दीवाने देवर ने सेक्सी भाभी की चुदाई की

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हेल्लो दोंस्तो, कैसे है आप सब? यह कहानी है मेरे देवर की कैसे दीवाने देवर ने सेक्सी भाभी की चुदाई की। अब आप का ज्यादा वक़्त न लेते हुए कहनी शुरू करती हु।

मेरा नाम सुमन है। मैं शादीशूदा हूँ। शादी के एक साल बाद की एक घटना मैं आज आपको बताती हूँ। मैं अपने पति के साथ रहती थी। घर मे हम दो ही रहते थे। वैसे मैं बहुत सेक्सी हूँ लेकिन अपने पति से खुश थी। वो भी सेक्स मे अच्छे है।

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एक दिन एक पत्र पढ़कर वो बोले, सुमन, मेरा एक कजीन जो नज़दीक के छोटे गांव मे रहता है, उसकी SSC की एग्जाम का सेंटर इस शहर मे आया है। तो वो पढ़ने के लिए और एग्जाम देने के लिए इसी शहर मे आ रहा है। कुछ दिन यहाँ रहे तो एतराज़ तो नही है ? मैने कहा, भला मुझे क्या ऐतराज़ होगा।। आपका भाई है।। तो मेरा तो देवर हुआ ना… देवर के आने से भाभी को क्या ऐतराज़ हो सकता है… और वो आ गया। राजा (राजेश) नाम था उसका। करीब 18 साल का होगा। 5-8 की ऊँचाई और मजबूत कद था। मोटा नही पर कसा हुआ बदन था। हल्की सी मुछे भी थी।

सुबह का ब्रेकफास्ट हम सब, में पति और राजा, साथ करते थे। उनके ऑफीस जाने के बाद में घर मे पहले अकेली हुआ करती थी। अब राजा भी था। वो दिनभर मन लगाकर पढ़ाई करता था। में भी उसे ज़्यादा डिस्टर्ब नही करती थी। उसे पढ़ने देती थी। लेकिन लंच और दोपहर की चाय हम साथ पीते थे। दोपहर को जब में नींद से उठती तो उसके रूम की और चली जाती और पुछती पढ़ाई कैसी हो रही है ? वो कहता ठीक हो रही है… और मैं पुछती ; चाय पियोगे ना ? वो कहता, हां… और फिर में चाय बनाने चली जाती।चाय पीते समय हम दोनो बाते करते थे।

लेकिन उस रोज़ जब में दोपहर की नींद के जल्दी ही पूरी हो गयी। जब में उसके रूम पर गई, तो दरवाज़ा बंद था और कमरे से कुछ आवाज़ आ रही थी। में रुक गयी और सुनने लगी। आ।। आ।। की आवाज़ आ रही थी। मुझे समझ मे नही आया क्या हो रहा है। में दरवाज़ा नॉक करने वाली थी की ख्याल आया, खिड़की से देख लू। उस रूम की एक खिड़की हॉल मे पड़ती थी। वो भी बंद थी, पर पूरी लगी नही थी। मैने हल्का सा धक्का दिया और थोड़ी सी खोल दी। रूम का नज़ारा देखा तो बस, देखती ही रह गयी। राजा अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा खड़ा था। उसका लंड पूरा तना हुआ था।

वो लंड हाथ मे लिए हुये था और ज़ोर ज़ोर से उससे खेल रहा था। मेरी आंखे झपकना भूल गयी, सिने की धड़कन बढ़ गयी। मेरे सामने एक 18 साल का जवान लड़का अपने हाथ मे तना हुआ लंड लेकर हस्त मैथुन कर रहा था। मेनें मर्दों के हस्त मैथुन के बारे मे सुन रखा था, लेकिन आज मैं उसे अपनी आखों से देख रही थी। ओह, क्या सीन था !!! पूरी जवानी मे आया हुआ, कसरती बदन वाला नव-युवक मेरे सामने नंगा खड़ा था। उसका खुला सीना ही किसी लड़की को व्याकुल बनाने के लिए काफ़ी था। यहाँ तो उसकी जांघे भी नज़र के सामने थी। !! वाउ !! और उसके बीच मे पूर ज़ोर से उठा हुआ उसका लंड !!!!! ओह !!! मेरे सिने की धड़कने तेज़ हो गयी।

मेरे संस्कार कह रहे थे, मुझे तुरंत वहाँ से हट जाना चाहिए। लेकिन मन नही मानता था। में रुक ही गयी और वो दिलकश नज़ारा देखती रही। खिड़की थोड़ी ही खुली थी, इसलिए उसका ध्यान नही था। वो तो अपने काम मे मग्न था और लगा हुआ था। उसका चेहरा भी देखने जैसा बना हुआ था। सेक्स की तड़प स्पष्ट रूप से छलक रही थी। उसका लंड और मोटा और कड़क होते जा रहा था। थोड़ी देर मे उसके लंड से पानी छुट गया और वो ढीला हो गया। मैं वहा से चली गयी तो मुझे ख्याल आया, मेरी पेंटी भी गीली हो चुकी थी। मेनें जाकर बदल ली। वो नज़ारा मेरे दिमाग़ से उतरता ही नही था। रात को पातिदेव के साथ सोने गयी तब भी दिमाग़ मे यही मंडरा रहा था। उस रात मैं बहुत गर्म हो गयी और पति के ऊपर हो गयी। उनसे बहुत चुदवाया। वो भी बोल उठे, आज तुझे क्या हुआ है ? कोई ब्लू फिल्म तो नही देख ली ? मैं क्या बोलू ??? इस से बड़ी ब्लू फिल्म क्या देखती ??? मैने कह दिया, नही, ये तो आप कल से 10दिन की दौरे पर जाने वाले है ना, इसलिए… वो हंस पड़े… दुसरे दिन सुबह ही वो निकल गये।

मेरा जी तो अब राजा मे अटका हुआ था। मेरा बदन उससे चुदवाने के लिए तड़प रहा था। लेकिन उसे कहूँ भी कैसे? उसमे ख़तरा था। वो सुशील लड़का था। मुझे ठुकरा देगा और मेरी इज़्ज़त पर ख़तरा हो जाएगा। तो मैने सोचा, ऐसा कुछ करना होगा जिससे वो ही मुझे चोदने के लिए तरस जाए। मैने धीरज से काम लेना उचित समझा। मैं स्नान करके निकली तो मेरे दिमाग़ मे योजना बन चुकी थी। मैने अपने कपड़े मे परिवर्तन शुरू किया। एक लो कट वाली मेरी पुरानी शादी के समय की ब्लाउस निकाली। उस समय के अनुसार, अब मेरे बोब्स बड़े हो चुके थे। (रोज़ पातिदेव द्रारा मसले जो जाते थे !) जैसे तैसे करके बोब्स को दबाकर मैने वो ब्लाउस पहन ली। लो कट थी तो लाइन पूरी दिखाई दे रही थी और बोब्स दबा के डालने से वो भी उभर कर बाहर दिख रहे थे।

साड़ी भी इस तरह पहनी थी की ये सारा खुला ही रहे, आँचल के पीछे ना छुप जाए। मेनें आयने मे अपने आप को देखा और संतुष्ट हुई। ब्रेकफास्ट की तैयारिया की। डाइनिंग टेबल पर सब चीज़े प्लानिंग से रखी। राजा को बुला लिया नास्ते के लिए। वो आकर बेठा लेकिन उसका ध्यान नही गया। वो तो अपनी पढ़ाई के ख्यालो मे ही व्यस्त था। मैनें सब आइटम थोड़े ही दिए थे। उतना तो झट से खा गया और मांग लिया। अब मैं मन ही मन मुस्कुराई अपने प्लान पर और उठ खड़ी हुई। उसे परोसने के लिए उसके नज़दीक गई। मैं उसके राईट साइड मे थी और सारे आइटम्स उसके लेफ्ट साइड मे थे। तो मैं वही खड़े होकर आगे झुककर आइटम्स उठाने लगी। स्वाभाविक है, मेरे बोब्स उसके मुहँ के एकदम नज़दीक आ गये। अब उसकी नज़र उन पर पड़ी, और वो देखते ही रह गया। उभरे हुए गोरे गोरे बोब्स…।और लो कट से दिखती लाइन…। उसकी नज़र चिपकी ही रह गयी। मैं ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे मुझे पता ही नही। मैने एक लंबी साँस बरी और हल्के से छोड़ी।

छाती भर आई तो बोब्स की मूवमेंट भी हुई। उसे ध्यान ही नही रहा की मैने उसकी प्लेट परोस दी है। मैने उसे कहा, देवरजी, नाश्ता कीजिए ना ? वो चौंका और नज़र हटा के खाने लगा। लेकिन मेरी नज़र उस पर लगी हुई थी। वो बार बार मेरे स्तन को देख रहा था। मैं अपने प्लान मे सफल रही। मैने उसके मन मे बीज बो दिया था। दूसरे दिन से मैं रोज़ अपने कपड़े मे एक कदम आगे जाने लगी। दूसरे दिन से मैने ऐसा ही लो कट मगर स्लीवलेश ब्लाउस पहन लिया। अब उसे मेरी गोरी बाहें भी देखने को मिलती थी। तीसरे दिन मैने एकदम पारदर्शक –ब्लाउस पहन ली, जिस मे से मेरी काली ब्रा साफ दिखाई देती थी। अब वो रोज़ चोरी छुपे मेरे स्तन को देखता था।

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चौथे दिन से मेने ब्रा पहनना ही छोड़ दिया। ब्लाउस तो पारदर्शक और लो कट था ही। उस रात को मैने ब्लाउस को साइड से भी शेप देकर ऐसा बना दिया की लाइन के अलावा बोब्स की साइड के भी दर्शन होने लगे। पाँचवे दिन उसे पहना। अब जब मैं उसे परोसती थी, तो दूसरी और रखी हुई आइटम्स उठाने के लिए इतना झुकती थी की उसकी गर्म सास मेरे स्तन को छूती थी। कभी कभी तो उसका चेहरा मेरे बोब्स को छु जाए, इतना झुक लेती थी। अब उसकी आखो मे तरस नज़र आती थी। मैं जानती थी की मैं कामयाब हो रही हूँ। छठे दिन मेने साड़ी भी एकदम नीचे पहन ली। मैं अच्छी तरह से तैयार भी हुई। रोज़ की तरह वो मेरे उभरे हुए दोनो बोब्स को देखता रहा।

में उन्हे लंबी सास लेकर उपर नीचे करती रही। मेने ब्लाउस का हुक ढीला कर रखा था, जो थोड़ी सास लेने के बाद टूट गया। मेरे दबे हुए स्तन उछल कर सामने आ गये। मेने शर्माने का ढोंग किया और अपने रूम मे जाकर हुक को ठीक तरह से लगा कर वापस आ गयी। उसकी हालत तो देखने जैसी हो गयी थी। उसी दिन दोपहर को मैं हॉल मे ही सो गयी। एक किताब मेने लाकर रखी थी जो देवर भाभी के नज़ायज़ संबंध पर थी। उसमे जहाँ दोनो के सेक्स संबंध का खुल्ला ब्योरा था, वहाँ तक पेज खोलकर उल्टी करके रख दी। जैसे मैं वहाँ तक पढ़ते हुए, सो गयी हूँ। सोने का ढोंग करते मैं लेटी थी। साड़ी घुटनो तक सरका के रखी थी।

रोज़ की चाय का समय हुआ, लेकिन मैं जान बुज़ कर नही उठी। थोड़ी देर इंतज़ार करके, राजा चाय के लिए बताने बाहर आया। उसने आकर देखा की मैं सोई हुई हूँ। वो नज़दीक आया और किताब उठाई। जैसे पढ़ने लगा, वो उत्तेजित होने लगा। उस किताब मे देवर भाभी के बीच सेक्स का ही खुला खुला ब्योरा था। उसकी वासना भड़क उठी। उतने मे मैने करवट बदलने का बहाना किया। बदलते बदलते मैने मेरा लेफ्ट पावं भी घुटनो से ऊँचा किया। साड़ी जो घुटनो तक थी, अब कमर तक गिर पड़ी। मेरी गोरी जांघ अब पूरी तरह दिख रही थी। मैने हल्की सी आखें खोली। तो देखा की उसका लंड एकदम खड़ा हो गया था। उसने चड्डी पहन रखी थी। एक हाथ मे किताब पकड़ा हुआ था। दूसरा हाथ अब उसने अपने चड्डी मे नीचे से डाल दिया और खड़े लंड को मजबूती से पकड़ लिया। थोड़ी देर पढ़ता रहा और मेरी जांघ और बोब्स की और देखता रहा। फिर मैने देखा की उसने अपना दूसरा हाथ बाहर निकाल के मेरी और बढ़ाया। मैं खुश हो गयी और ऑखें बंद करके इंतेज़ार करने लगी। लेकिन कुछ नही हुआ।

फिर ऑखें खोली तो वो वहा नही था। उसकी हिम्मत नही बनी। वो रूम पर चला गया था। किताब ले गया था। मैं उठी और उसके रूम की और गयी। वो दरवाज़ा बंद करके फिर हस्त मैथुन कर रहा था। आज तो घोड़े जैसा लंड किया हुआ था। मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था। जिसे मेरी चूत मे होना चाहिए था, वो लंड उसके हाथों मे था। लेकिन मुझे भी तो ओपन नही होना था। मजबूरी मे उसे देखती रही। थोड़ी देर मे उसके लंड से फव्वारा उड़ा और वो शांत हुआ। उस रात मैने सातवें दिन का प्लान बना लिया। उसके दिल मे वासना तो मैं जगा ही चुकी थी। अब तो हिम्मत करवाना ही बाकी था।

सातवें दिन सुबह मेने अपने रूम का फ्यूज़ निकाल दिया। और गीज़र खराब है कह कर उसके बाथरूम मे नहाने का प्लान बना लिया। मैं कपड़े लेकर अंदर चली गयी। थोड़ी देर बाद नहाके बाहर निकली, तो बदन पर सिर्फ़ टावल लपेटा था। ऊपर मेरी निप्पल से शुरू करके चूत तक टावल से बदन ढका था। निप्पल से ऊपर के स्तन का भाग और चूत के नीचे की टांगे सब खुली थी। सिर के बाल गीले थे और मेरे गोरे बदन पर पानी सरक रहा था। मैं काफ़ी सेक्सी लग रही होगी। गर्मी बहुत थी तो वो सिर्फ़ चड्डी पहन के पंखे के नीचे खड़ा था। मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया। इतना नंगा मुझे उसने आज ही देखा। मैं उधर ही खड़ी रही। वो भी सारी शर्म छोड़ कर मुझे देख रहा था।

मेने उसकी बेड पर वो किताब पड़ी देखी, तो पूछ लिया ; कैसी लगी ये कहानी ? उसने कहा, बड़ी रोचक है… पर ऐसा तो कहानियों मे ही होता है ना… मैने कहा, कहानियां भी तो समाज से मिलती है ना…और महेश ने हिम्मत की तो हंसा को पाया… (महेश और हंसा उस किताब मे देवर भाभी के नाम थे)। आख़िर शुरुआत तो मर्द को ही करनी पड़ती है। हंसा की भी वो ही इच्छा थी, पर महेश ने शुरू किया तो उसने साथ दिया ना… वो बात को समझ…और नज़दीक आया। मैं समझ गयी, अब मेरा काम हो गया। नज़दीक आकर उसने अपने दोनो हाथ उठाए और मेरे फैले हुए गीले बालो मे पसारते हुए हाथों को दोनो कान पर रखा। और मेरा चेहरा ऊँचा किया। मैं भी वासना भरी नज़र से उसको देख रही। वो झुका और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये। मैं रोमांचित हो उठी।

मेने उसे अपने होठों को चूसने दिया। कोई विरोध नही किया। उसकी हिम्मत बढ़ी और मुझे करीब खींचा। मैं भी उसके नज़दीक सरकी, लेकिन सरकने से पहले एक हाथ से सफाई से टावल खोल डाला। खुलते ही टावल गिर पड़ा। अब मैं पूरी नंगी थी और वो सिर्फ़ चड्डी पहने हुए था। मैं नज़दीक जाकर उससे चिपक गयी। उसने किस थोड़ी तेज़ की, लेकिन नया था तो बराबर आता नही था। इसलिए अब मैने भी काम शुरू किया। अपने होंठ और जीभ से उसे रेस्पॉन्स दिया। वो सीखने मे फास्ट था। तुरंत समझ लिया और दोनो एक लंबी अच्छी किस मे खो गये। होंठ से होंठ और जीभ से जीभ मिल गये। हम रस पान करते रहे। मैने अपनी बाहें उसके गले मे डाल दी थी। उसकी बाहें मेरी पीठ पर फिर रही थी। मैने उसे कहा, दोनो हाथो को सिर्फ़ यूँ ही मत घुमाओ, उनसे मुझे तुम्हारी और दबाओ… उसने ज़ोर बढ़ाया। अब मेरे स्तन और निपल्स उसके सिने से चिपक गये।

उसे भी मज़ा आया और उसने ज़ोर बढ़ा दिया। मैं दब जाने लगी। उसे भी आनंद आने लगा। मैं बोल उठी , मेरे राजा, मे।। उसने एकदम ज़ोर बढ़ा दिया…। आ… मेरे स्तन तो उसके सिने से दबके मानो चौपट ही हो गये। निप्पल भी अब पिंच कर रही थी। लेकिन बड़ा मज़ा आ रहा था…।।आहाहा…। वैसे भी मुझे ये बहुत पसंद है। किसी मर्द की बाहों मे चूर चूर होने का नशा तो कोई औरत ही समझ सके। वो मुझे पिसता रहा, और होंठ चुसता रहा। फिर थोड़ी पकड़ ढीली कर के वो होठों को छोड़ के नीचे उतरने लगा। मेरी चूत पर, किस करने लगा। अब उसे कुछ सीखने की ज़रूरत नही थी। उसके अंदर का मर्द जाग उठा था और वो अपना काम जानता था। वो नीचे उतरा और मेरे स्थानो को किस करना शुरू किया। उसे सहलाता था, दबाता था, मसलता था, खेलता था, चूसाता था, निपल्स को दबाता था, और अंत मे एक निप्पल मुहँ मे लेकर ज़ोर से चूसने लगा और दूसरे स्तन को बुरी तरह से मसलने लगा…।।आउच…।। मुझे दर्द होने लगा और मैने दर्द की सिसकारियाँ भी मारी।

लेकिन वो अब कहा कुछ सुनने वाला था। रोकू तो भी रुके नही। बड़ी बेरहमी से उसने मेरे दोनो बोब्स मसल डाले……। मेरे अंग अंग मे आग लग गयी। बदन गर्म हो उठा और उसे चाहने लगा। अब वो किस करते हुए और नीचे उतरने लगा, पर हाथ तो बोब्स पर ही टीका रखे थे। मेरी कमर पर किस करते हुए, जांघों को छुते हुए, वो मेरी चूत के निकट जा पहुँचा। वहाँ जाकर थोड़ा उलझा और रुका। उस के लिए ये नई चीज़ थी। मैने प्यार से उसके सिर पर हाथ घुमाया, अपनी टांगे फैलाई और उसके सर को पकड़ कर उसके होंठ को मेरी चूत पर जा ठहराया। वो किस करने लगा… थोड़ी देर किस की तो मैने इशारा किया और हम दोनों बेड पर चले गये। अब मैं टांगे पूरी फैला सकी। वो फिर चूत पर गया। मैने उसे कहा, जीभ से काम लो, होंठ से नही… इतना इशारा काफ़ी था। वो शुरू हो गया।

मेरी चूत चाटने लगा। मैने अपने हाथ से मेरे चूत लिप्स थोड़े फैला के उसकी जीभ अंदर डलवाई। वो सिख गया और उसने मेरे हाथ हटाए और बागडोर फिर संभाल ली। अब वो चूत के अंदर बड़ी सफाई से चाटे जा रहा था। मैं तो पहले ही गर्म हो चुकी थी, अब पूरी तरह हो गयी। मेरा बदन अब उसके लिए तड़प रहा था। मुझे उसका लंड चाहिए था, चूत के अंदर।…एक करंट सा उठ रहा था बदन मे। मैने एक कड़क अंगड़ाई ली और उसका मुहँ वहा से हटाया। उसे कहा अब मेरी बारी है। और मैं जो अब तक लेटी थी, उठ बैठी और उसकी चड्डी उतारी। और वाउ…।।उसका पूरे कद का लंड स्प्रिंग की माफिक बाहर उछल आया……

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मेने उसे किस करना शुरू किया, फिर चारो और से किस किया। फिर उसके हेड के पास पहुँची। तब दोनो हथेलियों के बीच उसके लंड को लेकर उसे रग़ड डाला, जैसे हम लस्सी बनाते समय घूमाते है। इससे लंड एकदम जल्दी से तैयार हो जाता है…… और मुझे भी तो अब चुदवाने की जल्दी लगी हुई थी। (नही तो मैं आराम से उसका लंड चूसती रहती) उसका लंड और बड़ा हो गया। मैने टॉप स्किन हटाई और उसके पिंक हेड को मुहँ मे लिया। थोड़ी देर चूसा और देखा की इसे कोई ज़रूरत नही है, तो उसे नीचे चूत की और धकेल दिया। मैं वापस लेट गयी।

उसे मेरे ऊपर खींच लिया। मैने पाऊं चौड़े किये और उसका लंड मेरी चूत पर रख दिया। उसने एक धक्का मारा और लंड अंदर चला गया। आ!!!! इसी के लिए तो ये सारा खेल था…।। उसने चोदना शुरू किया। लंड काफ़ी बड़ा और गर्म था। मैं अंदर कुछ अलग ही महसूस कर रही थी… दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था। उसकी स्पीड बढ़ी। मैं चिल्लाने लगी, राजा आज बुरी तरह चोद मुझे, फाड़ डाल इस रंडी चूत को… चोद राजा चोद…

मेरे मुहँ से ऐसे शब्द सुन के वो ताज़्ज़ूब हो गया, पर फिर मुस्कुराया और बोला, चिंता मत करो, आज नही छोड़ूगा… एक हफ्ते से मेरी नींद हराम कर रखी है, आज तो चूत फाड़ कर ही रहूँगा… और फिर वो चोदता रहा, चोदता रहा, और चोदता ही रहा। बड़े ज़ोर से चोदा। दोनो को बड़ा मज़ा आया और चुदाई के बाद लेट गये।

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उसके बाद तो तीन दिन और थे हमारे पास। और अब तो पटाने की बात नही थी। हमने सारा समय साथ ही गुजारा। ना जाने कितनी बार उसने मुझे चोदा। तो ये थी मेरी कहानी।