लंड से भरपूर लगाव

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हैल्लो दोस्तों, मेरा लंड आकार में थोड़ा सा छोटा है इसलिए मुझे शुरू से ही लंबे, मोटे दमदार लंड से लगाव रहा और इसलिए मेरा आदमियों की तरफ झुकाव हमेशा बना रहा है. वैसे मैंने गांड तो कभी किसी से अपनी नहीं मरवाई, लेकिन हाँ में एक बहुत अच्छा लंड सकर ज़रूर बन गया हूँ और लंड शब्द मेरे कान में जाते ही मेरे बदन में करंट दौड़ जाता है.

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दोस्तों यह सब जो कुछ भी में आज आपको सुनाने जा रहा हूँ मेरे साथ तब से घटित हुआ जब में उम्र में करीब 12-13 साल का था और एक छोटे से कस्बे में रहता था. उस समय में एक स्कूल में पढ़ता और बड़े मज़े मस्ती किया करता था और में दिखने में छोटा था. मेरी लम्बाई उस समय करीब 4.5 और में बहुत सलोना चिकना लगता था, लेकिन मुझे सेक्स के बारे में इतनी कोई भी जानकारी नहीं थी जो अब समय के साथ साथ हो गई है.

एक दिन मेरी क्लास में पढ़ने वाला एक लड़का मुझे मेरी क्लास से बाहर ले गया और वो मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे गालों को काटने लगा और उसने तुरंत ही मेरे सभी कपड़े उतार दिए और वो मुझसे बोला कि देख तेरा लंड कितना छोटा है और तू देख मेरा लंड तेरे लंड से कितना लंबा मोटा है और फिर उसने अपने भी कपड़े उतार दिए और तब मैंने देखा कि उसका लंड मेरे से दुगना लंबा मोटा था. दोस्तों उसका नाम रधु था उसने अब मुझसे कहा कि देख है ना मेरा लंड बड़ा? ले अब खेल और वो मेरे पास आ गया मैंने उसका लंड अपने एक हाथ में ले लिया और में उससे खेलने लगा.

उसका लंड जो उस समय तक आधा मुरझाया हुआ था और धीरे धीरे वो अपना आकार बदलते हुए बड़ा होने लगा था और वो मेरे देखते ही देखते अब करीब पांच इंच का हो गया था और में उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में लेकर ज़ोर ज़ोर से हिलाने मसलने लगा था और वो सिसकियाँ भरने लगा वो ओह्ह्ह्हह्हह्ह ओफ्फफ्फ्फ्फ़ और ज़ोर से वाह मज़ा आ रहा है, लेकिन उसी समय उसके लंड ने एक ज़ोर से झटका खाया और उससे पेशाब की जगह सफेद धार निकल पड़ी. अब मैंने उससे कहा कि यह क्या दूध जैसा निकला? तब उसने कहा कि इसको वीर्य कहते है और इससे हम सभी पैदा होते है, तेरे बाप ने भी तेरी माँ की चूत में वीर्य निकाला होगा तो तू भी उससे पैदा हुआ होगा.

दोस्तों में अपना लंड छोटा होने की वजह से मुझे लंबे लंड हमेशा बहुत अच्छे लगते थे और में उसके लंबे लंड को अपनी ललचाई नजर से देख रहा था. हमारे शहर से बाहर एक मंदिर के पास तीन चार साधुओं का ग्रुप आया था और वो वहां पर डेरा डाले हुए थे. वो लोग हमेशा हरे रामा हरे कृष्णा की धुन गाते और चिलम का कश लगाते वो लोग वहीं मंदिर के केम्पस में रहते और पास के जंगल में निपटने चले जाते थे और फिर वो लोग दिन भर मंदिर में हरे राम हरे कृष्णा का राग अलापते रहते थे.

दोस्तों मेरी उम्र 18 साल की हो चुकी थी और मेरे लंड का भी आकार पहले से थोड़ा सा बढ़कर अब तीन इंच का हो गया था, लेकिन लंबे लंड की भड़ास उठते ही मेरा बदन पागल हो जाता और एक अजीब सी हसरत मेरे मन में पनपने लगी. एक दिन में ऐसे ही अपने घर से घूमने बाहर निकला तो मैंने देखा कि एक साधू वहां पर बैठा हुआ था और वो उसका लंड जो करीब पांच इंच लंबा था, उसको अपने एक हाथ में पकड़कर वो मुठ मार रहा था. फिर में उसको वो काम करते हुए देखकर चकित होकर अपनी नजरों से घूरता हुआ वहीं पर रुक गया और आखें फाड़ फाड़कर में उसको देखने लगा.

कुछ देर बाद उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ गई और में अब वहां से उल्टे पैर भागने लगा, लेकिन तभी मुझे उसने लपककर तुरंत पकड़ लिया और वो मुझसे पूछने लगा कि क्यों तू यह सब क्या देख रहा था? में बहुत डर गया और बिल्कुल चुप रहा तो उसने मेरे ऊपर चिल्लाते हुए एक बार फिर से पूछा, तब मैंने उससे बोला कि आप उस लंड को हिला रहे थे और में वो सब देखकर मज़े ले रहा था. तो उसने मेरी बातें सुनकर मुझे भींच लिया और वो मेरे गालों को काटने लगा, जिसकी वजह से मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी सनसनी होने लगी और मैंने भी उसी समय उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर में अब उसको सहलाने लगा और अपनी मुट्ठी में लेकर लंड को दबाने लगा.

फिर उसने भी अब जोश में आकर मेरे कपड़े उतार दिए और वो खुद भी नंगा हो गया. उसके बाद उसने मुझे अपने तनकर खड़े लंड पर बैठा लिया और वो मुझे चूमने लगा. फिर मेरी छाती के निप्पल को ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा और अब जिसकी वजह से मेरे पूरे बदन में बड़ा अजीब सा करंट दौड़ रहा था. फिर में उसी समय तुरंत उछलकर उसकी गोद में से नीचे उतारकर उसके खड़े लंड को झट से अपने मुहं में लेकर किस करने लगा और उसका वीर्य जो लंड से रिसकर बाहर आ रहा था में उसको चाटने लगा और अपनी जीभ को लंड के टोपे पर घुमा रहा था और फिर कुछ देर बाद में उसके लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा. वो लंड करीब आधा मेरे मुहं में आ गया.

उसने अपने लंड को ज़ोर से धक्का देकर मेरे मुहं में धकेल दिया जिसकी वजह से उसका लंड पूरा मेरे मुहं में चला गया और फिर उसने अपने लंड को मेरे मुहं में आगे पीछे करके धक्के लगाना शुरू कर दिया. मुझे भी अब लंड का स्वाद बहुत मजेदार लग रहा था. फिर करीब दस मिनट बाद उसके लंड ने एक झटका खाया और मेरे मुहं में उसके लंड ने दूध की कुल्ली कर दी और में पूरा का पूरा उसका दूध अपने भीतर गटक गया, लेकिन दोस्तों में सच कहता हूँ कि उसका स्वाद बहुत अच्छा था और में उसका पूरी तरह से दीवाना हो गया और जैसे ही वो साधुओं का ग्रुप मंदिर छोड़कर जाने लगा और में भी उनके साथ हो गया और में उस साधू के साथ हमेशा चिपका रहता था. में उसका लंड अब हर रोज चूसता था और में उस पूरे ग्रुप के सभी लोगों का लाडला बन गया था, क्योंकि में उन सभी का लंड भी अब सक करता था.

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फिर ऐसे ही घूमते फिरते. अब हम लोग आगरा पहुंच गये और वहीं पर चम्बल के बीहड़ में उनका बहुत बड़ा डेरा था, जहाँ पर उनका लीडर रहता था और उसके 40-50 लोगों के ग्रुप हमेशा लगे रहते थे और उस लीडर के लिए एक कुतिया बना रखा था. उन साधुओ के साथ मेरे जैसे करीब दस कमसिन लड़के और थे. दोस्तों सब चेले अपने ग्रुप लीडर के लंड की बहुत तारीफ़ करते थे और वो हमेशा कहते थे कि उसका लंड बहुत बड़ा और दमदार भी है और एकदम गधे के लंड जितना मोटा तगड़ा भी था और फिर वो लड़के बारी बारी से उसकी कुतिया में चले जाते थे. अब हम दो लड़को की बारी भी आनी थी और जब हम उस कुटिया के भीतर गये तो वो लीडर जो करीब लम्बाई में 6.4 का था, वो बेड पर लेटा हुआ था और एकदम नंगा था.

उसका लंड देखकर तो हम दोनों एकदम चकित हो गये उसका लंड करीब 6 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड तनकर खड़ा था और हम दोनों ही उस समय उसके आसपास बैठ गये और अब हम उसका लंड अपने हाथ में लेकर मसलने लगे उसने अपने पर वहीं तेल लगा रखा था, जिसकी वजह से लंड चिकना बहुत चमकदार था. हम दोनों उसके लंड की मालिश करने लगे. फिर कुछ देर बाद उसका लंड अब धीरे धीरे पूरा तनकर खड़ा हो गया और सांप की तरह फनफनाने लगा और वो एकदम खड़ा होकर पूरा लंबा और अपने सही आकार में आ गया, जिसकी वजह से हमारी मुठ्ठी में भी उसका लंड नहीं आ रहा था.

अब लीडर ने मुझे अपनी गोद में लेकर मेरे गाल पर अपने दाँत गड़ा दिए और वो मुझे ज़ोर से काटने लगा. उसके बाद वो मुझे अपनी गोद में लेटाकर मेरी छाती की निप्पल को मसलने लगा. फिर मेरे अंदर एक अजीब सी कंपकपी होने लगी और वो फिर भी दबाता रहा और इस तरह उसने बारी बारी से हम दोनों को अपना लंड चुसवाया, क्योंकि हमारी गांड तो उसके लंड को झेलने के बिल्कुल भी लायक नहीं थी.

फिर उसने अपने लंड पर कंडोम लगाया और एक आदमी जो बाहर खड़ा था उसको भीतर लाकर वो उसके पीछे जाकर घोड़ी की तरह उसकी गांड में उसने अपना लंड डाल दिया और उस आदमी ने थोड़ी आह भरी और वो ज़ोर ज़ोर से उसको धक्के देकर चोदने लगा था. अब वो ओह्ह्ह्हह ओह्ह्ह्हह आह्ह्हह्ह करता जा रहा था, लेकिन उसके धक्के देने की स्पीड अब भी वही थी और उसमे कोई भी फरक नहीं पड़ रहा था. तभी अचानक से उसकी आँखे अब बंद होने लगी थी और उसने अपने लंड को बाहर निकालकर लंड से कंडोम को उतारकर पास ही में एक कोने में उसके लंड ने दूध की कुल्ली कर दी और वो पूरा भर गया. उसने हम दोनों को पूरा वीर्य पीने को कहा और हम दोनों ने ठीक वैसा ही किया.

दोस्तों में उस डेरे में करीब 6 महीने तक ही रहा. फिर में एक दिन में वहां से अपने घर पर पहुंच गया और में उसके बाद अपनी पढ़ाई में दोबारा से लग गया. में पढ़ाई करता रहा और मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मेरे घर वालों ने मेरी शादी भी करवा दी और में उस समय जवान था इसलिए मेरा लंड भी अपनी पत्नी को पूरा नंगा करके उसके गोरे कामुक बदन को देखकर में उसकी चुदाई करते समय तनकर खड़ा होता था और में अपनी पत्नी को बहुत जमकर मस्त तरीके से उसकी चुदाई करता औरर में अपनी चुदाई से उसको हमेशा पूरी तरह से संतुष्ट किया करता, जिसकी वजह से वो मुझसे हमेशा खुश रहने लगी थी और इस वजह से कुछ महीने बाद हमारे अपने बच्चे भी पैदा हो गए, लेकिन दोस्तों लंबे, मोटे लंड का मेरा लगाव अभी भी ठीक वैसा ही है जैसा कि पहले था.

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