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भाई बहन की लड़ाई और प्यार
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हैल्लो दोस्तों, में भूपेन हूँ और मेरी उम्र इस समय 23 साल है और में अपनी बड़ी बहन अर्चना के साथ रहता हूँ। मेरे पिताजी एक सरकारी ऑफिस में नौकरी करते थे और उनकी मौत के बाद मेरी बहन अर्चना, जो कि उस समय ग्रेजुयेशन कर रही थी कि तभी उसको नौकरी में रख लिया गया, वो शहर मैं अकेली रहती थी और में उसके साथ पिछले 10 साल से रह रहा हूँ। मेरी माँ अभी भी गाँव में ही रहती है, क्योंकि हम लोगों की बहुत सी ज़मीन ज़ायदाद गाँव में है तो उसकी देखभाल के लिए माँ वहीं रहती है।

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मेरी उम्र इस समय 23 साल है। में एक हट्टा-कट्टा लड़का हूँ और मेरी कद काटी भी अच्छी है। मेरी हाईट करीब 5 फीट 8 इंच, वजन 70 किलोग्राम और गोरा रंग है। में दिखने में खूबसूरत हूँ। मेरी बहन करीब 5 फुट 2 इंच की है, गोरी, भरा बदन और लंबे बाल, काली खूबसूरत आँखें है। में क्लास 5वीं में था, जब बहन के साथ रहने आया था।

फिर देखते-देखते ही समय बीत गया और में क्लास 12वीं में आ गया और मेरा खूब भरा पूरा शरीर हो गया और साथ में जवान लड़को वाली हरकतें भी आ गयी थी। अब में अक्सर दोस्तों के साथ बैठकर ब्लू फिल्म देखता और नंगी किताबें देखता और कभी-कभी तो रात में पॉर्न बुक्स घर भी ले आता, जिसमें चुदाई के सीन मुझे बहुत पसंद आते थे।

अब में घंटो देखता रहता और सोचता कि चोदने वालों की क्या ज़िंदगी है? तो मेरा लंड बेवजह ही खड़ा हो जाता, जो बैठने का नाम ही नहीं लेता और जब बैठता तो मेरा अंडरवेयर भीग गया होता। फिर में अपनी इस हरकत को छुपाने के लिए अपना अंडरवेयर खुद धोता और सूखने डाल देता और मेरी बहन को कानों कान कोई खबर ना होती।

फिर जब मेरी बहन ऑफिस में होती तो में उनकी ब्रा पहनकर उसमें कपड़ा भरकर खुद चूची समझकर दबाता और सेक्स का आनंद लेने की कोशिश करता और बहन की पेंटी, ब्रा को सूंघने का मज़ा लेता। अब यह सब हरकतें करने के बाद भी में कॉलेज में अच्छे नंबर लेकर पास होता था, तो मेरी बहन को मुझसे कोई शिकायत नहीं होती थी और फिर एक दिन गजब हो गया। में क़िसी दोस्त से किताब माँगकर लाया था और वापस देने के लिए कॉलेज बैग में ले गया, लेकिन दोस्त छुट्टी पर था, तो में वो किताब वापस घर ले आया।

अब वो किताब कॉलेज बैग में पड़ी थी, तो में रविवार को क्रिकेट खेलने पार्क में चला गया, तो घर पर मेरी बड़ी बहन ने मेरा बैग चैक कर लिया और बैग में से वो किताब निकाली। अब मुझे पता नहीं दीदी ने वो किताब देखी कि नहीं, लेकिन जब में घर आया तो दीदी का मूड उखड़ा हुआ था और वो मुझे बहुत घूर-घूरकर देख रही थी।

फिर में डर गया और मेरे बैग को देखने को भागा तो मैंने देखा कि वो किताब गायब है तो मेरे चेहरे का रंग उड़ गया। फिर दीदी ने पूछा कि क्या हुआ? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं, तो वो किताब मेरी तरफ फेंकते हुए बोली कि यही तलाश रहे होना। फिर मैंने कुछ नहीं कहा और अपना सिर झुकाकर खड़ा हो गया। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

अब मुझे पता था कि मुझे सजा मिलेगी और मिली और उन्होंने मेरा बैग उठाकर फेंक दिया और बोली कि निकल जा घर से, में तेरी शक्ल नहीं देखना चाहती। अब में चुपचाप खड़ा था और दीदी को देख भी नहीं पा रहा था कि दीदी ने मेरी बाजू को पकड़ा और घर से बाहर का दरवाजा दिखाकर दरवाजा बंद कर लिया। फिर में धीरे से बोला कि दीदी अच्छा कल में माँ के पास चला जाऊंगा, लेकिन आज में घर से बाहर ही रहूँगा।

ये करीब दोपहर के 2 बजे की घटना है तो में घर के सामने पार्क में जाकर बैठ गया और वही भूखा प्यासा बैठा रहा। फिर किसी तरह से दिन निकला और शाम हुई, तो शाम को अचानक से बरसात शुरू हो गयी, लेकिन मैंने भी ठान रखा था कि अब में घर नहीं जाऊंगा तो में बरसात में बैठा रहा और भीगता रहा, लेकिन घर नहीं गया।

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फिर इतने में मेरे घर का दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि दीदी मेरी तरफ ही आ रही थी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोली कि इतनी बरसात हो रही है तो तू बरामदे में ही आकर बैठ जाता। फिर मैंने कहा कि नहीं दीदी अब मेरा ठिकाना मेरा गाँव है, जहाँ मेरी माँ है जो मुझे ग़लती करने पर समझा देती है, लेकिन ऐसे घर से नहीं निकालती और भूखा तो बिल्कुल नहीं रहने देती।

फिर यह सुनकर मेरी दीदी मुझसे चिपक गयी और रोने लगी और मुझसे बोली कि अरे पगले में कोई तेरी दुश्मन थोड़ी ही हूँ। मुझे बुरा लगा तो मैंने बोल दिया, अब घर चल वहीं बात करेंगे, पहले गीले कपड़े बदल ले, तो में दीदी के समझाने पर घर आ गया।

फिर दीदी ने मेरे कपड़े निकाले और मुझे बदलने को बोला और गर्म कॉफी पिलाई और बोली कि अब बता तू यह सब क्यों करता है? यह सब करने की तेरी कोई उम्र थोड़ी है। फिर में बोला कि दीदी मेरे मन में सौ सवाल उठते है, क्यों मेरा लंड सुबह खड़ा हो जाता है? और लाख बैठाने पर भी नहीं बैठता, क्यों उसमें से सफेद रंग का पानी सा कुछ निकलता है? और में क्यों ठंडा पड़ जाता हूँ?

यह सवाल तो में अब आपसे पूछ नहीं सकता तो दोस्तों से पूछता हूँ और दोस्त जो जवाब देते है, वो आपके सामने है। मेरे दोस्त यही बताते है कि यह सब शरीर की भूख है जिसे एक औरत ही इस तरह ठंडा कर सकती है और वो सब में देखता हूँ और सोचता हूँ। अब आपके पास इन बातों का कोई जवाब है?

फिर दीदी चुप हो गयी और बोली कि में क्या जानू इन बातों को? मैंने तो अपने मन को मार लिया है और में यह सब नहीं सोचती हूँ। फिर में बोला कि आपको सोचना पड़ेगा दीदी, इस तरह तो आप घुट- घुटकर मर जाओगी। आप देखो और सोचो दीदी में छोटा ज़रूर हूँ, लेकिन जिस्म की भूख को समझने लगा हूँ।

अब दीदी की आँखों में आँसू थे और वो मुझसे बुरी तरह चिपक गयी और बोली तू छोटा ज़रूर है, लेकिन तू बातें बड़ी-बड़ी करता है, आ खाना खा ले और फिर बेड पर लेटकर बातें करेंगे। फिर मैंने कहा कि ठीक है दीदी और फिर मैंने मुँह हाथ धोकर खाना खाया और फिर थोड़ी देर तक टी.वी देखने के बाद हम लोग बिस्तर पर चले गये। हम सोते तो रोज़ ही साथ थे, लेकिन आज कुछ नई बात थी।

अब दीदी कुछ सोच रही थी और मेरे हाथ में वो पॉर्न बुक थी। फिर मैंने दीदी को बताया कि कुछ ज़रूरते ऐसी होती है जो सिर्फ़ शरीर ही पूरी कर सकते है, इसमें अपने मन को मारने जैसी कोई बात नहीं है।

फिर दीदी बोली कि अब यह सब में अगर छोटे भाई से करूँ, तो समाज क्या कहेगा? तो में बोला कि समाज क्या हमको रोटी देने आ रहा है? आप जो बात है खुलकर कहो। फिर दीदी कुछ नहीं बोली और मुझसे चिपककर बोली कि जो तेरा मन हो वो कर, अब में तेरे हवाले हूँ।

दोस्तों में जीत गया और दीदी से ज़ोर से चिपक गया और दीदी को किस करने लगा। अब में दीदी के शरीर से ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा लेना चाहता था तो मैंने धीरे से उनका ब्लाउज खोल दिया, तो उनके आम जैसे बूब्स बाहर निकल आए, दीदी ने शायद ब्रा नहीं पहन रखी थी। फिर मैंने उनके एक बूब्स को अपने मुँह में डाला और चूसने लगा, तो दीदी के शरीर में कुछ हरकत हुई और वो सिसकियाँ लेने लगी। फिर मैंने उनका दूसरा बूब्स अपने एक हाथ से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया।

अब दीदी की हालत बुरी होने लगी थी और वो ज़ोर से मेरे साथ चिपक गयी। फिर मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे शरीर में घुस जाना चाहती है। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट खोल दिया और उसे उनके पैरों के नीचे खिसका दिया। अब मैंने उनके ब्लाउज को भी निकाल दिया था, तो वो बिल्कुल नंगी हो गयी और बोली कि मेरे तो सब कपड़े निकाल दिए और खुद ने सारे के सारे कपड़े पहन रखे है। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

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फिर में बोला कि तो आप निकालो, तो वो बोली कि मुझे शर्म आती है। फिर मैंने कहा कि अब किस बात की शर्म? तो वो धीरे से मेरी पेंट की चैन खोलने लगी, तो मैंने उनकी मदद की और मेरी टी-शर्ट उतार दी। फिर मुझको नंगा करके उन्होंने मेरे लंड पर अपनी निगाह मारी और अपनी उंगली की तरफ इशारा करके बोली कि यह इतना छोटा सा हुआ करता था, अब देखो कितना बड़ा हो गया है?

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तो में उनकी चूची पर अपना एक हाथ रखकर बोला कि दीदी यह भी तो कैरेम बोर्ड की तरह सपाट होते थे, अब देखो कितने बड़े बूब्स हो गये है? तो वो शर्मा गयी और बोली कि तुमसे कोई नहीं जीत सकता, बताओ अब आगे क्या करना है मेरे भाई? तो में बोला कि आराम से करेंगे बहन। दोस्तों फिर इसके आगे मैंने उसे खूब चोदा और आज तक भी चोद रहा हूँ ।।

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