पड़ोसन विधवा और उसकी तीन बेटियों की चूत चुदाई

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हैलो, मैं रमेश देसाई माँ बेटी की चुदाई की सेक्सी कहानी लेकर आप सबके सामने हाजिर हुआ हूं।

मेरी पड़ोस में एक 50 साल की औरत रहती है, सारंगी नाम है उसका, उसकी तीन बेटियां हैं। उस महिला के पति का पिछले ही साल रेल दुर्घटना में देहांत हो गया।


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बेशक सेक्स उस महिला की अब भी जरूरत थी। मेरी पड़ोस में रहने वाले शख्स की उस पर नजर थी। उसकी लड़कियों को भी उस हरामी आदमी ने अपने झूठे प्यार का शिकार बनाकर उनका दिल जीत लिया था। वह व्यक्ति उस महिला की तीनों लड़कियों का लाड़ला अंकल और घर का सदस्य बन चुका था, भाभी-भाभी कह कर जब चाहे सारंगी के घर में घुस जाता था और उसको कोई न कोई बहाने छूने का मौका पैदा कर लेता था।
सारंगी भी न जाने क्यों उसके पीछे पागल हो गई थी, वह उस शख्स प्रताप पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करने लगी थी।

 

आज के दौर में महंगाई के जमाने में तीन लड़कियों को बड़ा करना, उनकी परवरिश करना कितना मुश्किल होता है, सारंगी यह बात जानती थी, साथ ही पचास की उम्र में भी उसकी खुद की सेक्स की चाहत कम न हो पाई थी।
सारंगी अपने घर का गुजारा करने की हर संभवित कोशिश कर रही थी। सगे संबंधी और रिश्तेदार भी बिना मतलब सहायता करने के लिए कतई राजी नहीं थे, हर कोई बड़ी कीमत चाहता था। सारंगी भी हर बार छोटी-मोटी कीमत चुकाती आई थी।
लेकिन कोई अपना नहीं है, यह बात उसे खाये जा रही थी।

इस हालत में उसे पड़ोस में रहने वाले प्रताप में उम्मीद की झलक दिखाई पड़ी थी। वह सारंगी को प्यार करने का दावा करता था। सारंगी उसके प्यार में बिल्कुल अंधी हो गई थी। प्रताप उसकी बेटियों का भी बड़ा ध्यान रखता था। मौके अवसर पर बेटियों को भी भेंट या तोहफा देता रहता था। उसने अपने व्यवहार से बेटियों को भी अपने वश में कर लिया था।

मुझे उन दोनों के रिश्ते पर कोई आशंका नहीं थी। सारंगी मुझसे बात करती थी, मेरा सम्मान भी करती थी। अपनी सभी बातें मुझ से शेयर करती थी। इसी वजह से मन ही मन मेरा उसके प्रति आकर्षण होने लगा था। मेरा दिल उसका साथ चाहता था। मैं उसको दोस्त बनाना चाहता था, लेकिन बाद में मैंने जो कुछ देखा तो मैं सन्न सा रह गया। प्रताप और सारंगी के अवैध रिश्तों की चर्चा पूरी बिल्डिंग में होना शुरू हो गई थी।

जब एक बार मैंने अपनी आँखों से खुद प्रताप और सारंगी को शर्मनाक हालत में देखा, तो मेरे पैरों तले से जमीन निकल गई। दोनों किचन में थे, सारंगी किचन में खाना पकाने में व्यस्त थी। प्रताप बराबर से उसी के पीछे खड़ा था। वो सारंगी को पीछे से पकड़ कर अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबा रहा था और उसका लंड सारंगी की गांड पर टिका हुआ था। सारंगी की मैक्सी भी प्रताप ने कमर तक उठा रखी थी।

दोनों को इस हालत में देखकर मेरा लंड भी सख्त हो गया। इसके पहले मैंने ऐसा नजारा देखा नहीं था।

मुझे देखकर प्रताप ने सारंगी की मैक्सी को नीचे गिराते हुए अपने आपको सारंगी से अलग कर दिया। मुझे देखकर दोनों भयभीत हो गए थे। प्रताप ने अपना भय छिपाते हुए मुझे गुड मॉर्निंग विश किया।
बाहर सोफे पर उसकी लड़की सोई हुई थी, प्रताप बड़ी बेशर्मी से उसके मम्मों को सहलाकर घर से बाहर निकल गया।

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सारंगी अब भी डरी हुई थी।
मैं उसके मम्मों को घूर रहा था, जो कुछ समय पहले प्रताप के हाथों के खिलौने बने हुए थे।
वह कुछ कहना चाहती थी, पर शायद कह नहीं पा रही थी। वह घर में सुख-चैन की जिंदगी बसर कर रही थी। उसके घर में सब कुछ मौजूद था.. जो आमतौर पर सबके घरों में नहीं होता है। उसका पति मरते वक्त इतना भी छोड़ नहीं गया था, जिससे वह सुख साहबी का ऐसा जीवन व्यतीत कर सके।

प्रताप ने प्यार के नाम उसके साथ धोखा किया था। उसने सारंगी को पैसे की मदद की थी और बदले में उसके यौन शौषण का परवाना प्राप्त कर लिया था। इतना ही नहीं.. बल्कि सारंगी की लड़कियों के संग भी वो मनचाही छेड़खानी किया करता था। उसके बदले वह अलग से पैसा दिया करता था, इसी वजह से लड़कियां भी चुपचाप उसका अत्याचार देखती और सहती रहती थीं।

सारंगी की चोरी पकड़ी गई थी, इस बात का उसे बेहद रंज हो रहा था, उसने फौरन दरवाजा बंद कर दिया और मेरे गले से लिपटकर रोने लग गई।
उसे अपनी गलती का कोई अफसोस नहीं हो रहा था, लेकिन वह पकड़ी गई थी इस बात को लेकर सारंगी बेहद परेशान थी।
उसने गिड़गिड़ाते हुए मुझसे विनय की- प्लीज, मेरे इस रिश्ते के बारे में किसी को बताइएगा नहीं। मेरे माता-पिता जीवित हैं, वे मेरा यह स्वरूप नहीं झेल पाएंगे। मैं आपसे अरज करती हूँ कि आप मेरा यह राज किसी को बताइएगा नहीं.. बदले में जो चाहे कीमत आप मुझसे वसूल कर सकते हैं।
यह कह कर उसने अपना मैक्सी उतार दी और बातें कहना शुरू की।

‘मैं जानती हूं आपको मेरे बड़े-बड़े मम्मे बेहद पसंद हैं। आप हमेशा इन्हें घूरते आए हैं। मैं भी चाहती थी कि तुम इन्हें देखो। प्रताप की तरह मेरी चूचियों को मसलो.. मेरा दूध पी जाओ। लेकिन आप जानते हैं कि प्रताप ने अपने अहसानों की आड़ में मानो मुझे खरीद लिया है। वह मुझे अपनी मिलकियत का सामान समझता है। मुझे सदैव धमकाता रहता है। जिसकी वजह से मुझे न चाहते हुए भी उसकी सभी बातें माननी पड़ रही हैं। अगर मैं ऐसा नहीं करूंगी तो वो मुझे 24 घंटे में पैसे लौटाने की चेतावनी देता रहता है.. मुझे ब्लैकमेल करता रहता है।’

सारंगी ने आप से मुझे तुम कहना शुरू कर दिया था। उसकी चूचियां मेरे को लुभा रही थीं। एक मन उससे दूर रहने की हिदायत दे रहा था और दूसरा मन व्यवहारिक बनकर मुझे हालात का फायदा उठाने को उकसा रहा था।

मैंने उसे तसल्ली देते हुए कहा- तुम फिकर मत करो, अब उसकी डोर अपने हाथों में है। हम भी उसको उसकी चाल से चित कर देंगे।
यह कह कर मैंने प्यार से अपना हाथ उसके एक उरोज पर रख दिया।

उसने मुझसे सीधा ही सवाल कर दिया- क्या तुम्हारा मन मेरी चुदाई करने का हो रहा है?
मैं उसे क्या जवाब दूं? एक तरफ चारों और बलात्कार और अत्याचार का माहौल है तो दूसरी तरफ सारंगी जैसी औरतें अपनी वासना संतुष्टि के बाद मर्दों को नाहक बदनाम भी करती हैं, उसे बलात्कारी का दर्जा देती हैं और अपनी शराफत के नगाड़े पीटती रहती हैं।

सारंगी बहुत समय से पड़ोसी प्रताप के साथ संबंध रखती थी लेकिन भांडा फूट जाने के बाद उलटा गाना गा रही थी कि प्रताप मेरे साथ बलात्कार कर रहा था।

नारी को पहचानना बड़ा मुश्किल होता है। मैं यह बात जानता समझता था। शायद इसी लिए मैं औरतों से अपने को दूर रखता था लेकिन दूसरी तरफ मैं भी इंसान था, सेक्स मेरी जरूरत थी और मुझे सुनहरा मौका मिला था।
उसके पहले अतीत में कई बार मुझे मौके भी मिले थे लेकिन एक या दूसरी वजह से मैंने किसी की चुदाई नहीं की थी। शायद उस समय ऐसा मेरे नसीब में नहीं था लेकिन अबकी बात अलग थी। हमारे बीच सेक्स संबंध हो सकते हैं, इस बात का किसी को संदेह भी होने की संभावना नहीं थी।

उस दिन सारंगी ने अपने आपको मुझे पूर्ण तौर से समर्पित कर दिया।

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मैंने उसको पूरी तरह से नंगी कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगा।
तो सारंगी ने मुझे रोकते हुए कहा- तुमने मेरा काम करके मुझे नंगी कर दिया है, अब मैं तुमको भी नंगा करके हिसाब बराबर कर देती हूं।
यह कहकर उसने मुझे नवजात शिशु की हालत में ला दिया।

मैं जमीन पर लेटा हुआ था। मेरा हाथ उसके मम्मों को सहला रहा था, मैं चूचियों को मुँह में लेकर चूस रहा था, उसने एक झटके में मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
मेरे लौड़े से पानी निकलने लगा था, उसने फौरन मेरे लौड़े को उरोजों की गली में ले जाकर खुद के दोनों मम्मों को भिगो दिया।

फिर तो यह रिश्ता हमारी नियति बन गया।

प्रताप का जोश उसका भांडा फूट जाने के बाद कम पड़ गया था। उसको ठिकाने पर लाने के लिए मैंने नाटक का सहारा लिया। प्रताप के दिमाग में यह ठसाने का प्रयास किया कि उसकी बीवी और मेरे बीच कोई अफेयर चल रहा है, हमारे बीच शारीरिक संबंध भी हैं।
बस तब से उसने सारंगी को तंग करना बंद कर दिया।

लेकिन उसने जो काम वासना की आग सारंगी की लड़कियों के भीतर लगाई थी, जिसने तीनों को गुमराह कर दिया था। मां की करतूत ने उन्हें बेलगाम बना दिया था। इसी लिए कभी-कभी सारंगी की लड़कियां भी हमारे शारीरिक संबंधों में शरीक हो जाती थीं। मैं कई बार माँ बेटी की चुदाई एक साथ किया करता था.
सारंगी की बेटियों की समझ और व्यवहार एक धंधे वाली का एहसास जगा रही थी। मां के नक्शे कदम पर चलते हुए वे सभी काफी आगे निकल गई थीं।

अब मुझे केवल सारंगी ही नहीं बल्कि उसकी तीनों बेटी के साथ हम बिस्तर बनने का मौका मिला था। मैं अपने आपको चार चूतें पाकर खुश किस्मत समझ रहा था।

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