हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अमरेन्द्र है और मेरे पड़ोस में एक १७-१८ साल की लड़की रहती थी, जिसका नाम मारिया था। में तब 12वीं क्लास में पढ़ता था और मारिया हमारे घर अक्सर आया जाया करती थी। फिर एक दिन जब में पढ़ रहा था, तो वो अचानक से आकर मेरी गोदी में बैठ गयी, तो मुझे अजीब सा महसूस हुआ।
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फिर मैंने एक चान्स लेना चाहा और उसके साथ मस्ती करते-करते अचानक से मैंने मेरा एक हाथ उसकी जांघो पर घुमाना शुरू किया, तो पता नहीं उसे शायद अच्छा लगा। फिर मैंने कुछ दिनों तक जब भी वो मेरे घर आती, तो में उसकी जांघों पर अपना हाथ फैरता रहता था, लेकिन वो भी उसे हमेशा अपनी गोदी में ही बैठाकर इससे मुझे मेरी इंद्रियों पर थोड़ी सी मालिश मिलती थी।
फिर एक दिन मैंने धीरे से मेरा एक हाथ उसकी चड्डी के अंदर डाल दिया और उसे वहाँ भी गुदगुदी करने लगा। तो शायद उसे ये अच्छा भी लगा और नहीं भी, क्योंकि उसने मेरा हाथ झटके से हटा दिया, तो मैंने कोई भी जवाब नहीं दिया।
फिर एक दिन उसे कोई खिलोना जो कि हमारे घर के बक्से में रखा था, वो देखना था। फिर मैंने तुरंत उसे इस शर्त पर देने का वादा किया कि वो मुझे अपनी चड्डी में अपना हाथ लगाने देगी, तो फिर वो मान गयी। असल में मेरा वो पहला अनुभव था, जिसमें में इतने नज़दीक से उसको देख रहा था।
फिर कई दिनों तक हमारा यह खेल चलता रहा और अब जब भी वो मेरे घर आती तो उस खिलोने से खेलने की ज़िद करती, लेकिन कुछ दिनों के बाद मुझे महसूस हुआ कि वो धीरे-धीरे मजे करने लगी थी, क्योंकि अब में जब भी उसकी चड्डी में अपना हाथ डालता और मुझे अगर ऐसा करते हुए कोई दिक्कत आती तो वो अपने आप उसकी चड्डी साईड से अपने एक हाथ से खोल देती और मुझे तो ये भी पता नहीं था कि आगे क्या होती है?
फिर उन दिनों मुठ मारते-मारते मेरे दिमाग़ में एक ख्याल आया और अब में पूरा नंगा होकर गाड़ी पर टिश्यू पेपर रखकर मेरी इंद्रियां उस पर एड्जस्ट करके मेरी कमर आगे पीछे करता, जैसा कि चोदने की स्टाइल में होता है, मुझे इसमें हाथ से मुठ मारने से भी ज़्यादा मज़ा आने लगा था। फिर मेरे दिमाग़ में एक ख्याल आया तो एक दिन मैंने मारिया को और एक अच्छा खिलोना दिखाया और उसे नया मज़ा करने के लिए मना लिया।
फिर मैंने उसकी चड्डी उसके घुटनों तक उतार दी और बाजू में जाकर अपना लंगोट भी निकाल दिया, लेकिन ऊपर की मेरी हाफ पेंट वैसे ही रखी और उसको मेरे सामने खड़ा किया और थोड़ा अपने घुटनों में झुककर मेरी इंद्रियों वाली जगह उसकी योनि के आसपास लगाई और धक्के लगाने शुरू किए, तो इससे मेरा वीर्य थोड़ी देर के बाद निकलने लगा।
फिर एक दिन मैंने ऐसा करते-करते धीरे से मारिया को पता चले बिना मेरी पैंट के बटन खोल दिए। उसे पहले तो कुछ मालूम नहीं पड़ा, लेकिन अचानक उसे उसकी जांघों पर गर्म चीज़ महसूस हुई तो तब उसने देखा कि ये कुछ अलग है। फिर थोड़ी देर के बाद में उसकी जाँघो पर झड़ गया और अब इतने दिनों से तो में अपनी पैंट के बटन खोले बिना अंदर झड़ जाता था, उसकी वजह से उसे मेरे झड़ने का पता नहीं चलता था l
लेकिन इस बार मेरा पूरा वीर्य उसकी जांघों पर लग गया था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। फिर यही सिलसिला कुछ और दिन तक चलता रहा, लेकिन फिर एक दिन मैंने उसके साथ झगड़ा कर लिया, तो वो मुझे मनाने लगी। अब शायद उसे भी वो चीज़ अच्छी लग रही थी और फिर कुछ दिनों तक मैंने उसके साथ कुछ भी नहीं किया और फिर जब भी वो मेरे घर पर आती तो में उसके साथ ज़्यादा बात नहीं करता था।
फिर एक दिन वो बोल ही गयी कि अमरेन्द्र भैया तुम्हें वो सफेद-सफेद मेरी जांघों पर नहीं निकालना क्या? तो तब मैंने उस मौके का फ़ायदा उठना चाहा। अब थोड़ा-थोड़ा उसके समझने में आने लगा था, लेकिन हमारा ये सिलसिला काफ़ी दिनों तक चलने की वजह से वो काफ़ी खुल गयी थी। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
फिर एक दिन उसने मुझसे पूछा कि क्या में फिर से उसके साथ कभी वैसे नहीं करूँगा? तो तब मैंने उसके साथ वो सब फिर से करने के लिए एक शर्त रख दी कि वो में जैसा कहूँगा वैसे ही करेगी। फिर में उसे हमारे घर में एक ऊपर वाला कमरा था वहाँ ले गया और कहा कि अब में पहले जैसा करता था वैसे ही करूँगा, लेकिन खड़े होकर नहीं बल्कि लेटकर, तो वो मान गयी।
फिर मैंने और एक शर्त रखी कि वो उसकी चड्डी घुटनों तक नहीं बल्कि पूरी निकाल देगी, तो वो तुरंत मान गयी और फिर उसने अपनी चड्डी निकाल दी। फिर में उसके ऊपर सो गया, तो वो मेरा वज़न नहीं सह सकी। फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसे अपने ऊपर लेटा दिया और धीरे-धीरे उसके कूल्हों पर अपना हाथ फैरने लगा।
अब मुझे धक्के मारने का मज़ा नहीं आ रहा था तो मैंने फिर से उसको अपने नीचे ले लिया और धक्के मारने लगा, लेकिन इतने दिनों से जब में उसे खड़े-खड़े धक्के मार रहा था, तो तब उसकी जांघों के बीच में मेरा लंड घर्षण की वजह से वीर्य छोड़ रहा था, लेकिन इस अवस्था में मेरे लंड का घर्षण ठीक से नहीं हो रहा था तो में मेरे लंड का टोपा उसकी योनि के साथ अपने हाथ से पकड़कर रगड़ने लगा l
तो उसने अपने पैर चौड़े किए और मेरा लंड थोड़ा नीचे की तरफ खिसक गया, तो तब जाकर मैंने महसूस किया कि ये कुछ और चीज़ है। फिर में बैठकर उसकी योनि को ठीक से देखने लगा तो तब मैंने एक छोटा सा छेद जैसा देखा। फिर मैंने हल्के से मेरी एक उंगली उसमें डालने की कोशिश की तो मारिया ने कहा कि नहीं भैया, तो मैंने पूछा कि क्या हुआ? तो तब वो शर्म से लाल हो गयी।
फिर मेरे बार-बार पूछने के बाद उसने बताया कि उसकी सहेली अक्सर इस छेद में उसकी पेन्सिल अंदर डालती है। तो मैंने कहा कि पेन्सिल तो उसे लग जाएगी, लेकिन उंगली की नहीं लगती, तो तब वो मान गयी। फिर मैंने वैसा ही किया और कुछ देर तक मेरी उंगली अंदर बाहर करता रहा।
अब मारिया को यह बहुत अच्छा लग रहा था। फिर कुछ दिनों तक हमारा ये ऐसे ही खेलने का सिलसिला जारी रहा। फिर एक दिन मैंने एक मेरे बड़े दोस्त से बात-बात में पूछा कि शादी के बाद कैसे करते है? मैंने डर के मारे उसे मेरे और मारिया के खेल के बारे में कुछ भी नहीं बताया था।
तो तब उसने मुझे समझाया कि लंड कैसे उस छेद के अंदर जाता है? फिर उस दिन में जब स्कूल से घर आया तो तुरंत मारिया के घर गया और उसको घर आने के लिए इशारा किया, तो वो तुरंत ही मेरे घर आ गयी। अब मुझे उस छेद में उंगली नहीं बल्कि मेरा लंड डालने की कोशिश करनी थी।
फिर मैंने मारिया को बताया, तो वो तुरंत मान गयी और ऊपर वाले कमरे में दौड़ते हुए पहुँच गयी और मेरे ऊपर जाते ही मैंने देखा कि मारिया अपनी चड्डी निकालकर मेरा इंतज़ार कर रही है। फिर मैंने उसके दोनों पैर पूरे खोल दिए और उसकी चूत के छेद की तरफ मेरा लंड एड्जस्ट किया और दबाने लगा। अब काफ़ी ज़ोर लगाने के बाद मेरा लंड थोड़ा सा अंदर जा रहा था।
फिर मैंने मारिया को बताया कि मेरे ज़ोर लगाने से भी ये अंदर जा नहीं रहा है, तुम उसे अपने हाथ से पकड़कर अपने छेद पर एड्जस्ट करो और में अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रखकर ज़ोर लगाता हूँ, तो उसने मान लिया और वैसे ही किया। फिर जब मैंने ऐसा करके ज़ोर लगाया, तो मारिया एकदम चिल्ला उठी और अब उसे कुछ खबर होने के पहले ही मेरा लंड उसकी योनि में था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
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अब मेरे दोस्त ने मुझे सारी क्रिया समझा दी थी, अब में वैसे ही कर रहा था। अब थोड़ी देर के दर्द के बाद मारिया को भी थोड़ा मज़ा आ रहा था। में पहले भी उसकी चड्डी निकालकर उसकी जांघों पर मेरा लंड रगड़कर धक्का मारता था, अब मुझे भी इस टाईप के धक्को में काफ़ी मज़ा आ रहा था। फिर थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद मेरा वीर्य निकलने की प्रक्रिया चालू हो गयी, अब मुझे इस बार जांघों से भी ज़्यादा मज़ा आ गया था। दोस्तों ऐसे मेरा पहला संभोग शुरू हुआ था ।।