अपने लौड़े में दम लगा के पेल

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जयेश के जाने के बाद दीपा ने पिछले दो हफ्तों पर ध्यान दिया। इन दिनों में इतना कुछ हुआ था। उसने आशीष, एक अजनबी से पहली बार अपनी गाण्ड मरवाई थी और जिस दिन उसने जयेश के साथ अपने नए रिश्ते की शुरूआत की थी, उस रात की बेरोक घनघोर चुदाई आज भी उसे याद थी। उसने आशीष को अब जयेश को यहाँ लाने के लिये मना लिया था। antarvasna,Kamukta,kamukta. com,hindi sex story,hindi sex stories,xxx kahani


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इसके लिये जो परिश्रम उसने किया था उससे उसकी चूत में अब दर्द सा होने लगा था। यही सब सोचते हुए वो नहाने के लिये चली गई। नहाने के बाद दीपा बाथरूम से बाहर आयी और खुद भी बाहर जाने के लिए तैयार होने लगी। हालांकि नहाने के बाद उसके बदन को ठंडक मिलनी चाहिए थी पर कम से कम उसके बदन के अंदर इसका उल्टा ही असर हुआ। उसके निप्पल और क्लिट पानी कि फुहार से उत्तेजित हो गये थे और उसकी चूत भी अंदर से जलने लगी थी।

दीपा को उत्तेजना अच्छी लग रही थी और उसने गर्मी में बाहर जाने का प्रोग्राम रद्द किया और अपनी साड़ी उतार फेंकी और फ्रिज़ में से एक ठंडी बीयर निकालकर सोफ़े पर बैठ गयी। दीपा ने अपने सैंडलयुक्त पैर सामने रखी मेज पर फैला दिये और बीयर पीते हुए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। दीपा बहुत उत्तेजित हो गयी थी और जल्दी ही सिसकते हुए अपनी तीन अँगुलियां चूत के अंदर-बाहर करने लगी। वोह झड़ने ही वाली थी कि उसे लगा शायद डोरबेल बजी है।

“ओह नहीं… अभी नहीं…” दीपा कराही। वो घंटी की तरफ ध्यान न देती अगर वोह घंटी फिर से दो-तीन बार न बजती। दरवाजे पर जो भी था, उसे कोसती हुई दीपा उठी और जल्दी से अपने नंगे बदन पर रेशमी हाउस-कोट पहनकर गुस्से में अपनी ऊँची एंड़ी की सैंडल खटखटाती हुई दरवाज़े की ओर बढ़ी। अगर ये कोई सेल्समैन हुआ तो आज उसकी खैर नहीं।

“विकास”दीपा अचिम्भत होकर बोली, जब उसने दरवाज़ा खोला और जयेश के कालेज के प्रिंसिपल को सामने खड़े पाया।

कुछ बोलने से पहले विकास की आँखों ने दीपा के हुलिये का निरक्षण किया और उसे दीपा के मुँह से बीयर की गंध भी आ गयी।

“मैं क्षमा चाहता हूँ दीपा जी। मैंने अचानक आकर आपको परेशान किया… मुझे आने के पहले फोन कर लेना चाहिए था पर मैं एक मीटिंग के सिलसिले में इस शहर में आया हुआ था और यहाँ पास से ही गुज़र रहा था तो… मैं… मैंने सोचा…”

दीपा इस आदमी को अपने घर आया देखकर विश्मित थी, बोली- “पर हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि हम जयेश को आपके कालेज से निकालकर इसी शहर में दाखिला दिला रहे हैं, विकास। फिर आपको हमसे क्या काम हो सकता है…”

दीपा को विकास आज हमेशा की तरह निडर और दिलेर नहीं लगा। कर्नल बेचैनी से अपनी टोपी को टटोलता हुआ बोला- “मैं दो मिनट के लिए अंदर आ सकता हूँ… दीपा जी…”

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“ज़रूर कर्नल… मैं क्षमा चाहती हूँ… बस आपको अचानक देखकर अचंभित हो गयी थी… प्लीज़ आइये ना… बैठिये…” दीपा ने एक तरफ हटकर सोफ़े की तरफ इशारा करते हुए कहा।

दीपा ने जब विकास को सोफे की तरफ जाते हुए और बैठते हुए देखा तो वो सोचने लगी कि अपनी वर्दी के बगैर कर्नल का बदन कैसा लगेगा। दीपा का विश्वास था कि वर्दी के नीचे कर्नल का बदन संतुलित और गठीला होने के साथ-साथ किसी भी औरत को भरपूर आनंद देने में सक्षम था। दीपा उसके लौड़े के आकार के बारे में सोचती हुई बोली- “मैं बीयर पी रही थी… आप लेंगे…”

“वैसे मैं व्हिस्की या रम ज्यादा पसंद करता हूँ पर बीयर भी चलेगी…” कर्नल झिझकते हुए बोला।

“आप चिंता न करें कर्नल… आपके लिए व्हिस्की हाज़िर है…” ये कहकर दीपा ने दो ग्लास में बर्फ और व्हिस्की डाली और आकर कर्नल के साथ वाले सोफ़े पर बैठ गयी, और पूछा- “अब कहिए… क्या बात है…”

विकास ने व्हिस्की का सिप लेते हुए कहा- “दीपा जी… मैं आमतौर से कभी भी पेरेंट्स को मेरे कालेज से अपने लड़कों को न निकालने के लिए इतना जोर नहीं देता हूँ… पर जयेश की बात अलग है… जयेश में एक अच्छे आर्मी आफिसर बनने के सब गुण हैं… मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे कालेज से र्टेनिंग लेकर जयेश आर्मी जायन करके बहुत कामयाब…”

दीपा उसकी बात बीच में ही काटती हुई बोली- “तो इस बात के लिए आप मुझसे मिलने आये थे… विकास… आपकी बेचैनी देखकर मुझे लगा जैसे आप मुझ पे फिदा होकर आये हैं…” दीपा अपनी बात पर हल्की सी हँसी और एक टाँग आगे करके अपने सैंडल से कर्नल कि जाँघ को छुआ।

विकास का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वोह अपना ड्रिंक पीते हुए बोला- “मैं… उम्म… आप काफी खूबसूरत हैं दीपा जी… और निस्संदेह आप पर कई लोग फिदा होंगे… पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मेरा यहाँ आने का कारण महज कालेज और जयेश से संबंधित था…”

“कर्नल…” दीपा अपना ड्रिंक एक ही झटके में पीने के बाद मुश्कुराती हुई बोली- “मैं आपसे दो बातें कहना चाहती हूँ… पहली तो ये कि जयेश कि वापस उस कालेज में जाने की कोई संभावना नहीं है। मुझे खुशी है कि आप जयेश के लिये यहाँ तक आये और गर्व भी है कि आप जयेश की योग्यता से प्रभावित हैं… लेकिन आपको इस बारे में निराश ही लौटना होगा…” जयेश के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के बाद दीपा ने दूसरा पैग अपने ग्लास में डाला और फिर कर्नल के पास खिसक कर आगे की ओर झुकी। दीपा का हाउस-कोट पहले से ही कुछ ढीला बंधा था और झुकने की वजह से उसके भारी मम्मे और भी ज्यादा बाहर को उभरने लगे।

दूसरी बात कर्नल यह है कि मेरे ख्याल से सिर्फ जयेश ही आपके यहाँ आने का कारण नहीं है। मुझे पता है कि आप मुझे किस तरह से देखते हैं और यह भी पता है कि आपकी इस बाहरी औपचारिकता के पीछे वो आदमी छुपा है जो औरों की तरह ही मेरे लिए बेकरार है…”

यह सुनकर कर्नल की हालत और भी खराब हो गयी- “मैं विश्वास दिलाता हूँ दीपा जी… जैसा मैंने बताया, उसके अलावा मेरा कोई उद्देश्य नहीं था… मेरे दिमाग में कभी ये बात नहीं आयी कि… उम्म…”

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कर्नल के विरोध पर दीपा ने अपनी हँसी रोकने की कोशिश की। दीपा पर बीयर और व्हिस्की के साथ-साथ चुदाई का नशा हावी था। दीपा ने आगे बढ़कर कर्नल के कंधे पर अपना हाथ रखा और अपने घुटने उसके घुटनों पे दबा दिये- “कर्नल… मुझे इस बात से बहुत चोट पहुँचेगी कि तुम्हें कभी भी मुझे चोदने का ख्याल नहीं आया। अब तुम इस तरह मेरी भावनाओं को ठेस पहुँचाकर तो नहीं जा सकते। है न… कम से कम इतना तो कबूल करो कि तुम्हारे लिए मैं सिर्फ तुम्हारे स्टूडेंट की माँ नहीं हूँ… बल्कि इससे कुछ ज्यादा हूँ…”

“मेरा मतलब आपको नाराज़ करने से नहीं था… दीपा जी…” दीपा के मुँह से ‘चुदाई’ शब्द सुनकर कर्नल ज़ाहिर रूप से हैरान था।
इस बार दीपा की हँसी छूट गयी- “तुम कितनी औपचारिकता से बोलते हो कर्नल। कभी तुम्हारा मन नहीं करता कुछ खुलकर बोलने का। कुछ अशिष्ट बोलने का… जैसे… ’चुदाई’… मैं दावे से कह सकती हूँ कि तुमने कभी इन्हें ‘चूचियां’ नहीं बोला होगा…” दीपा ने कर्नल का हाथ अपने कोट के ऊपर से अपने मम्मों पर दबा दिया।

“दीपा जी… मैं…” कर्नल हकलाया। वो इस दबंग और बेशरम औरत का सामना नहीं कर पा रहा था।

दीपा ने उसका बड़ा सा हाथ अपने हाथ में लिया- “मैं तुम्हारे ऊपर तुम्हारे जीवन का सबसे बड़ा एहसान करने जा रही हूँ, कर्नल… मैं वो करने जा रही हूँ जो शायद किसी औरत को बरसों पहले कर देना चाहिए था। क्या तुम्हारी बीवी है… कर्नल…”

“नहीं… फौज की नौकरी में मुझे कभी शादी करने का समय नहीं मिला…” कर्नल ने बेचैनी से उत्तर दिया। वो दीपा के हाथ में अपने हाथ को देखने लगा।

“तो मेरा विचार है कि तुम्हें चुदाई का भी ज्यादा मौका नहीं मिला होगा और मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि इस बारे में कुछ किया जाये, कर्नल…” दीपा ने कहा और उस आदमी का हाथ अपनी एक बड़ी चूची पर दबा दिया और कहा- “अपनी अँगुलियों को मेरी चूचियों पर दबाओ और महसूस करो कि तुमने आज तक क्या खोया है…”
विकास का हाथ दीपा की गर्म चूची पर काँपा पर वो अपनी अँगुलियों को दीपा की भारी चूची पर कस नहीं पाया।

दीपा ने अपने हाउस-कोट का लूप खोल दिया और कर्नल का हाथ अपनी नंगी चूची पर रख दिया।- “अब तुम देख सकते हो कि मेरे पास क्या है… कर्नल, मुझे पता है तुमने कई बार अनुमान लगाया होगा कि मेरी चूचियां कैसी दिखती हैं… तो, अब ये तुम्हारे सामने हैं। कैसी लगीं…”

जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो दीपा ने कर्नल का दूसरा हाथ अपनी दूसरी चूची पर रख दिया। फिर जब दीपा ने अपने हाथ नीचे किये तो वो यह जानकर मुश्कुराई कि कर्नल ने अपने हाथ चूचियों से हटाये नहीं थे। “ये तुम्हारे लिये ही हैं कर्नल… तुम्हारे हाथ मेरी चूचियों पर हैं। मैं खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ। कुछ घंटों के लिये सब नियम भूल जाओ। मेरे पति और जयेश बहुत समय तक वापिस आने वाले नहीं हैं। हम दोनों घर में अकेले हैं। थोड़ी ज़िंदगी जियो कर्नल… मज़ा करो…”

“ये हुई न बात…” दीपा धीरे से कराही जब आखिर में कर्नल की मज़बूत अँगुलियों ने उसकी चूचियों को भींचा। दीपा उस आदमी को रिझाने में इतनी मशगूल हो गयी थी कि उसे अपनी गर्मी का पूरा एहसास ही नहीं था। कर्नल के स्पर्श से उसकी चूचियां कठोर हो गयी थीं और उसकी चूत से भी रस चूने लगा था।

“मुझे इसमें से आज़ाद होना है…” दीपा फुसफुसायी और फटाफट अपना हाउस-कोट उतार फेंका। सिर्फ काले रंग के ऊँची एंड़ी के सैंडल पहने दीपा अब बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

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“क्यों कर्नल…” दीपा मुश्कुरायी जब कर्नल उसकी नंगी चिकनी चूत को आँखें फाड़े देखने लगा। फिर बोली- “ठीक से देख लो कर्नल कि तुम्हें क्या मिल रहा है… ज़रा सोचो कैसा लगेगा जब मेरी गीली चूत तुम्हारे विशाल लौड़े को निचोड़ेगी… तुम्हारा लौड़ा बड़ा है।… है ना कर्नल…”

“मैं नहीं जानता कि आपके विचार में बड़ा क्या है… दीपा जी…” कर्नल ने अपना थूक निगलते हुए कहा। उसके हाथ दीपा के मम्मों पर और भी जकड़ गये और उसकी आँखें अभी भी दीपा की चिकनी चूत पर टिकी थीं।


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“देखने दो मुझे… फिर बताती हूँ कि मेरे विचार में बड़ा क्या है…” दीपा मुश्कुराती हुई बोली। कर्नल के हाथ दीपा की गर्म चूचियों को भींच रहे थे और दीपा को अपने ऊपर काबू रखना कठिन हो रहा था। हाय रे… दीपा ने लंबी आह भरी जब उसके हाथों ने कर्नल के विशाल लण्ड को नंगा किया। वो उसके लण्ड को पूरा बाहर नहीं निकाल पायी थी क्योंकी उसके लिये दीपा को कर्नल की पैंट नीचे खिसकानी पड़ती, लेकिन जितना भी उसे दिख रहा था उससे दीपा को विश्वास हो गया था कि कर्नल का लण्ड किसी घोड़े के लण्ड से कम नहीं था।