शर्मा जी की मस्त शाली

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हुत दिन हुए कुछ अपनी आपबीती सुनाये तो सोचा आप सबसे शेयर करूँ यह आपबीती !

वैसे तो आप सब मुझे जानते हैं, मैं श्रेया आहूजा जालंधर की पंजाबी कुड़ी, उम्र लगभग तीस साल, गोरी चिट्टी वजन अभी साठ किलो कि थोड़ी सी बबली, गोरी गोरी बांहें, अक्सर स्लीवलेस पहनती हूँ तो मेरे बगल देख कर आप दीवाने हो जाओगे, बिना बाल की बगल ! मन करेगा आपको कि मेरी बगलें चाट लें ! मोटी भरी हुई जांघें, गोल गोल चूतड़ और पतली सी कमर, पीठ में एक काला तिल, उभरे हुए उरोज बाहर आने को उतावले रहते हैं।

जैसे उम्र बढ़ती जा रही है, लोग कह रहे हैं मैं और सेक्सी होती जा रही हूँ।

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अक्सर लोग मुझे नेट पर मिल जाते हैं, कभी ईमेल कर कर के बोर कर देते हैं, कभी फेसबुक में फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज भेज कर !

कोई कहता है मेरा लंड सात इंच का है, कोई कहता है बहुत चोदूँगा !

पर जय सबसे अलग था, उसके सभी ईमेल में दोस्ती के लिए पैगाम था और साथ ही हमेशा गिफ्ट करने की बात करता था।

बहुत इग्नोर किया उसे लेकिन एक दिन उससे बात करना ही पड़ी, यही बात काफी दूर ले आई हमें !

पहले नेट चैट, फिर फ़ोन ! हम काफी करीब आ गए थे कुछ ही दिनों में !

फिर शुरू हुआ स्काइप पर वेब चैट !

जय मुझे अब अपने कंप्यूटर स्क्रीन में देख रहा था !

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जय- यार तुम तो बहुत सेक्सी हो !

मैं- लेकिन तुम तो एकदम बच्चे से हो।

जय- मैडम, मैं इंजीनियरिंग स्टूडेंट हूँ और दो साल बाद इंजीनियर बन जाऊँगा।

मैं- ओह के ! तुम तो नाराज़ ही हो गए? बताओ कभी सेक्स किया है?

जय- नहीं और तुमने?

मैं- मैंने भी नहीं किया है।

वैसे तो न जाने कितनी बार चुदी हूँ पर बच्चे का मन रखने के लिए कह दिया।

जय- अपनी स्कर्ट उठाओ न प्लीज़ !

मैं- ठीक है।

मैंने अपनी स्कर्ट उठाई, मैंने अंदर काले रंग की पैंटी पहन रखी थी।

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जय- पैंटी भी उतारो ना, मैंने आज तक कभी लाइव किसी की फ़ुद्दी नहीं देखी है।

मैं- नहीं, इसके लिए तुम्हें फिर से मेरे अकाउंट में दस हज़ार रुपये डालने होंगे।

जय- इतने रुपये नहीं हैं मेरे पास।

मैं- ठीक है फिर बाय बाय तुमने पांच हज़ार सिर्फ मुझे ब्रा पैंटी में देखने के लिए दिए थे !

जय- एक मिनट रुको, मैं अभी पापा के वीसा कार्ड से तुम्हारे अकाउंट में पैसे डालता हूँ।

जय कंप्यूटर में तेज़ था और उसने नेट बैंकिंग से फिर से मेरे अकाउंट में पैसे डाल दिए।

मैं- स्मार्ट बॉय, अब बताओ क्या देखोगे अपनी श्रेया की? चूची या पूसी?

जय- दोनों ! पहले अपनी फ़ुद्दी दिखाओ।

मैं- ओह, बहुत उतावले हो मेरी फ़ुद्दी देखने के लिए?

मैंने अपनी पैंटी उतारी और अपनी दोनों टांगें वेबकैम की तरफ कर दी, वो मेरी चूत पूरी तरह देख रहा था।

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जय- वाओ, सेक्सी फिंगरिंग करो न !

मैं- ओह, तुम तो सेक्स के बारे बहुत जानते हो !

मैंने अपनी लम्बी लम्बी भरी हुई टांगें फैलाई और उंगली अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगी। जैसे जैसे ये होने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ अपने आप ही निकलने लगी, वैसे ओर्गास्म का ड्रामा ज्यादा कर रही थी।

जय- ओह कम ऑन ! शो मी योर बूब्स !

मैंने अपनी ब्रा खोली और वेबकैम के सामने अपनी चूची हिलाने लगी।

जय- ओह वाओ ! ब्यूटीफुल ! तुम्हारे निप्पल तो पिंक हैं, आई लव यू !

मैंने देखा जय भी एक हाथ अपनी पैंट में घुसाया हुआ था।

मैं- जय, मुठ मार रहे हो क्या? मुझे नहीं दिखाओगे अपना लौड़ा?

जय बुरी तरह शरमा गया और अपना हाथ बाहर निकाल दिया।

मैं- हा हा ! ऐसे शरमाओगे तो कैसे सेक्स कर पाओगे मेरे साथ? तुम चाहते हो कि मैं किसी और से सेक्स करूँ?

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यह सुनकर जय ने फड़ाक से अपना लंड बाहर निकाला और कैमरे के सामने मसलने लगा।

मैं- कब से मुठ मार रहे हो?

जय- सातवीं कक्षा से !

मैं- बहुत जल्दी शुरू कर दी? कितनी बार मारते हो?

जय- मैं तो दो से तीन बार रोज़ मारता हूँ, वर्ना नींद ही नहीं आयेगी मुझे।

मैं- किस चीज़ पर मारते हो?

जय- कपड़ या पेपर पर या फिर बाथरूम में हगते या नहाते वक़्त !

मैं- किसी को नंगी देखा है?

जय- हाँ, दीदी को देखा है, एक बार जब वो हगने गई थी तब उसकी गांड देखी थी, गोरी गोरी गांड थी।

मैं- अब कहाँ है तेरी दीदी?

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जय- शादी हो गई, मैंने एक बार उससे नहाते भी देखा था पर फ़ुद्दी नहीं देख पाया था आज आपकी देखी, मज़ा आ गया।

मैं- मसलते रहो लंड को, सोचो मुझे ही चोद रहे हो।

जय मसलता रहा लंड को और एक ही झटके में निढाल हो गया।

जय- अह अहह अह श्रेया, अह अह निकल रहा है !

मैं- बह जाने दो, कुछ नहीं होता !

जय के लंड से मुठ झटकों में निकल रहा था, करीब चार बार तेज झटके फिर कुछ बूंदें उसने निकाली।

मैं- अब साफ़ कर लो और आराम कर लो !

जय ने तौलिये से मुठ साफ़ की और फिर कंप्यूटर ऑफ कर सोने चला गया।

मैं रात भर सोचती रही कि जय ठहरा ज़ीरकपुर चंडीगढ़ का और मैं मॉडल टाउन जालंधर, यह मुझे सिर्फ सोशल नेटवर्क से जानता है, सोशल नेटवर्क पर चैट फिर फ़ोन सेक्स अब बात वेबकैम पर लाइव सेक्स पर पहुँच गया। यह सब में मैंने न जाने उससे कितनी बार मोबाइल रिचार्ज करवाया और अब एक ही रात में पंद्रह हज़ार खर्च कर दिए।

मैंने अगले दिन खूब शॉपिंग की जय के दिए पैसों से, पर उसका फ़ोन नहीं उठाया।

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उसने पचास दफा मुझे फ़ोन ट्राई किया था, मैंने सोचा कि ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता, क्यूँ न इस बेवकूफ से कुछ और पैसा बनाये जाये ! फिर यह मुझे कभी ट्रेस भी नहीं कर पायेगा।

अगले दिन मैंने ही उसे फ़ोन लगाया, उसने एक ही रिंग में उठा लिया।

मैं- सॉरी, कल फ़ोन नहीं उठा पाई।

जय- कहाँ थी तुम? मैं पागल हो जाऊँगा तुम्हारे बिना।

मैं- मुझे बस बुरा लग रहा था कि तुमने मुझे नंगे देख लिया, मुझे बहुत गन्दा लग रहा है।

जय- मैं तुमसे प्यार करता हूँ जो बोलोगी करूँगा !

मैं- आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं देखा, मेरे घर पर पता चला तो वो मुझे मार ही डालेंगे।

जय- मैं तुमसे शादी भी करूँगा।

मैं- नहीं तुम मुझसे छोटे हो, शादी नहीं कर सकती पर मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।

जय- सच में मुझे यकीन नहीं हो रहा !

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मैं- हाँ, पर अब मैं तुमसे कभी बात नहीं कर सकती क्यूंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।

जय- एक बार मिलोगी नहीं?

मैं- क्या करोगे मिल कर?

जय- सेक्स ! तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ एक बार बस !

मैं- मैं भी तुमसे पहली बार सेक्स करना चाहती हूँ पर मज़बूर हूँ।

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जय- कैसी मज़बूरी?

मैं- मम्मी का ऑपरेशन है और मुझे पैसो की सख्त ज़रूरत है।

जय- कितना? मैं दूंगा, तुम बोलो तो !

मैं- दो लाख की ज़रूरत है, एक लाख मेरे पास है, अगर तुम?

जय- ओके, मैं दूंगा तुम्हें एक लाख पर कहाँ और कैसे?

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मैं- देखो हम दोनों होटल टैक्सॉन्स जो घंटाघर लुधियाना के पास है, वहाँ मिलते हैं।

जय- ठीक है, इस सन्डे?

मैं- ओके लेकिन पैसे कैश चाहिए।

अगले सन्डे हम मिलने वाले थे, मुझे पता था कि जय में सेक्स की आग लगी पड़ी थी, बाइस साल के किसी लड़के में सेक्स की कैसी भूख होती है, आप लोगों को तो पता ही होगा, मेरी उम्र अभी तीस हो गई है और ऐसे लड़कों को कैसे सम्भालना है, मुझसे अच्छा कौन जानता होगा।

हम अगले संडे होटल में मिले, उसने कमरा बुक करवाया हुआ था, ऐसे होटल में खर्चा बहुत होता है, मैं जानती थी इसीलिए कुछ अपनी भी सेटिंग थी वहाँ पर ! प्लान तो अब मेरा यही था किसी तरह इस लड़के से पैसे लेकर भागूँ, सेक्स किसे करना था !

मैंने जीन्स और शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी, उजले रंग की कुर्ती थी जिससे वो मेरा ब्रा देख सकता था !

दरवाज़े की घंटी बजी, सामने देखा कि एक काला सा पतला सा बंदा खड़ा था, यही था वो विजय जयकुमार त्यागाराजन उर्फ़ जय !

मैं- तुम जय हो? इतने यंग? तुम तो बहुत ही छोटे हो और पतले दुबले हो ! कुछ खाते नहीं हो?

जय- अरे वो तो बस यूँ ही !

मैं- तुम पंजाबी तो नहीं हो, कहाँ के हो?

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जय- मैं कोविलम्बाक्कम वेल्लाचेर्री चेन्नई का हूँ, पर बचपन से पंजाब में हूँ इसीलिए हिंदी जानता हूँ।

मैं- तभी तो ! और बताओ पैसे लाये?

जय- हाँ, ये गिन लीजिये पूरे एक लाख हैं।

मैंने पैसे गिन लिए पर मेरी नज़र तो उस लड़के के लैपटॉप जो ‘एप्पल मैक बुक प्रो’ थी और उसका ‘एप्पल आई फ़ोन’ पर थी।

बहुत अमीर लड़का था, अब बस मुझे किसी तरह खिसकना था !

मैं- और बताओ कैसे हो? कोई गर्लफ्रेंड है?

जय- है ना तुम?

मैं- हाँ वो तो हूँ ही !

अब एक लाख लेकर तो मैं ऐसा ही बोलती और उसे देखकर नहीं लगता था कि कभी किसी लड़की से बात भी की होगी।

वो मेरे पास बैठ गया और मेरा हाथ थाम लिया।

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मैं- यह क्या कर रहे हो जय?

जय- बहुत प्यार करता हूँ ! एक किस दो न !

मैं- यह ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चल गया तो?

जय- किसी को नहीं पता चलेगा।

अब पैसे ले चुकी थी, और लैपटॉप लेना था, मैंने खुद को ढीला छोड़ दिया। जय मेरे पास बैठा था बिस्तर में और मेरे गरम होंठों को अपने होंठों पर सटाये चूमने लगा। वो मेरे होंठों को चूमे जा रहा था और अचानक ही उसने मेरे बड़े बड़े बूब्स को पकड़ लिया और मसल दिया।

मैं- यह ठीक नहीं है जय, इसे मत छुओ, अभी मेरी शादी भी नहीं हुई और शादी से पहले ये सब?

जय- मुझे एक बार चूसने हैं तुम्हारे बूब्स श्रेया ! बहुत बड़े हैं।

मैंने अपनी कुर्ती खोली, ब्रा उतारी और अपने बूब्स जय के हवाले कर दिए।

जय बूब्स को मसले और चूसे जा रहा था, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ की निप्पल चूसता है।

मैं- बस भी करो जय, मुझे जाना है। अब यह ठीक नहीं लग रहा है मुझे।

इस स्टोरी को मेरी सेक्सी आवाज में सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.

जय- अहह श्रेया जी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, और मेरा पेनिस खड़ा हो गया है।

मैं- अच्छा दिखाओ तो अपना पेनिस?

जय शर्माता हुआ अपनी पैंट को खोलने लगा, चड्डी नीचे खिसकाई और लंड दिखाया, उसने अपना चेहरा छुपा ही लिया क्यूंकि उसने तो पहली बार किसी को लंड दिखाया था, पर मैं ना जाने कितनों का देख चुकी थी।

मैं- ओह्ह तुम्हारा तो बहुत बड़ा है?

जबकि साले को छोटा सा पतला सा था।

जय- सच में बड़ा है मेरा? प्लीज़ चूसो न इसे !

मैं- छीः, तुम ऐसी बात किसी लड़की को बोल भी कैसे सकते हो? वो भी मुझे जो तुमसे उम्र में बड़ी है?

जय- ओह सॉरी, नाराज़ मत हो।

मैं- अगर तुमने फिर से ऐसी बात कही तो मैं तुमसे कभी नहीं बात करुँगी।

जय- नहीं, ऐसे मत कहो, मैं मर जाऊँगा।

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मैं जानती थी मैं जय की कमज़ोरी हूँ और इस उम्र में तो लड़के कच्चे ही होते हैं, मेरी जैसी फिगर वाली पंजाबन उसे कहाँ से मिलती,

मैंने सोचा इसके साथ सेक्स करके इसे और मज़बूर कर देती हूँ, फिर जो बोलूँगी, मानेगा।

मैंने जय को बांहों में भर लिया, अपनी जीन्स भी खोल दी और अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। जय पूरा नंगा था, मेरे ऊपर आ गया और ऊपर से ही घस्से मारने लगा।

सेक्स स्ट्रोक्स को हम पंजाबन घस्से बोलते हैं, बुर को फ़ुद्दी और गांड को बुंड और बूब्स को मम्मे या मोम्मे !

और मैं गश्ती नहीं हूँ बस ऐसी लड़की हूँ जिसे शौपिंग और ब्रांडेड कपडे पहनने का शौक है।

नए फ़ोन, लैपटॉप, नए गैजेट, गाड़ियाँ इन सबका शौक है। न जाने आज मेरी जैसी लड़की जो अच्छा घर से आती है, जो अमीर भी है

बस चंद रुपयों के लिए यानि कपड़े खरीदने के लिए कपड़े उतरवा रही है।

यह ट्रेन्ड पंजाब और दिल्ली में बहुत है लेकिन साउथ इंडिया के लोग अभी भी बहुत मासूम है जैसे कि यह लड़का जय !

जय मेरे ऊपर लेटा था।

मैं- बस जय, अब मुझे जाने दो, बहुत देर हो गई है, घर पर पापा इंतज़ार कर रहे होंगे, रात को समराला से बस लेनी है जालंधर के लिए !

जय- नहीं यार, रात भर आज रुक जाओ, कोई बहाना बना दो।

बहुत मनाने पर मैंने भी हामी भर दी और घर पर फ़ोन लगा कर कह दिया- मीटिंग है कल सुबह ही पहुंचुंगी घर !

मैं- पर जय, मेरे साथ सेक्स मत करना, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।

जय- ठीक है, पर इसके अलावा मुझे सब करने देना !

मैं भी चाहती थी कि यह मुझसे एक बार सेक्स कर ले ताकि यह मेरा हमेशा ग़ुलाम रहे।

मैंने भी ऊपर ऊपर से मना करते हुए अपनी पैंटी उतरवा ली।

जय ने मेरी टाँगें फैला दी और एक उंगली अंदर डाल दी।

मैं- जय, मत करो !

मैं अपनी टांगें सिकोड़ती हुए बोली।

जय ने फिर से मेरी गोरी गोरी जांघें फैला दी और मेरी फ़ुद्दी को चाटने लगा।

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मुझे भी अब मज़ा आने लगा था, मेरी चूत से एक अजीब से दुर्गन्ध आती है लेकिन न जाने वो लड़कों को क्यूँ मदहोश कर देती है।

मैं- अहह अह अह्ह्ह अह ! जय, ये गलत है ये गन्दा काम कहाँ से सीखा?

जय- मैं जानता हूँ ओरल सेक्स लड़कियों को पसंद आता है, तुम्हें भी आता है, बोलो?

मैं- अह, मत करो ! मैं खुद को नहीं रोक पाऊँगी ! और कुछ गलत हो जायेगा हमारे बीच !

जय भी यही चाहता था और शायद मैं भी ! जय ने मेरी टाँगें फैलाई और अपने लंड को अंदर डालने की कोशिश करने लगा।

मैंने जय को धक्का दिया- यह क्या कर रहे थे तुम? तुम जानते भी हो इससे क्या हो सकता है?

जय- अब मत रोको, करने दो !

मैं- लेकिन तुमने वादा किया था कि सेक्स नहीं करोगे ! नहीं मैं सेक्स नहीं कर सकती।

जय ने मेरे टाँग पकड़ ली और सेक्स के लिए मिन्नत करने लगा पर मैंने नहीं मानने का ड्रामा चालू रखा।

बीस मिनट तक रूठना-मनाना चलता रहा, रात के बारह बज गए थे, जय ने मुझे बिस्तर में पटका और खुद मेरे ऊपर आ गया, मैं समझ गई कि यह मुझे अब छोड़ेगा और मुझे दर्द का नकली नाटक करना होगा चूँकि मेरी चूत तो ना जाने कितनी बार चुदी होगी तो दर्द का तो सवाल ही नहीं, चूत तो चुद चुद कर बड़ी हो गई है !

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खैर जय तो नौसिखिया है इसे पता नहीं चलेगा ! बस डर था चूतिया यह न पूछ ले कि अगर मैं वर्जिन हूँ तो खून क्यूँ नहीं निकला !

पर उसका भी जवाब था मेरे पास !

जय मेरे ऊपर आ गया मेरी गोरी भरी हुई जांघों के बीच घुस गया, वो मेरे मम्मे दबा रहा था और स्मूच कर रहा था, उसने मेरी चूत फ़ैलाई और अपना लंड अंदर कर दिया।

वैसे मुझे तो बड़े बड़े लण्डों का तजुर्बा था, उनके सामने तो यह बस कटोरे में चम्मच था पर मैं भी कसमसाई और दर्द की झूठी नौटंकी करने लगी।

मैं- आह्ह, बहुत दर्द हो रहा है, बहुत बड़ा है तुम्हारा ! अह, मेरे अंदर और मत डालो।

जय- अहह डार्लिंग, बस थोडा सा और शुरू शुरू में थोड़ा दर्द होता है फिर तुम्हें भी मज़ा आने लगेगा।

मैंने सोचा- मादरचोद सब यही बोलते हैं।

मैं- अहह बस बस अह्ह्ह अह्ह्ह्ह

मैंने झूठे चरमोत्कर्ष का नाटक किया।

जय- अह अह अह अह शायद तुम्हारा निकल गया, इसे ओर्गास्म कहते हैं।

वो घस्से मार रहा था ! चूतिये को लग रहा था कि वो मुझे चरमोत्कर्ष पर ले आया। यह कहानी देसिबीस डॉट कॉम पर पढ़ रहे रहे ।

और यह भी जान जाईये दोस्तो कि लड़की को चरमोत्कर्ष पर लाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। हम औरतें झूठे ओर्गास्म का ड्रामा करती हैं ताकि मर्दों के अहम् को ठेस न पहुंचे। न जाने कितनी लड़कियों को चरमोत्कर्ष कभी नसीब नहीं होता और कितनों को एक ही सेक्स में तीन से चार बार हो जाता है। चरमोत्कर्ष केवल पांच-दस मिनट के सेक्स से नहीं मिलता, लगातार तीस मिनट की चुदाई से मिलता है, और जब मिलता है तब ‘हयो रब्बा’ क्या मज़ा मिलता है ! अंदर से सिकुड़न होती है और कान से धुंए निकल जाते हैं, बस आग ही आग बदन से टपकने लगती है।

मेरे एक चोदू ने मुझे बताया था जब मुझे ऑर्गनस्म आ रहा था तब उसने चूत के अंदर उठने वाली संकुचन को महसूस किया था, उसने कहा था कि उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड चूत में फंस गया था और फिर एक तेज़ बहाव आया, जिसे पानी छोड़ना कहते हैं।

आम तौर पर लड़कियों की चूत गीली ही रहती है और गीली और तब हो जाती है जब कोई उससे सेक्स की बातें करता है, या प्यार से छूता है, इसे पानी छोड़ना नहीं कहते हैं, पानी छोड़ने का अर्थ, लड़कियों के चरमोत्कर्ष को कहते हैं जो किस्मत वालियों को नसीब होता है वर्ना अक्सर लड़के मुठ चूत में निकालने के बाद पीठ फेर कर सो जाते हैं।

खैर यह तो हुई सेक्स ज्ञान लेकिन यहाँ जय का चोदना चालू था !

मैं- अह बस जय, बहुत दर्द हो रहा है, पहली बार है न ! अह तुमने मेरी झिल्ली भी तोड़ दी।

जय- अहह, मेरा मुठ निकलने वाला है, कहाँ गिराऊँ?

मैं- आह्ह ! मेरे अंदर नहीं, वर्ना मैं माँ बन जाऊँगी।

जय से सम्भाला नहीं गया, पहली बार था बेचारे का और उसने सारा पानी अंदर ही छोड़ दिया !

मैं- अह, यह क्या किया तुमने? एक तो कंडोम नहीं पहनी ऊपर से अंदर ही छोड़ दिया?

जय का लंड सिकुड़ के चूत से बाहर आ गया और मुठ मेरी चूत से बह रहा था।

मैं जानबूझ के ज़ोर ज़ोर से रोने लगी- क्या किया तुमने मेरी छोटी सी चूत को इतना बड़ा कर दिया तुमने मुझे क्यूँ चोद दिया?

जय- मुझे माफ़ कर दो, जो बोलोगी वो करूँगा !

मैंने अपने चूत के द्वार को फैलाया और उसे दिखाने लगी।

मैं- कितना दर्द हो रहा है, तुम्हें पता भी है? तुम तो लड़के हो तुम्हें क्या पता? देखो देखो फाड़ दी तुमने मेरी चूत को ! कुंवारी चूत फाड़ने का मतलब भी पता है?

जय- अब हो गया ! मुझे माफ़ कर दो, अब मैं क्या करूँ?

मैं- अब क्या करूँ बोलते हो। कल घर जाऊँगी और अगर पापा या मम्मी ने मुझसे पूछा कि रात भर कहाँ थी तो क्या कहूँगी? अगर पापा ने मेरी पैंटी खुलवा के चेक कर ली कि मेरी चूत फट गई है तो वो मुझे तो माअर ही डालेंगे, साथ ही तुम्हे भी नहीं छोड़ेंगे !

जय- पैंटी भी खोल के चेक करते हैं तुम्हारे पापा?

मैं- और क्या ! तुम उन्हें नहीं जानते हो !

जय- अब मैं क्या करूँ?

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मैं- साथ अपने साथ घर ले जाओ शादी करके ! कल शादी करेंगे फिर तुम्हारे साथ रहूँगी।

जय- शादी? पर मेरे घर वाले?

मैं- शादी नहीं करनी थी तो चोदा क्यूँ? अब मुझसे कौन शादी करेगा। इससे अच्छा होता कि मैं ज़हर खा लूँ या फिर पुलिस के पास ! हाँ, यही सही होगा, मैं पुलिस के पास जाके सब सच सच बता दूँ कि तुमने मेरे साथ क्या किया।

जय- नहीं, ऐसा मत करना ! बोलो मैं क्या करूँ?

मैं- तुम ऐसा करो कि तुम ये लैपटॉप और फ़ोन मुझे दे दो और एक लाख और का बंदोबस्त करो, मुझे अपना बच्चा भी गिरवाना होगा, खर्च होगा !

जय- ये तो रख लो, पर एक लाख और कहाँ से लाऊँ?

मैं- नहीं ला सकते तो सेक्स क्यूँ किया? कहाँ से पालते मुझे? कल मम्मी मुझसे पूछेगी तो बोल दूंगी लुधियाना लैपटॉप और फ़ोन लेने गई थी।

जय- लेकिन तुम्हारी माँ तो बीमार है ना?

मैं समझ गई कि इस चेन्नई वासी को मुझ पर शक हो रहा है, ज्यादा लालच बुरी बला है, इसलिए अगले सुबह एक लाख उसका फ़ोन और लैपटॉप ले कर रफूचक्कर हो गई।

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कहाँ हूँ, उसे अब नहीं पता !

आपको पता है कि मैं कहाँ हूँ?????