Antarvasna डॉक्टर का इलाज

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एमबीबीएस की डेग्री मिलते ही मेरी Hindi Sex Stories Antarvasna Kamukta Sex Kahani Indian Sex Chudai पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक गाओं में हो गयी गाँव’वासियों ने आप’ने जीवन में गाओं में पह’ली बार कोई डॉकटोर देखा था. इसके पहले गाओं नीम हाकीमों , ओझाओं और झार फूँक करनेवालों के हवाले था. जल्द ही गाओं के लोग एक भगवान की तरह मेरी पूजा कर’ने लग गाये रोज़ ही काफ़ी मरीज़ आते थे और मैं जल्दी ही गाँव की ज़िंदगी मैं बड़ा महत्त्वपूर्ण समझा जाने लगा. गाँव वाले अब सलाह के लिए भी मेरे पास आने लगे. मैं भी किसी भी वक़्त माना नहीं करता था अपने मरीज़ों को आने के लिए

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गाँव के बाहर मेरा बंगलोव था. इसी बंगलोव मैं मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव मैं मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव मैं लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुंदर सुंदर थी. एईसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टेरजी की. नाम भी उसका था गोरी. सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पर होनी को कुछ और मंज़ूर था. गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उसपर आया और उनकी शादी हो गई. पैर जोड़ी बड़ी बेमेल थी. कहाँ गोरी, और कहाँ रमेश.

रमेश बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था. मुझे तो उसके मर्द होने पैर भी शक़ था. और ये बात सच निकली क़रीब क़रीब. उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठकुराईन मेरे घर पैर आई. उसने मुझे कहा की उसे बड़ी चिंता हो रही है की बहू को कुछ बक्चा वागेरह नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूच्हा की क्या प्रोबलें हो सकता है लड़का बहू उसे कुछ बताते नहीं हैं और उसे शक है की बहू कहीं बाँझ तो नहीं.

मैने उसे धधास दिया और कहा की वो लड़का -बहू को मेरे पास भेज दे तो मैं देख लूंगा की क्या प्रॉब्लम है उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखून, घर की इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. रमेश और उसकी बहू. देखते ही लगता था की बेचारी गोरी के साथ बड़ा अनायाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम गोरी लड़की. भरे पूरे बदन की बाला की ख़ूबसोरत लड़की और कहाँ वो रमेश, कला कालूटा मारियल सा. मुझे रमेश की किस्मत पैर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज कारवाने मेरे क्लिनिक पैर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गाये रमेश बड़ा नरम दिल इंसान था. अपनी बाला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दुख देना उसे मंज़ूर ना था.

उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन की अभी तक वो अपनी बीवी को चोद नहीं पाया है मैं समझ गया की क्यों बच्चा नहीं हो रहा है जब गोरी अभी तक वीर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मान मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. गोरी का कौमार्या लूटने का. दरअसल जब जब रमेश गोरी के सुंदर नंगे जिस्म को देखता था अपने उपर काबू नहीं रख पता था और इस’से पहले की गोरी सेक्श के लिए तैयार हो रमेश उसपर टूट पड़ता था.

नतीजा ये की लंड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को ये सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था. उसे चिल्लाते देख बेचारा रमेश सब्र कर लेता था फिर. दूसरे रमेश इतना कुरुप सा था की उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिच्छाया. मैने एक दिन ठकुराईन और रमेश को बुलाया. उनहइन बताया की ख़राबी उनके बेटे मैं नहीं बल्कि बहू मैं है और उसका इलाज करना होगा. छोटा सा ऑपरेशन. बस बहू ठीक हो जाएगी. बुधिया तो खुस हो गयी पैर बेटे ने बाद मैं पूच्हा,
डॉकटोर साहब. आख़िर क्या ऑपरेशन करना होगा?

हाँ रमेश तुम्हें बताना ज़रूरी है नहीं तो बाद मैं तुम कुछ और सम’झोगे.

हाँ हाँ बोलीए ना डॉकटोर साहब. देखो रमेश. तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग तोड़ा सा खोलना होगा ऑपरेशन करके. तभी तुम उस’से संभोग कर पाऊगे और वो माँ बन सकेगी. क्या? पैर क्या ये ऑपरेशन आप करेंगे. मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगा लेतना पड़ेगा? हाँ ये मजबूरी तो है पैर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पऊगे! वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी. तो क्या आप जानते हैं ये सब बात. वह भॉंचाक्का सा बोला. हाँ! ठकुराईन ने मुझे सारी बात बता दी थी. अब वो नरम पद गया. प्लीज डॉकटोर साहब. कुछ भी कीजिए. चाहे ऑपरेशन कीजिए चाहे जो जी आए कीजिए पैर कुछ एसा कीजिए की मैं उसके साथ वो सब कर सकूँ और हमारा आँगन बच्चे की किलकरी से गूँज उठे. वरना मैं तो गाँव मैं मुँह नहीं दिखा सकूंगा किसी को. खंडन की इज़्ज़त का मामला है डॉकटोर साहब. उसने हाथ जोड़ लिए ठीक है घबरओ नहीं. बहू को मेरे क्लिनिक मैं भारती कर दो. दो चार दिन मैं जब वो ठीक हो जाएगी तो घर आ जाएगी. जब तुम गाँव वापस आओगे तो बस फिर बहू के साथ मौज करना. ठीक है डॉकटोर साहब. मेरे आने तक ठीक हो जाएगी तो मैं आपका बड़ा उपकर मानूंगा. और इस तरह गोरी मेरे घर पैर आ गई. कुछ दीनो के लिए शिकार जाल मैं था बस अब. करने की बारी थी. गोरी अच्छी मिलंसार थी. खुल सी गई थी मुझसे. पैर जब वो सामने होती थी अपने उपर कबो रखना मुश्किल हो जाता था. बाला की कंसिन थी वो जवानी जैसे फूट फूट कर भारी थी उसके बदन मैं पैर मैं ज़ब्त किए था. मौक़ा देख रहा था. महीनों से कोई लड़की मेरे साथ नहीं सोई थी. लंड था की नारी बदन देखते ही खड़ा हो जाता था. डूसरी प्रोबलें ये थी मेरे साथ की मेरा लंड बहुत बड़ा है जब वो पूरी तरह खड़ा होता है तो क़रीब लंबा होता है और उसका हेअड़ का दिया का हो जाता है जैसे की एक लाल बड़ा सा टमाटेर हो. और पीछे लंबा सा , पत्थर की तरह कड़ा एकड्म सीधा लंबा सा खीरे जैसा मोटा सा लंड!

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गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था. पिछली रात तो मैने किसी तरह गुज़ार दी पैर डूस’रे दिन बढ़हवास सा हो गया और मुझे लगा की अब मुझे गोरी चाहिए वरना कहीं मैं उस’से बलात्कार ना कर बैठून. एआईसी सुंदर कामनिया काया मेरे ही घर मैं और मैं प्यासा. रात्री भोजन के बाद मैने गोरी से कहा की मुझे उस’से कुछ ख़ास बातें करनी हैं उसके कसे के बारे मैं क्लिनिक बंद करके मैने उस’से कहा की वो अंदर मेरे घर मैं आ जाए. गाँव की एक वधू की तरह वो मेरे सामने बैठी थी. एक भरपूर नज़र मैने उसपर डाली. उसने नज़रें झुका ली. आब मैने बेरोक टॉक उसके जिस्म को आपनी नज़रों से टोला. उफ़्फ़्फ़्फ़ कपड़ों मैं लिपटी हुई भी वो कितनी काम वासना जगाने वाली थी. देखो गोरी मैं जनता हूँ की जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ वो मुझे तुम्हारे पति की अनुपस्थिति मैं शायद नहीं करनी चाहिए, पैर तुम्हारे कसे को समझने के लिए और इलाज के लिए मेरा जान ज़रूरी है और अकेले मैं मुझे लगता है की तुम सच सच बताओगी. मैं जो पूछूँ उसका ठीक ठीक जवाब देना. तुम्हारे पति ने मुझे सब बताया है और उसने ये भी बताया है की क्यों तुम दोनो का बचा नहीं हो रहा. क्या बताया उन्होंने डॉकटोर साहब? रमेश कहता है की तुम माँ बनने के काबिल ही नहीं हो. वो तो डॉकटोर साहब वो मुझसे भी कहते हैं और जब मैं नहीं मानती तो उन्होने मुझे मारा भी है एक दो बार. तो तुम्हें क्या लगता है की तुम माँ बन सकती हो?

हाँ डॉकटोर साहब. मेरे मैं कोई कमी नहीं. मैं बन सकती हूँ. तो क्या रमेश मैं कुछ ख़राबी है हाँ डॉकटोर साहब. क्या? साहब वो. वो. उनसे होता नहीं. क्या नहीं होता रमेश से. वो साहब. वो. हाँ. हाँ. बोलो गोरी. देखो मुझसे कुछ छ्छूपाओ मत. मैं डॉकटोर हूँ और डॉकटोर से कुछ छ्छुपाना नहीं चाहिए. डॉकटोर साहब. मुझे शरम आती है कहते हुए. आप पराए मर्द हैं ना. मैं उठा. कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की मैं भी चिटकनी लगा के मैने कहा, लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता. और मुझसे तो शरमाओ मत. हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्हें नंगा भी करना पड़े. तुम्हारी सास और पति से भी मैने कह दिया है और उन्होने कहा है की मैं कुछ भी करूँ पैर उनके खंडन को बच्चा दे दूं. इसलिए मुझसे मत शरमाओ. डॉकटोर साहब वो मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते.

क्या? मैने अनजान बन हुए कहा. मुझे गोरी से बात कर’ने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं उस आल्र गाँव की युवती को कुछ भी कर’ने से पह’ले पूरा खोल लेना चाह’ता था. वो. वो मेरे साथ मेरी योनी मैं दल नहीं पाते. ऊहू. यूँ कहो ना की वो मेरे साथ संभोग नहीं कर पाते. हाँ. रमेश कह रहा था. की तुम्हारी योनी बहुत संकरी है तो क्या आजतक उसने ख़भी भी तुम्हारी योनी मैं नहीं घुसाया? नहीं डॉकटोर साहब. नज़र झुकाए ही वो बोली. तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो. तुम्हारी शादी को तो साल ब्भर से ज़्यादा हो चुका है हाँ साहब. वो कर ही नहीं सकते. मैं तो तड़प’टी ही रह जाती हूँ. यह कह’ते कह’ते गोरी रूवांसी हो उठी. पैर वो तो कहता है की तुम सह नहीं पति हो. और चीखने लगती हो. चीलाने लगती हो. साहब वो तो हैर लड़की पहली बार. पैर मरद को चाहिए की वो एक ना सुने और अपना काम करता रहे. पैर ये तो कर ही नहीं सकते इनके उस्मैन ताक़त ही नहीं हैं इतनी. सूखे से तो हैं पैर वो तो कहता है की तुमको संभोग की इकचह्चा ही नहीं होती. झूठ बोलते हैं साहब. किस लड़की की इकचह्चा नहीं होती की कोई बलीष्ट मरद आए और उसे लूट ले पैर उनहइन देख कर मेरी सारी इकचह्चा ख़तम हो जाती है पैर गोरी मैने तो उसका. काम अंग देखा है ठीक ही है वो संभोग कर तो सकता है कहीं तुम्हारी योनी मैं ही तो कुछ समस्या नहींनहीं साहब नहीं. आप उनकी बातों मैं ना आइए पहले तो हमेशा मेरे आगे पीछे घूमते थे. की मुझसे सुंदर गाँव मैं कोई नहीं. और अब. वो सुबकने लगी आप ही बताइए डॉकटोर साहब. मैं शादी के एक साल बाद भी कुवनरी हूँ. और फिर भी उस घर मैं सभी मुझे ताना मरते हैं अरे नहीं गोरी. मैने प्यार से उसके सर पैर हाथ फेरा. अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पैर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेक्क उप करना है क्या देखेंगे डॉकटोर साहब? तुम्हारे बदन का इंस्पेक्टीओं तो करना होगा. जीीई.? उपर से ही देख लीजिए ना डॉकटोर साहब. जो देखना है उपर से तो तुम बहुत ख़ूबसोरत लगती हो. एकदम काम की देवी. तुम्हें देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जय. फिर मुझे देखना ये है की आज तक तुम कुवनरी कैसे हो. चलो लेटो बिस्तर पैर और सारी उतारू. जजाजज्ज़िईइ. डॉकटोर साहब. मैं मैं मुझे शरम आती है

डॉकटोर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा? वो लेट गयी मैने उसे सारी उतरने मैं मदद की. एक ख़ूबसोरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट मैं था. लेता हुआ वो भी मेरे बिस्तर पैर मेरे लंड मैं हलचल होने लगी मैने उसका पेटीकोट तोड़ा उपर को सरकाया और अपना एक हाथ उंदार डाला. वो उंदार नंगी थी. एक उंगली से उसकी चूत को सहलया. वो सिसकी. और आपनी झांघाओं से मेरे हाथ पैर हल्का सा दबाव डाला. उसकी चूत के होंट बड़े तिघ्ट थे. मैने दरार पैर उंगली घूमने के बाद अचानक उंगली उंदार घुसा दी. वो उच्चली. हल्की सी. एक सिसकरी उसके होंठों से निकली. थोड़ी मुश्किल के बाद उंगली तो घुसी. फिर मैने उंगली थोड़ी उंदार भहर की. वो भी साल भर से तड़प रही थी. मेरी इस हरकत ने उसे तोड़ा गर्मी दे दी. इसी बीच एक उंगली से उसे चोदते हुए मैने बाक़ी उंगलियाँ उसकी चूत से गांड के छ्छेद तक के रास्ते पैर फिरनी सुरू कर दी थी.

कैसा महसूस हो रहा है अच्छा लग रहा है हाँ डॉकटोर साहब. तुम्हारा पति ऐसा करता था. तुम्हारी योनी मैं इस तरह अंगुल डाल’ता था? नााअःह्छिईन्न्न. डॉक्कत्तूऊओर्र्र स्ससाहाअबबब. गोरी अब छ्त्पटाने लगी थी. उसकी आँखें लाल हो उठी थी. अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्हें अच्छा लगेगा? हाँ. वे तो कुछ जान’ते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पैर ही मढ़ रहे हैं अगली बार जब अपने पति के पास जाना तो यहाँ. योनी पैर एक भी बल नहीं रखना. तुम्हारे पति को बहुत अच्छा लगेगा. और वो ज़रूर तुम पैर चढ़ेगा. अच्छा डॉकटोर साहब. जाओ उधर बाथरूम मैं सब काट कर आओ. वहा राजोर रखा है जानती हो ना. कैसे करना है संभोग कर’ने से पह’ले इसे सज़ा कर आप’ने पति के साम’ने कर’ना चाहिए. मैने गोरी की चूत को खोद’ते हुए उस’की आँखों में आँखें डाल कहा. हाँ. डॉकटोर साहब. लेकिन उन्होने तो कभी भी मुझे बाल साफ़ कर’ने के लिए नहीं कहा. गोरी ने धीरे से कहा. वो गई और थोड़ी देर मैं वापस मेरे बेडरूम मैं आ गई. हो गया. तो तुम्हें रेजर इस्तेमाल करना आता है कहीं उस नाज़ुक जगह को काट तो नहीं बैठी हो? मैने पूछा. जी जी कर दिया. शादी से पहले मैने काई बार रेजर पह’ले भी इस्तेमाल किया है

अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ. वो आई और लेट गई. फ़िछली बार से इस बार प्रतिरोध काम था. मैने उसके पेटीकोट का नडा पकड़ा और खींचना सुरू किया. पेटीकोट खुल गया. उसकी कमर मुश्किल से 24-25 इंच रही होगी. और हिप्स सीज़े क़रीब. 37 इनचेस. झांघाओं पैर ख़ूब

झांघाओं मानसलता थी. गोलाई और मादकटा. विशाल पुत्ते. इस सुंदर कमुक दृश्या ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. डॉकटोर साहब. ये क्या कर रहे हैं आप तो मुझे नंगी कर रहे हैं
अरे देख तो लूं तुमने बल ठीक से साफ़ किए भी की नहीं. और बल काटने के बाद वहाँ पैर एक क्रीम भी लगनी है अब इस’से पहले वो कुछ बोलती. मैने उसका पेटीकोट घुटनों से नीचे तक खींच लिया था. आती सुंदर. बाला की कमुक. तुम बहुत ख़ूबसोरत हो गोरी. मैने तोड़ा साहस के साथ कह डाला. उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के ज़ोर को तोड़ा काम कर दिया. और उसका फ़ायदा उठाते हुए मैने पूरा पेटीकोट खींच डाला और दूर कुर्सी पैर फेंक दिया. यक़ीन मानिए एसा लगा की अभी उसपर चढ़ जाओं. वो पतला सपाट पेट. छ्छोटी सी कमर पैर वो विशाल नितंब. वो तिघ्ट वेणुस मौंत. सिर्फ़ एक ब्लाउज पीएसए मैं रह गया था उसका बदन. भरपूर नज़रों से देखा मैने उसका बदन. उसने शरम के मारे अपनी आँखों पैर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गयी ताकि मैं उस’की चूत न देख सकूँ. शायद चूत दिखाने मैं शर्मा रही थी. ज़रा पल्टो गोरी. शरम नहीं कर’ते फिर तुम इट’नी सुंदर हो की तुम्हें तो आप’ने इस मस्त बदन पैर गर्व होना चाहिए. नहीं डॉकटोर साहब. पराए मर्द के साम’ने मे मुझे बहुत शरम आ रही है पल्टो ना गोरी. कहकर मैने उसके पुत्तों पैर हाथ रखा और बल पूर्वक उसे पलटा. दो खूबसूरत झांघाओं के बीच मैं वो कुँवारी चूत चमक उठी. गोनों गोरे. दोनों चूत की पंखुड़ियान फड़क सी रही थी. शायद उन्होने भाँप लिया था की किसी मस्त से लंड को उनकी खूसबू लग गई है उसकी चूत पैर थोड़ी सी लाली भी च्हाई थी.

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इधर मेरे लंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे अंडरवियर के लिए मेरे लंड को कॉंट्रोल मैं रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे टाइट अंडरवियर ने मेरे लंड को छिपा रखा था. आब मैने उसकी चूत पैर उंगलिया फिराई और पूछा. गोरी क्या रमेश. तुम्हें यहाँ पैर मेरा मतलब तुम्हारी योनी पैर चूमता है नहीं साहब. यहाँ छी यहाँ कैसे चूमेंगे? तुम्हारे इन पुट्ठो पर, मैने उसके बम्स पर हाथ रख कर पूछा. नहीं डॉकटोर साहब आप कैसी बातें कर रहे हैं अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा एक मादकाता सी आ गई थी. चुदने के लिए तैयार एक गरम युवती की सी. वो कहाँ कहाँ चूमता है तुम्हें? जी. यहाँ पैर उसने आपने चूची की तरफ़. इशारा किया. जो इस गरम होते माहौल की खुसबू से सीज़े मैं काफ़ी बड़े हो गाये थे और लगता था की जल्दी उनको बाहर नहीं निकाला तो ब्लाउज फट जाएगा. उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी.