मेरी आदत बड़ी ख़राब है

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम सुमी है और मेरी उम्र २५ साल है और एक लड़कियों के कॉलेज मे पढ़ रह हु |

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जब मैने स्कूल मे अपनी जवानी मे कदम रखा था, तभी से मुझे लडको के लंड की ठरक लग गयी थी और मैने अपनी क्लास के और स्कूल के और आसपड़ोस के लडको से अपने को चुदवा कर अपनी सेक्स और संभोग की प्यास को बुझ्वाना शुरू कर दिया | एक दिन, मेरे माँ-बाप कहीं बाहर गये हुए थे और मैने एक पड़ोस के लड़के को बुला लिया था और उससे मज़े मे चुद रही थी, कि अचानक से मेरी माँ की तबियत ख़राब होने की वजह से वो लोग वापस आगये | कमरे मे ज्यादा आवाज़ गूंजने के कारण, मैने घंटी की आवाज़ नहीं सुनी और वो लोग डुप्लिकेट चाबी से दरवाजा खोल कर जब मेरे कमरे मे आये; तो वो मुझे पूरी नंगी देखकर और पड़ोस के लड़के से चुद्वाते देखकर पागल हो गये | मेरी माँ तो बेहोश हो गयी और मेरे बाप ने हम दोनों को इतना मारा कि हम दोनों के बदन लाल हो गये | उसके बाद, मेरे माँ-बाप ने मुझे उस शहर से दूर भेजने का फैसला कर लिया और मुझे लड़कियों के कॉलेज मे दाखिला दिलवा दिया | लेकिन, फर्स्ट कभी नहीं बदलती और कुछ दिन तो मैने चूत की हवस को बर्दाश्त कर लिया और अपनी प्यास को दबा लिया; लेकिन कुछ दिनों बाद मेरी चूत की खुजली बड़ गयी और मुझे अब नहीं रहा जा रहा था |मुझे अब इस बात का अफ़सोस होने लगा था, कि मै एक लड़कियों के कॉलेज मे हु और मेरे आसपास कोई लड़का नहीं था | मैने अब किसी भी लड़के के तलाश शुरू कर दी थी | एक दिन, मै इसी दुविधा मे इल्झी हुई मेस मे खाना खा रही थी, तभी मुझे एक लड़के की आवाज़ सुनायी दी; दीदी रोटी और लोगी? ये सुनते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और मैने पूछा, तू रात को क्या करता है? उसका नाम केसरी था और वो बोला, क्या दीदी; आप भी कमाल करती हो, जैसे आप सोती हो, वैसे मै भी सोता हु | मेरे चेहरे पर चमक आ गयी थे और मैने अपने पर्स से १०० का नोट निकला और केसरी को दिया और बोला, मुझे रात को बाग़ मे मिलना, कुछ जरुरी काम है | केसरी को सब समझ आ गया था, क्योकि केसरी हॉस्टल मे रहने वाली काफी सारी लड़कियों का माल था, जो मुझे काफी बाद मे पता चला | मेरा सारा दिन, बड़ी बैचेनी से कटा और मुझे रात का बड़ा बेसब्री से इंतज़ार था | रात हो गयी और मै सबके सोने के बाद, बाग़ मै पहुच गयी; केसरी तब तक नहीं आया था और मुझे समझ आ गया था, कि केसरी अपना काम करके ही आएगा |तब तक, मैने अपने कपडे उतारकर एक तरफ रखकर दिये और अपने कोमल अंगो के साथ खेलने लगी और एक तरफ बैठकर अपनी चूत मे ऊँगली करने लगी | मैने काफी दिनों से हस्थ्मथुन नहीं किया था, तो कुछ ही सेकंड मे, मेरी चूत मे से मेरा पानी रिसने लगा | मुझे कोई आता सुनाई दिया, तो मैने फटाफट सारे कपडे पहन लिए | जब मैने देखा, कि केसरी ही है तो मैने उसको पीछे से पकड़ लिया और उसके लंड को पकड़ लिया और उसको खीचने लगी | केसरी ने बोला, दीदी मुझे तभी समझ आ गया था, कि आपने मुझे क्यों बुलाया है और मै उसके लिए तैयार भी हु | मेरी आँखों मे चमक आ गयी और केसरी ने एक ही झटके मे अपने सारे कपडे उतार फेंके; वो अंदरविअर जानबूझकर नहीं पहनकर आया था और उसके कपडे उतारते ही, उसका बड़ा और काला लंड मेरे सामने झूल गया | उसका लंड बड़ी ही मस्ती मे और बैचेनी मे झटके मार रहा था | उसके लंड के मुह की खाल उतरी हुई थी और उसके लंड के मुह का गुलाबी सुपाड़ा बड़ा ही मोटा और नौकदार था | मेरी चूत ने तो पहले ही पानी छोड़ दिया था, अब उसमेसे और भी रस निकलने लगा और मेरे निप्पल बड़े और कड़े हो गये |केसरी ने मेरे कपड़ो के ऊपर से ही मेरे चूचो को दबाना शुरू कर दिया और मैने उसके लंड को खीचना | उस साले के हाथ बर्तन धोते-धोते काफी सख्त हो चुके थे और मेरे चूचो को बड़ी ही बेरहमी से दबा रहे थे | मै उसके लंड को मस्ती मे दबा रही थी और हम दोनों के मुह से सिसकिया निकल रही थी aaaaaaaaaaahhhhh…..ऊऊऊऊओ…………मर गयीए…………….आआआ………… मेरे होठ सूख रहे थे और मुझे होठो का नरम स्पर्श चाहिए था, लेकिन केसरी के होठ बड़े गंदे थे और उसके होठो को चूसने के मेरी हिम्मत नहीं हुई | मैने मन मे सोचा, साली होठो को मार गोली, चूत की प्यास बुझवा ले; काम चल जाएगा | केसरी ने एक बार मे ही, मेरे पुरे कपडे उतार डाले और मुझे नंगा का दिया | मेरी चिकनी चूत देखकर, उसकी आँखों मे चमक आ गयी और वो अपने होठो पर जीभ फेरने लगा | उसने मुझे धक्का मार दिया और मै जमीन पर गिर पडी | उसने मेरी टाँगे खोली और अपना मुह मेरी चूत मे घुसा दिया और उसकी लम्बी जीभ पट-पट करके मेरी चूत के मुहाने पर चल रही थी और मेरे शरीर को गुद्गुद्दा रही थी |मेरे मुह से सिसकियो के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था aaaaaaahhhhhhh……ऊऊऊऊ…………मर गयी………..बस….रुक जा….साले…..लेकिन केसरी रुकने का नाम नहीं रहा था और उसकी जीभ से मै झड़ गयी और मेरा शरीर थकने लगा, लेकिन मेरे दिल मे अपनी चूत मे उसका लंड लेने की चाहत थी | उसने मुझे अपना लंड मुह मे लेने के बोला, मैने एक बार तो अपना मुह उसके लंड के पास किया, लेकिन उसके लंड की बदबू से मुझे उलटी आने लगी और मैने उसे मना कर दिया और बोला, केसरी अब रुका नहीं जा रहा और ज्यादा देर यहाँ रहना भी ठीक नहीं | मुझे जल्दी से चोद दे; अब मेरी चूत ज्यादा खुजली नहीं ले सकती | उसने मेरी बात मानकर, मेरे दोनों पेरो को खोल दिया और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगा | मेरी गांड मस्ती मे मचलने लगी और मेरे मुह से आआआअ……ऊऊओ…बस ..ठोक दे..निकलने लगा | उसने अपना लंड रगड़ते हुए ही, एक ही झटके मे अपना लंड मेरी चूत मे घुसा दिया और जोर से और तेज-तेज मुझे चोदने लगा |मै झड़ चुकी थी और मेरी पूरी चूत गीली हो गयी थी लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था और मै अपनी गांड हिलाहिलाकर उसके लंड को और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी | बाग़ की घास ने मेरी पूरी कमर को छिल दिया था और मेरी कमर से खून निकलना शुरू हो गया, लेकिन चूत की मस्ती के सामने वो दर्द बेमानी था और मुझे केसरी के हर झटके मे मज़ा आ रहा था | आज कई महीनो बाद, मेरी चूत की हवस बुझी थी | केसरी की गांड तेज चलनी शुरू हो गयी, मुझे लगने लगा कि केसरी झड़ने वाला है और केसरी ने कंडोम भी नहीं पहना था, तो मैने एक ही झटके मे अपने हाथ से केसरी का लंड बाहर निकल लिया पर जैसे उसका लंड बाहर निकला, एक गरम पानी की पिचकारी ने मेरे पुरे शरीर को भिगो दिया | बड़ा ही गरम था उसका वीर्य; मुझे लगा, कि मेरा शरीर जल जाएगा | केसरी ने अपना लंड मेरे शरीर से उठा लिया और दूसरी तरफ जाकर जोर से मुठ मारने लगा और अपना सारा वीर्य झाड दिया | फिर, केसरी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और बिना कुछ कहे वहा से चले गया |मैने भी अपने अपने कपडे पहने और रूम मे आकर सो गयी | उस दिन, काफी रातो के के बाद मैने एक अच्छी नीद ली और उसके बाद, जब भी मेरी चूत मे आग लगती; मै केसरी को १०० रूपये देती और अपने को चुद्वाती | अगली बार तो केसरी नहाकर मेरे पास आया और मैने भी उसके लंड को चूसा | मेरे माँ-बाप ने मुझे उस शहर के लडको से बचाया, लेकिन मैने दुसरे शहर को अपने चुदने का अड्डा बना लिया |

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