दुसरे का नुकसान अपना फायदा

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रति और प्रत्युष दोनों बहुत कमाल की जोड़ी थे और मेरे अच्छे दोस्त भी लेकिन उस दिन जो रति का फ़ोन आया तो सुनकर मैं हैरान हो गया, क्यूंकि उस ने मुझे बताया की प्रत्युष किसी और लड़की के लिए उसे छोड़कर चला गया है और तलाक़ के पेपर्स भी साइन करने को दे गया है.

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मैंने उसे समझाया कि चिंता ना करे मैं थोड़ी देर में पहुँच ही रहा हूँ, रास्ते भर बस इसी चीज़ की चिंता थी कि कहीं रति कुछ कर ना ले क्यूंकि मैं जानता था कि वो एक इमोशनल लड़की है. रस्ते से मैंने बर्गर्स भी पैक करवा लिए थे क्यूंकि रति जब भी टेंशन में होती थी तो खाना उसके लिए अच्छा स्ट्रेस बस्टर होता था.

उनके फ्लैट पर पहुँचते ही मैं दो तीन दफे घंटी बजाई तो रति ने बदहवास हालत में दरवाज़ा खोला वो सिर्फ नाईटी पहने हुए थी, मैंने कहा “इतनी परेशां हो कि कपडे तक नहीं बदले” तो वो बोली “कल रात को ही प्रत्युष हफ्ते भर के टूर से वापस लौटा और मुझे बिठा कर सारी कहानी बताई कि किस तरह वो और सुनयना मिले और वो अब मेरे नहीं बल्कि सुनयना के साथ रहना चाहता है, ये देखो तलाक़ के पेपर्स भी दे गया है”. मैं प्रत्युष की बेवकूफियों से वाकिफ तो था ही लेकिन ये बात तलाक़ तक पहुँच जाएगी ये नहीं सोचा था और वो भी रति जैसी खूबसूरत लड़की को छोड़कर. मैं खुद रति पर बहुत फ़िदा था लेकिन दोस्त की वाइफ होने के नाते उसे बुरी निगाह से नहीं देख पाया, उसका गोरा बदन उसके गुलाबी होंठ और उसके लहराते घने बाल हर चीज़ उसके सुन्दर होने का प्रमाण थी लेकिन फिर उस मूर्ख प्रत्युष ने उसे क्यूँ छोड़ा.

जब मैंने रति से पूछा की प्रत्युष कब से इतने लम्बे टूर कर रहा था तो वो बोली “शुरू शुरू में तो सब ठीक था लेकिन जब से मेरा एबॉर्शन हुआ तब से सेक्सुअल एक्टिविटी कम होने की वजह से उखड़ा उखड़ा रहने लगा और फिर लम्बे टूर करने लगा”. मैं समझ गया की प्रत्युष को सेक्स की कमी महसूस हुई होगी जिसे सुनयना ने पूरा किया और अब वो रति को छोड़ सुनयना के साथ चला गया. मैंने रति को कहा “चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा” और उसे पैकेट में से बर्गर खाने को दिया जिसे खाते खाते वो जोर जोर से रोने लगी, मैंने उसे संभाला और उसके सर पर हाथ रखा (हालाँकि रखना तो उसके मस्त संतरे जैसे बूब्स पर चाहता था जो नाईटी में से झाँक रहे थे) वो सुबकते हुए बर्गर खा रही थी और बहुत ही मासूम लग रही थी.

जब रति बर्गर खा चुकी तो मैंने उसे पानी का बोतल दिया वो हलके से मुस्कुराई और बोली “आखिर क्या कमी थी मुझ में” मैंने कहा “रति कमी तुम में नहीं थी कमी प्रत्युष में थी, उसमें वो कमिटमेंट नहीं था शायद”. रति चिल्लाई “जब कमिटमेंट था ही नहीं तो मेरी ज़िन्दगी बर्बाद क्यूँ की” और एक बार फिर बिलख के रो पड़ी, मैंने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और कहा “तुम बस रो मत रति, तुम्हारे साथ कुछ बुरा नहीं होगा”. रति मुझसे लिपट गई, हालाँकि मैं घबराया हुआ भी था और खुश भी क्यूंकि मैं जो चाहता था वही हो रहा था पर ऐसे होगा मुझे अंदाज़ा नहीं था. रति के जिस्म की खुशबु ने मेरे दिमाग को शिथिल कर दिया और मेरे छोटे दिमाग यानि लंड को जगा दिया.

वो गले लग के भी लगातार रोए जा रही थी और मैंने उसके  सर पर हाथ फिरा रहा था ताकि वो शांत हो जाए, वो शांत हो भी रही थी लेकिन साथ ही उसकी पकड़ और मज़बूत भी हो गयी थी मेरे टी शर्ट में नाखून गड़ाती हुई वो अपनी गर्म सांसों से मुझे पिघला भी रही थी. मेरे लंड का जीन्स में बुरा हाल था बेचारा टाइट जीन्स में ना तो हिल डुल पा रहा था और एक्साइटमेंट में इतना कड़क हो गया था की सब कुछ अन कम्फ़र्टेबल हो गया था. इस बीच रति ने अपने आप को मुझसे दूर कर लिया और बोली “सॉरी वो फ्रस्ट्रेशन में समझ नहीं आया और” वो बोलते बोलते रुक गई फिर बोली “मैं फ्रेश हो लेती हूँ, तुम्हे भी स्मेल आ ही गयी होगी मेरी बॉडी से”.

पता नहीं कैसे मेरे मुंह से निकला “स्मेल तो नहीं पर तुम्हारे जिस्म की खुशबु ज़रूर आरही थी” तो रति ने मेरे जीन में फँसे और खड़े लंड की तरफ इशारा करके बोली “वो तो दिख ही रहा है”. मैंने झेंप गया तो उसकी हँसी छूट गई, मैंने बात बदलने के लिए कहा “कुछ खाओगी ? बना दूँ” तो वो बोली “नहीं अभी बरगर खाया ही है न, तुम कुछ लोगे?”

मैंने पास ही लगे चेयर पर बैठ गया और पूछा “अब क्या करना है” तो वो बोली “पता नहीं लेकिन कुछ तो करुँगी क्यूंकि प्रत्युष ने सीधे शब्दों में मुझे कह दिया कि मैं उसे पसंद नहीं” उस ने अपनी नाईटी के बटन खींच कर तोड़ दिए और चिल्लाई क्या मैं सुन्दर नहीं हूँ सेक्सी नहीं हूँ” मैं सकपकाया हुआ बोला “हो बिलकुल हो”. बस इतना सुनते ही वो फिर मुझसे चिपट गई और बोली “तो प्रत्युष मुझे क्यूँ छोड़ कर गया, क्यूँ क्यूँ क्यूँ”. उसके खुले बूब्स देख कर मेरा तो लंड मानो जीन्स फाड़ कर बाहर आना ही चाहता था कि उस ने मुझे लिपटे लिपटे ही अपने लेफ्ट हैण्ड से मेरा लंड पकड़ लिया और मेरी तरफ देखने लगी, मैं अब भी झेंपा हुआ था लेकिन उसकी आँखों में बदले और वासना के भाव एक साथ नज़र आ रहे थे.

अपनी नर्म और गुदगुदी छाती को मेरे सीने पर जोर से दबा कर वो बोली “चीनू मुझे मेरे सेक्सी होने का अहसास करवा दो ना” मैंने कहा “देखो रति ये ग़लत है, तुम मेरी दोस्त हो और मेरे दोस्त की बीवी भी हो” इस पर वो भड़क उठी और चिल्लाकर बोली “कौनसा दोस्त कैसी बीवी, छोड़कर चला गया न सब कुछ वो हरामी”. मैंने उसे चुप करवाने के लिए उसे कास कर अपनी बाहों में जकड लिया लेकिन उसे तो कुछ और ही जूनून सवार था, उस ने मेरी गर्दन पर चूमना शुरू किया और मैं हडबडाहट में पीछे सोफे पर गिर गया.

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अब रति मुझ पर सवार थी और उस पर सेक्स सवार था, उस ने अपना जूडा खोल लिया  था और अपने बालों को मेरे चेहरे पर लहराने लगी. मेरी टी शर्ट को फाड़ कर उस ने मेरे सीने पर चूमना शुरू कर दिया, मैं अवाक् सा ये सब देख और झेल रहा था लेकिन सबसे ज्याद मेरा लंड झेल रहा था क्यूंकि वो अब भी जीन्स में फंसा पड़ा था और रति की गांड की रगड़ से मदमस्त और बेहाल दोनों एक साथ हो रहा था. वो मेरे निप्प्ल्स को अपनी जीभ से चाट और दांतों से हौले हौले काट रही थी तभी मैंने अपने एक हाथ से जीन्स में फँसे लंड को सीधा करने की कोशिश की तो वो बोली की रुको मैं इसे सीधा कर देती हूँ.

रति मेरे सीने से धीरे धीरे नीचे उतरी और मेरे नाभि को चूमती हुई मेरी जीन्स के बटन को चाटने लगी, वो बिलकुल किसी प्रोफेशनल की तरह ये सब कर रही थी. उसने मेरे लंड को जीन्स के ऊपर से चूमना और काटना शुरू किया तो मुझे लगा की आज कहीं ये अपने हवस के जूनून में मेरा लंड खा ही ना जाए, मैंने उसके बाल पकड़ कर उसका मुंह दूर हटाया तो बोली “आज मत रोको मुझे, आज मैं खुद को साबित करना चाहती हूँ”. बस इतना कह कर उस ने मेरी जीन्स खोल दी और मेरा लंड देखा कर बोली “ये क्या है, इस लंड से तो मेरी चूत फट के चौराहा बन जाएगी” वो सही कह रही थी क्यूंकि मेरा लंड था तो केवल ६ इंच का लेकिन उसकी मोटाई काफी ज्यादा थी और शायद उसे इतने मोटे लंड की ना तो आदत थी और ना ही उस ने कभी ऐसा देखा था.

रति प्यार से मेरे लंड को सहलाने और चूमने लगी, बेचारा जो इतनी देर से जीन्स में फंसा हुआ था अब उसे हवा और प्यार दोनों ही भर भर के मिल रहा था. रति ने मेरे लंड को अपने होठों से रगड़ना शुरू किया और इसी कोशिश में उस ने मेरे लंड की चमड़ी को भी नीचे खिसका दिया जिस से मेरे लंड का सुपाड़ा एक दम बाहर आगया था और वो ये सब देख कर हैरान थी क्यूंकि शायद ऐसा कमाल का मोटा लंड और चिकना सुपाड़ा पहले उसने कभी लिया नहीं था. रति ने मेरे लंड के सुपाड़े को अपने दाँतों से खुरचना शुरू किया, फिर मेरी कहने पर उसने दांत की बजाए अपने होठों से ये काम किया और फिर तो वो इस कदर बावली हो गई की मेरे लंड ने सोचा होगा भाई बाहर आया ही क्यूँ मैं.

रति ने चूस चूस कर मेरे लंड का वो हाल कर रखा था की एक एक नस साफ़ नज़र आने लगी थी और वो थी की उसे अपने बाप का दिया खिलौना समझे बैठी थी, कभी  होठों से कभी जीभ से कभी गालों से तो कभी बूब्स से सहलाने लगी थी. अपने दोनों बूब्स के बीच मेरा लंड फंसा कर वो ऐसे मुस्कुरा रही थी जैसे बावली हो रही हो, मैंने कहा “छोड़ दो प्लीज़” तो बोली “मैं तो तुम्हारे लंड की पॉवर देख के हैरान हूँ की अब तक इस ने मेरे मुंह में मलाई क्यूँ नहीं भरी”. मैंने उसे कहा “इसे अपने मुंह में लो और घुमा घुमा कर चूसो तो शायद मलाई निकल आए”. बस इसके बाद तो जैसे उस पर चुदाई की चुड़ैल सवार हो गयी और उस ने मेरे लंड को चूस चूस कर मलाई निकालने की भरपूर कोशिश शुरू कर दी. मैं दर्द के मारे परेशान था लेकिन मज़ा इतना आरहा था की उसे अब रोकने का मन भी नहीं कर रहा था. रति ने अपने मुंह का ऐसा जलवा दिखाया की मेरे लंड से एक दम गाढ़ी मलाई निकल कर उसके चेहरे और बूब्स पर फ़ैल गई जिसे वो भूखी औरत चाट चाट कर साफ़ करने लगी.

मैंने थका हार सोफे पर पड़ा था और रति तो मानो आज मुझे कामदेव ही समझे बैठी थी, उस ने अपनी नाईटी खोल कर फेंक दी और पूरी नंगी हो कर मेरे सर पर सवार हो गई. उसकी नंगी चूत मेरे होठों पर थी जिस पर एक भी बाल नहीं था, एक तो कमाल की गुलाबी और टाइट चूत उस पर बाल भी नहीं और सबसे अच्छी बात उसकी चूत में से कोई स्मेल भी नहीं आ रही थी. इतनी वेल मेंटेंड लड़की को कोई कैसे छोड़कर जा सकता है भला, यही सोच कर मैंने उसकी चूत को चूम लिया तो रति ने कहा “चीनू तुम हे अच्छी लगी ना मेरी जवान चूत” तो मैंने जवाब दिया “मेरी जान ऐसी कमाल की चूत कभी नसीब ही नहीं हुई, पता नहीं प्रत्युष को क्या हुआ था”. रति ने कहा “नाम मत लो अब उस चूतिये का और बस मेरी इस जवान चूत को खुश कर दो”, मैंने भी उसका इशारा समझा और अपनी जीभ से उसे ऐसा तडपाया की रति की तो मिनट भर में ही चूत से धार बहने लगी उसका डिस्चार्ज भी बुरा स्मेल नहीं कर रहा था तो मैंने एक्साइटमेंट में उसे भी चाट गया.

रति मेरे इस डिस्चार्ज चाटने से ऐसी खुश हुई की वो मेरे लंड की तरफ घूम गई और बोली “एक और ओरल सेक्स का सेशन करो ना”, मैंने दोबारा से उस जन्नत की चौखट को चूमने और चाटने लगा और उधर रति ने भी अपने होठों का कमाल मेरे लंड पर दिखाना शुरू किया. मेरा लंड फिर अपनी औकात में आ कर टाइट हो गया तो रति और बावली हो कर उसे चूसने लगी, मेरी जीभ के चटखारे रति को वैसे भी पागल किए हुए थे सो उस ने एक बार फिर फारिग हो कर अपना डिस्चार्ज मेरे मुंह पर छोड़ दिया. इस बार भी मैं उसे चाट गया और मारे एक्साइटमेंट के मैंने रति की जांघ पर काट  भी लिया जिसका जवाब रति ने ने बॉल्स को अपने मुंह में निगल के दे दिया. हम दोनों की चीखें निकल गईं और अब रति मेरे लंड पर बैठ कर रिवर्स को गर्ल की पोजीशन में आगई और अपनी घायल तड़पती चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी, मैं खुश था की चलो अब काटने की रिस्क तो नहीं है. थोड़ी देर ऐसे ही  उसकी गीली चूत के बाहर मेरा लंड रगड़ने के बाद जब मैंने  लंड उसकी चूत में डालने के लिए पहला धक्का मारा तो रति दर्द के मारे चीख पड़ी “ओ माँ मर गई” फिर दर्द की सिस्कारियों के साथ चीनू चीनू चिल्लाने लगी.

वो बराबर मेरे लंड पर कूद कूद कर घोड़ा चला रही थी मैंने कहा “मेरी तरफ मुड़ो ना मुझे तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखना है” ये सुनकर वो पलटी और मुस्कुरा कर वापस मेरे लंड पर बैठ गयी इस बार मेरा लंड अन्दर लेते वक़्त चिल्लाई नहीं बल्कि  खुश हो कर हलकी सी सिसकारी भरी. रति चुदते समय  और सुन्दर दिख रही थी उसके सुन्दर बाल लहरा रहे थे और उसके संतरे जैसे बूब्स हिल रहे थे, उसने मेरे दोनों हाथ उठा कर अपने बूब्स मुझे पकड़ा दिए जिन्हें मैं मसलने लगा तो वो और एक्साइट हो गयी. अब वो जोर जोर से कूदने लगी और मेरा नाम ले कर “चीनू चीनू और तेज़ और जोर से” चिल्लाने लगी उसकी ये आवाज़ सुनकर मेरा भी एक्साइटमेंट बढ़ गया और मैंने भी अपनी तरफ से धक्के लगाने शुरू कर दिए, हम दोनों अब एक्साइटमेंट के  चरम पर थे और दोनों का ही एक साथ छूट गया. उसने मेरा सारा माल मलाई अपनी चूत में ही छूटने दिया पर मेरा लंड अपनी चूत से निकला नहीं और मेरी छाती पर निढाल हो कर गिर गई.

इसके बाद हमने अपने अपने ऑफिस से एक हफ्ते की छुट्टियां ले कर इतने तरीकों से चुदाई मचाई कि उस पर एक किताब लिखी जा सकती है. इस घटना के एक महीने बाद मेरे पास प्रत्युष का फ़ोन आया और उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया, जहाँ उस ने मुझे एक पेन ड्राइव देते हुए कहा “रति ने तलाक़ के पेपर साईन कर के भेजने के साथ ये भी भेजा था” और बस वो पेन ड्राइव दे कर मुझे हिकारत की नज़र से देख कर चला गया. घर आ कर मैंने वो पेन ड्राइव लैपटॉप में लगाई तो उस में मुझे मेरे और रति के ढेरों वीडियोस मिले जिन्हें अलग अलग एंगल से शूट कर के रति ने उसे भेजा था ताकि वो समझ सके की उस ने क्या खोया है

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और रति ने क्या पाया है. वीडियोस के अंत में रति ने भर भर के गालियाँ दी थी प्रत्युष को, मैंने ये सब देख कर रति को कांटेक्ट करने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई कांटेक्ट नहीं हो पाया. मैं आज भी उन वीडियोस को देखता हूँ और रति को याद कर के मुठ ममार लेता हूँ क्यूंकि उस लड़की जैसा सुख ना तो कोई दे पाया था और ना ही दे पायेगा.