मेरी पडोसी माधुरी दीदी की चुदास

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दोस्तों आज ये कहानी जो लिखने जा रहा हूँ ये मेरे घर के पीछे रहने वाली एक दीदी और मेरी. वो बहुत सेक्सी थी. दूध छोटे थे, कलर वीटिश, हाइट भी ५.३ ही होगी पर कुछ भी कहो सेक्सी बहुत थी. हमारे घर पीछे से जुड़े हुए हैं पर आना जाना नहीं है, मैं फिर भी कभी कभी चला जाता था.

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एक दिन की बात है जिस दिन के बाद मेरी नियत खराब हुई. मैं पीछे से उनके घर गया दोपहर मे, खिड़की खुली हुई थी और वो कपड़े बदल रही थी, वो टॉप और पैंटी मे थीं. मेरा मन था कि पैंटी उतार दे तो मैं अपनी ज़िंदगी मे पहली बार किसी लड़की की चूत देख लू लेकिन ऐसा नही हुआ लेकिन फिर उन्होने अपना टॉप उतारा, वो ब्रा नहीं पहने हुई थी और मुझे उनके छोटे छोटे दूध दिख गये, ब्राउन फ्लॅट निपल थे, आर्म्पाइट मे बहुत बाल थे जोकि मुझे बहुत अट्रॅक्ट कर रहे थे, फिर क्या था लंड खड़ा हुआ और मैं भागा पर मूठ नहीं मारी. कुछ दिन तक उस दिन के बारे में सोचता रहा पर कभी कुछ ट्राइ नही किया. कुछ दिन बाद या कहिए महीनो बाद मैं उनके घर फिर गया दोपहर में, जब पहुँचा तो देखा के वो बाथरूम मे नहाने जा रही थीं, उनका बाथरूम नीचे घर के गेट से बाहर है उतने मे उनकी मम्मी आ गयीं और बोलीं कि राहुल बेटा घर पर कोई नहीं है सब शादी में गये हैं मैं भी जा रही हूँ, माधुरी बाथरूम में है, मैने अंदर का कमरा लॉक कर दिया है | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |  नहा कर निकले तो चाबी दे देना. मेने कहा ठीक है, वो चली गयीं. फिर मैने सोचा कि क्यूँ ना गेट के छेद मे से बाथरूम मे झाँका जाए. झाँका तो देखा कि वो तो ब्रा पैंटी मे ही नहा रहीं थीं, मैं देखता रहा उनने ने नहा लिया उसके बाद उन्होने अपनी पैंटी उतारी है बस फिर क्या था, बहुत घने बालों के बीच में दो कलियाँ, मज़ा आ गया, उसके बाद वो जब झुकीं तो मेरी तरफ बॅक करके तो उनकी चूत बिल्कुल करीब से देखी. जी तो कर रहा था के अभी उंगली डाल दूं लेकिन ऐसा हो ना सका. वो तैयार होकर बाहर आईं तो मैने उनको चाबी देदि. फिर मैं उनसे धीरे धीरे बात चीत बढ़ाने लगा, कभी कभी डबल मीनिंग बात भी कर देता था पर या तो समझती नहीं थी या फिर जान बूझ कर कुछ रिक्ट नही करती थी. उनका कोई बॉय फ्रेंड भी था जिससे वो शाम को अंधेरा होने के बाद छत पर आकर फोन पर बात करती थी. मेरा रूम भी छत से लगा हुआ था तो कई बार मैं छत पर ही आकर सूसू करता था, कभी ना कभी तो उन्होने मुझे ऐसा करते देखा ही होगा पर मेरा कभी ध्यान इसलिए नहीं गया क्यूंकी अंधेरा बहुत रहता था. एक बार मैने उनको एक स्टोरी भी सुनाई उनके घर मे किराए से रहने वाली एक भाभी की जिसमे मैने उनको बताया के वो और भैया एक दिन कर रहे थे. क्या कर रहे थे ये मैने नहीं बोला तो वो स्माइल की और बोली के तुम ये सब चीज़ें मत देखा करो तो मैने कहा कि मेरे घर की खिड़की में से दिख गया तो क्या करू, मेरे यहाँ से सब दिखता है, पर फिर भी कुछ बात ना बन सकी. फिर एक दिन मैं कुछ सोचते सोचते एग्ज़ाइटेड हो गया तो मुझसे रहा नहीं गया तो मैं मूठ मारने छत के उसी कोने मे गया जो उनके घर से जुड़ा हुआ था पेड़ होने के कारण वहाँ सबसे ज़्यादा अंधेरा भी रहता था, शाम हो चुकी थी और अंधेरा भी हो ही गया था, मैने उनकी छत भी चेक करी तो वहाँ पर कोई नहीं था तो मैने लंड निकाला, घुटने के बल बैठा और शुरू हो गया, 5-7 मिनिट बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई खड़ा है आस पास, नज़र उठा के देखा तो माधुरी दीदी खड़ी थीं और सब लाइव देख रहीं थीं. जब मैने उनको देखा तो मैं उनको देख रहा था और वो मुझे और मेरे खड़े लंड को देख रहीं थीं , दोनो के फेसस पर अववव वाला एक्सप्रेशन था, मैने झट से लंड अंदर किया और वो हँसने लगी और बोली कि क्या कर रहे थे, तो मैने बोला कुछ भी तो नहीं, तो वो बोलीं के मैने सब कुछ देख लिया है, मैने पूछा कि क्या तो बोली के सब कुछ. मैं डर गया और बोला कि किसी को कुछ मत बताना मैं वो सब कुछ करूँगा जो आप बोलॉगी तो वो बोली कि अरे बाबा किसी से कुछ नहीं कहूँगी बट तुम्हे एक छोटा सा काम करना होगा, मैं बोला मंज़ूर है तो वो बोली कि तुम्हे अपना वो मुझे दिखाना होगा फिरसे, मैं बोला कि देख तो लिया ही है एक बार और दिखा देता हूँ. मैने लंड निकाला तो वो बोली कि अभी तो बड़ा था अब इतना सा कैसे हो गया, तो मैने कहा के मैं डर गया था इसलिए सारा एग्ज़ाइट्मेंट चला गया, तो वो बोली कि फिरसे कड़क करो इसको तो मैं उसको हिलाने लगा, तो वो बोली कि क्या मैं इसे छू सकती हूँ तो मैने कहा कि हां हां बिल्कुल तो उन्होने लंड को धीरे से छुआ, इट वाज़ अन इनटेन्स फीलिंग, आइ कॅन’ट डिस्क्राइब इट नाउ. फिर उन्होने उसे धीरे धीरे हिलाना शुरू किया मुझे बहुत मज़ा आ रहा था…. फिर मुझे अंदर से एक कॉन्फिडेन्स आया और मैने उनके टॉप को उठाके उनके लोवर में हाथ डाल दिया और सीधा पैंटी के अंदर जाकर उनकी बालों वाली चूत को पकड़ लिया जो कि गीली थी. वो बहुत जम कर गुस्से में बोली कि हाथ बाहर निकाल ! मैं डर गया पर वो मेरा उस टाइम भी लंड हिला रही थी मैं स्टिल खड़ा रहा, हाथ को वहीं रखा, फिर धीरे धीरे मैने उंगली चलानि शुरू की तो वो भी एग्ज़ाइटेड होने लगी और मैं तो हो ही रहा था. फिर मैने उनका लोवर और पैंटी नीचे खिसका दी मोबाइल की लाइट में चूत देखी जो बहुत जम कर गीली थी, झान्ट के बाल भी गीले हो रहे थे. मे झड़ने वाला था और एकदम से मैने उनके पेट पर और झान्टो पर अपना वीर्य छोड़ दिया, वो खड़ी रही और मैने उंगली करना रोक दिया तो बोली करो करो करो अच्छा लग रहा है और कुछ देर बाद वो भी झड़ने वाली थी और उनके पैर अंदर की तरफ मुड़ने लगे, वो गिरने लगी तो उसने मुझे पकड़ा और ढेर सारा वाइट जूस निकाला और उसकी धीरे से चीख निकल गयी और वो कमज़ोरी में वहीं अपने रस पर बैठ गयी, उसके कपड़े भी गंदे हो गये पर 5 मिनिट बाद उसने हिम्मत जुटा कर गीला लोवर पहना और नीचे चली गयी. मैं भी वापस आ गया. फिर दुसरे दिन भी माधुरी दीदी की मम्मी नही आई और वो मेरे घर आ कर मेरी माँ से बोली आंटी राहुल को मेरे घर सोने को भेज दो मै घर में अकेली हूँ घर में कोई नही है मम्मी कल आयगी (माधुरी के पापा और भाई कमाने गए है इसीलिए वो और उसकी मम्मी घर में रहती है ) तो मै अपने कमरे में था मै सब कुछ सुन रहा था पर कुछ नही बोला बस पढने का नाटक कर रहा था मेरे मन में तो माधुरी की चूत की शक्ल दिख रही थी तभी मम्मी ने आवाज दिया राहुल खाना खा ले और जा माधुरी के घर बरामदे में सो जाना उसके घर पे कोई नही है फिर सुबह जल्दी से आ जाना मैंने बस यु ही उनको बोला नही मुझे नही जाना है | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | क्योकि मुझे पता था मम्मी मुझे जबरदस्ती भेजेगी सोच ही रहा था की तब तक मम्मी मेरे कमरे में आ गयी और मुझे उठा कर बोली चल खा ले और जा माधुरी के घर में सो जाना मै तो मन ही मन काफी खुश हो रहा था और मै खाना खाने लगा माधुरी को बोला दीदी आप चलो मै आता हूँ अभी और मै खाना खा के जैसे ही माधुरी दीदी के घर में अन्दर इंट्री मारी वो मुझे बेड पर लिटा कर चूमने लगी और मै अपनी एक हाथ उनकी पैंटी में दाल दिया और चूत की क्लिट सहलाने लगा एसे लग रहा था पहले से चूत से पानी निकल रहा था फिर क्या मैंने धीरे धीरे फिंगरिंग करना स्टार्ट कर दिया और वो खूब तेज तेज सिसियाने लगी आआअह्ह्ह राहुल्ल्ल्ल आअय्य्य्य ययय या मेरा होने वाला है रुको तुम अपना पप्पू अन्दर डालो जल्दी से फिर क्या मैंने अपना ४ इंच मोटा लंड निकला और अन्दर डाल दिया अन्दर डालते ही गप की आवाज के साथ मेरा लंड अन्दर चूत में कस गया और निचे से माधुरी दीदी धक्के मार रही थी तो मुझे भी जोश बढ़ रहा था और मैं भी धक्के मरने लगा और धक्को के साथ साथ पीछे से एक हाथ दीदी के गांड में डाल रहा था जिससे उनके धक्को की स्पीड बढ़ रही थी और उनके एक बूब्स के घुंडी को दातो से धीरे धीरे काट रहा था वो और जो से सिसियाने लगती थी आआअह्ह्हआआअह्ह्ह एस रह्ल्ल्लल्ल्ल्ल और जोर से आआअह्ह्ह आआअह्ह्ह तब तक उन्होंने मुझे कस के अपने पैरो  से दबा लिया और मै समझ गया की अब ये खलास हो रही है | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |

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 फिर मैंने भी अपने धक्को की स्पीड तेज कर दी और मै भी साथ में झड़ने लगा करीब २ मिनट तक हम झड़ते हुए हिलते रहे और फिर मै माधुरी दीदी के ऊपर ही थोड़ी देर पडा रहा फिर करीब ३० मिनट आराम करने के बाद उन्होंने चाय बनायीं और दोनों पिए और फिर हम चुदाई में लग गये उस दिन हमारी चुदाई सुबह के ४ बजे तक चलती रही दुसरे दिन मैं