह रह गई थी. वो सिंक दिखाने के लिए निचे झुकी और उसकी गांड मेरी जांघ से होते हुए मेरे लंड पर घिस गई. बाप रे क्या सॉफ्ट अहसास था. मेरे दिल में तो जोर जोर की धक् धक् हो गई. लेकिन आंटी को तो जैसे कुछ हुआ ही नहीं. मेरे लंड की अकड के ऊपर मेरा कंट्रोल ही ना रहा और वो खड़ा हो गया. वैसे भी मैंने पिछली चुदाई किये हुए डेढ़ महिना हो गया था!
वो सिंक दिखा के खड़ी हुई लेकिन उसकी गांड अभी भी मेरे को टच हो रही थी. और साली वो फिर थोड़ी पीछे हुई. मेरे को भी पता नहीं क्या हो गया. मैंने उसकी कमर के ऊपर हाथ रख दिया. वो और पीछे हुई और मेरी बाहों में समा गई. उसने अपने हाथ से मेरे दुसरे हाथ को पकड के अपने पेट पर रख दिया. हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोला लेकिन वो चुदास के घोड़े पर सवार हुए मेरे लौड़े को टच कर रही थी. अब भला मैं कैसे रुक पाता. मेरे हाथ को मैं उसके पेट के ऊपर घुमाने लगा. वो अब लम्बी साँसे लेने लगी थी और फिर मैंने धीरे से हाथ को निचे कर के उसकी चूत के ऊपर रख दिया. कबूतर के घोंसले के जैसा झांट महसूस हुआ मेरे को. आंटी ने मेक्सी के निचे ना ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी!
बाथरूम में जगह कम थी वो शायद उसको भी पता था इसलिए वो मेरा हाथ पकड के अपने बेडरूम में ले आई. और मेरे को बेड पर बिठा दिया. फिर उसने अपनी मेक्सी को खोल दिया. बाप रे वो एकदम नंगी खड़ी थी मेरे सामने. और उसका बदन आज इस सीनियर सिटीजन वाली उम्र में भी कसा हुआ ही था. मैंने अपने हाथ से उसकी बगल को सहलाई तो उसे गुदगुदी हुई. वहाँ पर भी बहुत झांट थी. अब उसने मेरे को खड़ा कर के नंगा कर दिया. मेरे लंड को देख के उसकी आँखों में जो चमक आई थी वो शब्दों में नहीं लिखी जा सकती. उसने अपने ठंडे ठंडे हाथ से मेरे लंड को थोडा सहलाया.
और फिर बिना मेरे कुछ कहे ही वो लंड को मुहं में लेने के लिए निचे को झुकी. पहले एकदम प्यार से उसने लंड के सुपाडे को किस किया. और फिर पप्पी के ऊपर पप्पी देने लगी. और फिर मुहं को खोल के उसने 5 इंच के लंड में से आधे को मुहं में ले लिया और उसका हाथ निचे मेरे टट्टे को पकड़ के हिला रहा था. वो आधे लंड को ही मुहं में भर के चूसने लगी थी. मैंने हाथ को पीछे उसकी गांड पर रख दिया और उसे सहला दिया. फिर ऊँगली को उसकी चूत के छेद पर ले गया जो एकदम गीली सी थी. मैंने हलके से अपनी ऊँगली को उसकी चूत में घुसा दिया. वो थोड़ी ऊपर को हो गई, लेकिन क्या गीली चूत थी उसकी. अब नुपुर आंटी ने पुरे 5 इंच के लंड को मुहं में ले लिया था और वो उसे चूस रही थी. इस सीनियर सिटीजन लेडी को शायद जमाने के बाद लंड चूसने को मिला था और वो सब हुनर निकाल रही थी अपना.
उसने पांच मिनीट और लंड चूसा और मैं एकदम झड़ने को था. मैं उसके मुहं से लंड निकालना चाहता था. लेकिन उसने मेरे को ऐसा करने नहीं दिया. और उसने सब झाड अपने मुहं में ही ले ली. और सब माल को वो पी गई. फिर वो मेरे पास लेट गई बेड के ऊपर. मेरा लंड मुरझा गया था वीर्य के निकलने के बाद. लेकिन एक मिनिट के बाद फिर से आंटी ने उसे मुहं में भर के चूस के कडक कर दिया. और मेरे को लेटा ही रहने दे के वो मेरी गोदी में आ गई. उसने एक हाथ से अपनी झांटदार चूत में लंड को सेट किया और उसके ऊपर आ बैठी. मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर जा घुसा.
उसके मुहं से हलके से आह निकली. और वो मेरे ऊपर उछलने लगी थी. उसके बूब्स हवा में लहरा रहे थे. मैंने उसे अपनी ऊपर और झुका के बूब्स को मुहं में ले लिए और उन्हें चूसने लगा. वो अपनी गांड को एकदम गति से मार रही थी. और उसकी चूत में मेरा लंड बड़े ही मजे से अंदर बहार हो रहा था. मैंने उसे कंधे से पकडे हुए थे और मैंने उसके बूब्स को चूसते हुए चोद रहा था उसकी मखमली टचवाली चूत को.
पांच मिनिट के बाद फिर मैंने उसे निचे लिटा दिया. और अपने लंड को अब मैंने आंटी की चूत में मिशनरी पोज में घुसा दिया. आंटी ने एक आह निकाली जब पूरा लंड उसकी भोसड़ी में गया. मैं उसके कंधो को चूम रहा था. और उसकी चूत को पम्प कर रहा था. वो भी किसी जवान लड़की के जैसे हिल हिल के मजे दे रही थी मेरे को.
पांच मिनिट के बाद मैंने अपने लंड का पानी उसकी चूत में ही खाली कर दिया. और उसने अपनी चूत को उस वक्त एकदम टाईट कर लिया था. माल निकाल के मैंने लंड को निकाला और अपनी पेंट पहन ली. आंटी ने भी खड़े हो के अपनी मेक्सी पहनी और पलंग के ऊपर तकिये के निचे से एक गोली निकाल के खा ली. वो नर्स थी उस वजह से उसे पता था की बच्चे न होने के लिए क्या खाना है. फिर उसने मेरे को पैसे निकाल के दिए. वो मेरी मजदूरी से पांच गुना थे.
मैं जब दरवाजे के पास आया तब वो पहली बार बोली, जब कॉल करुँगी तो आओगे?
मैंने कहा, जी आंटी आप के वहां जो भी काम हो वो मेरे को बोल देना मैं आ जाऊँगा.
वो हंस के बोली, मेरे को तो दो ही काम होते है, प्लम्बिंग का और जो तुमने अभी कर की दिया वो!
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मैं हंस के निचे उतरा, वाचमेन को अज भी कमिशन दे दिया ताकि वो शक ना करे. लेकिन मैं सोच रहा था की ये साला वाचमेन भविष्य में सोचेगा जरुर की आंटी के घर में इतना प्लंबिंग काम आता कहाँ से है!