मल्लू आंटी को बल्ले जैसा लंड

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मल्लू को पेलूं तो मस्त लगे।

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हाय दोस्तों कैसे हो, क्या इधर बीच कोई मल्लू माल चोदी? अगर नहीं चोदी तो फिर अपना लंड थामकर बैठ जाओ, आज मैं आपको ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूं कि सच में मजा आ जाएगा और तुम अपने आस पड़ोस की मल्लू आंटियों को चोदने के बारे में योजना बनाए बगैर न रह पाओगे। तो ये कहानी है मेरे गांव की बब्ली आंटी की। गांव के कुंए पर सुबह सुबह जब वो नहाने को आती तो धुंधलका रहता। महिलाएं गांव में जल्दी नहा लेती हैं क्योंकि उनको दिन के उजाले में नहाने में मर्दों के सामने लज्जा आती है। क्या करें, यहा प्राइवेट बाथरुम टाइप का तब कुछ भी नहीं हुआ करता था। बब्ली आंटी देखने में मस्त मल्लू हैं, छत्तीस, बत्तीस और अड़तीस की फिगर लेकिन एकदम कसी हुई। आगे पीछे दोनों तरफ से दिखने में हसीन मल्लू। कहते हैं कि उनका अपने देवर से भी संबंध है। क्या दिक्कत है, इतनी मस्त माल अगर चोदने को मिल जाए तो दो चार लोग चोद ही लें। तो उनको नहाते हुए देखना मेरा पसंदीदा शगल रहा है। जब से जवान हुआ हूं या यूं कहूं कि उनको देखके ही मैं जवान हुआ हूं।

वो हमेशा एक ही जैसी दिखीं, चाहे वो कोई भी दौर रहा हो। उनकी मस्त मल्लू गांड के आध फांके जब चलती हैं तो साड़ी को चबाने लगती हैं। मतलब कि जब वो मटक के चलती हैं तो गांड के उपर की साड़ी उनके गांड के दरार में घुसी चली जाती है। चूंचियां इतनी तगड़ी और सुडौल की दूध के मारे लगता है फटने वाली हैं, ब्लाउज की उपर की बटन हमेशा टूटी हुई। कमर के नीचे नाभी के नीचे साड़ी बांधने वाली बब्ली आंटी, आह्ह्ह!! हमेशा अपने समय से आगे रही। उसके आगे आजकल की बालीवुडिया हीरोईनें पानी भरें। कुंवारी लड़कियों की भी जलवे उनके आगे कम हैं। तो मैं कह रहा था कि रोज की तरह से हम उस दिन भी बब्ली आंटी के इंतजार में अपने घर के बाहर छुप के खड़े थे, मेरे घर के सामने ही कुंआ था, सार्वजनिक कुंआ जिसमें नहाने के लिए बब्ली आंटी रोज आती थीं। वो आईं, अपनी साड़ी खोली, और पेटीकोट और ब्लाउज में अधनंगी हो गयीं। मैने अपने लंड को दबोच लिया। वो एकदम से खड़ा हो गया। उन विशाल स्तन को देख कर, भारी गांड जो कि पेटीकोट के उपर से ही देखी जा सकती थी। इसके बाद जो भी अब मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। उन्होंने साड़ी एक तरफ रख दी थी और बालटी को कुंए में डालकर पानी निकालने लगीं।

 मस्त मल्लू चूंचियां, देख कर दिल हुआ झकास।

आह्ह!! ऐसी खूबसूरत जवानी, झुक कर पानी निकालते समय दोनों बड़ी बड़ी चूंचियां लटक कर बाहर आ गयीं। मेरा मन किया जाके दबोच लें। हल्के उजाले में गोरी गोरी चूंचियां, सुबह सुबह का भूखा लंड देख कर पागल हो गया। अकड़ कर लोहा हो रहा था। मैने उसको पकड़ के उपर नीचे करते हुए अपने आप हस्तमैथुन का मजा लेने लग गया। तभी मुझे जोर की छींक आ गयी। अचानक से आंटी ने मेरी तरफ देख लिया। मुझे देख कर वह सब समझ गयीं और मुस्कराते हुए पास बुलाया, जब मैं पास गया तो बोलीं, अच्छा तेरा बाप पहले मुझे छुप के देखा करता था अब तुम देखते हो। चलो मेरा पानी मेरे घर पहुंचा दो। उसने अपने बदन पर दो बालटी पानी डाला, एक धोती लपेटी और चल दी। मै दोनों हाथों से बालटी उठाए हुए उसके पीछे उसके घर चला। अंकल खेतों पर चले गये थे। अंदर आते ही आंटी ने सिटकनी चढा दी और बोली। तो बता ” कितने दिनों से तुम मुझको देख रहे हो ऐसे चुपके चोरी?” मेरी सिट्टी पिट्टि गुम थी पर कहीं न कहीं आज इस मल्लू के चूत मिलने के आसार भी नजर आ रहे थे। मैने अपनी आंखें झुका लीं तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी मोटी मोटी चून्चियों में छुपा लिया और बोली, लो अब खेलो इनके साथ गांड में दम है तो। मुझे कसम से मजा आ गया उसके इस अंदाज पर।

मैने दोनों मल्लू चूंचियां पकड़ के उसे धक्का दिया तो वो खाट पर गिरी। मैने उसको दबोच लिया। उसका पेटीकोट उठाकर उसकी झांटों वाली चूत को पकड़ के मसलने लगा। एक हाथ से चूंचि मसलते हुए देखा मैने कि उसके झांटों में कुंए की पानी की बूंदें अभी भी किसी ओस की तरह से चमक रहीं हैं। मैने हल्के हल्के अपने पलकों को उसकी झांटों पर फिराना शुरु किया। इतने कोमल स्पर्श से वो मारे खुशी के पागल होने लगी थी और मैने उसकी चूत में अपनी जीभ फिसलाई। वो मदमस्त होकर अपनी जांघों से मेरे चेहरे को छुपा लिया। ऐसा लगा जैसे वो मेरी गर्दन दबोच लेगी। मोटी मोटी जांघें। फिर मैने अपना लंड जो कि पहले से ही खड़ा था, उसके चूत में डाला और पेलने लगा। आह्ह!! आह्ह!! और वो मस्त होकर अपने चूतड़ उछालने लगी। फिर उसने तकिया अपनी गांड के नीचे रख लिया और अपनी चूत उचका के मेरा मोटा लंड पूरी तरह से अपनी चूत की गहराई में लेने लगी। उसकी चिकनी और अनुभवी चूत में लंड को जाने में कोई खासा परेशानी नहीं हो रही थी।

धकाधक और फचाफच की आवाजों से झोपड़ी गूंज उठी थी कि मैने देखा कि उसकी पकड़ मेरे कमर पर ढीली पड़ गयी। उसकी चूत से फचाफ्च पानी आने लगा था। शायद वो झड़ गयी थी और उसकी आंखें एक दम लाल हो चुकीं थीं। उसने अपनी गांड मेरी तरफ घुमा दी। अभी मेरा लोहा सख्त था। मैने उसकी गांड को थपथपाया और फिर उसकी छेद को अपने थूक से भर दिया। अब मैने अपनी मोटी और लंबी उंगली अंदर बाहर करनी शुरु कर दी थी। वो मस्ताने लगी और फिर मैने जल्दी ही अपने लंड को अंदर का रास्ता दिखाया। उसकी चूंचियां मलते हुए उसकी मोटी गांड को पेल कर मैने उस मल्लू माल को तृप्त कर दिया। एक राउंड गांड मारने के बाद मैने अपना वीर्य उसके सेक्सी कमर पर गिरा दिया। वो निहाल हो रही थी। जल्द ही उसने मेरे लंड को पकड़ कर चूस लिया। 

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चूस कर उसने फिर खड़ा कर दिया और इस बार मैं नीचे वो उपर। धकाधक और फचाफच चूदम चुदाई का खेल्। मल्लू आंटी को पेल कर वाकई मैं धन्य हो गया हूं। अब भी जब मुझे मल्लू माल पेलने का मन करता है, उस मल्लू आंटी के दरवाजे हमेशा मेरे लिए खुले हैं।